अक्सर बिग बॉस का साल भर इंतजार रहता था. घर में कुछ अलग-अलग मिजाज के लोग आते थे, और उन्हें देखने में मजा आता था कि वे विपरीत परिस्थितियों में कैसे बिहेव करते हैं. किस तरह से दूसरे लोगों से निबटते हैं. पिछले आठ सीजन मजेदार गए. संयमी और समझदार बिग बॉस-1 के विजेता राहुल रॉय से लेकर बिग बॉस-8 के विजेता गौतम गुलाटी आते-आते घर की परिभाषा पूरी तरह बदल गई. इसमें आने वाले फ्लॉप हो चुके सेलिब्रिटीज को लगा कि फेमस होने के लिए सिर्फ चिल्लाना ही एकमात्र मंत्र है. इस बार टीआरपी में भी शो नीचे की ओर गोते लगा रहा है, और इस बात को सलमान खान भी शो पर बोल चुके हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसी बातें जो शो को बर्दाश्त से बाहर बना देती हैं...
सलमान की ढील
अक्सर जब घर के सदस्य गलत करते थे तो सलमान का रवैया देखने वाला होता था. वे ऐसी क्लास लेते कि घरवालों को मुंह छिपाना पड़ जाता था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं है कई मौकों पर तो वे गलत का ही साथ देते नजर आए हैं. इस वजह से एक ग्रुप बनता गया और वही हावी होता चला गया, जिसकी वजह से पूरे घर की लय टूट गई. सिरदर्द करने वाले सदस्य वहीं रहे, और बाकी जो आए चलते बने.
बेकार की चिल्ल पों
असल जिंदगी में लोगों की इतनी दिक्कतें हैं कि वह बिग बॉस की मारामारी क्यों देखे? हर वक्त चक चक चक के अलावा किसी को कुछ नहीं आता. सुयश हो या प्रिया सबको एक ही बात आती है, और वह है रोना, पीटना चिल्लाना. बिना बात के कोसना और खुद को विकटिम की तरह दिखाने की जद्दोजहद.
अक्सर बिग बॉस का साल भर इंतजार रहता था. घर में कुछ अलग-अलग मिजाज के लोग आते थे, और उन्हें देखने में मजा आता था कि वे विपरीत परिस्थितियों में कैसे बिहेव करते हैं. किस तरह से दूसरे लोगों से निबटते हैं. पिछले आठ सीजन मजेदार गए. संयमी और समझदार बिग बॉस-1 के विजेता राहुल रॉय से लेकर बिग बॉस-8 के विजेता गौतम गुलाटी आते-आते घर की परिभाषा पूरी तरह बदल गई. इसमें आने वाले फ्लॉप हो चुके सेलिब्रिटीज को लगा कि फेमस होने के लिए सिर्फ चिल्लाना ही एकमात्र मंत्र है. इस बार टीआरपी में भी शो नीचे की ओर गोते लगा रहा है, और इस बात को सलमान खान भी शो पर बोल चुके हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसी बातें जो शो को बर्दाश्त से बाहर बना देती हैं... सलमान की ढील अक्सर जब घर के सदस्य गलत करते थे तो सलमान का रवैया देखने वाला होता था. वे ऐसी क्लास लेते कि घरवालों को मुंह छिपाना पड़ जाता था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं है कई मौकों पर तो वे गलत का ही साथ देते नजर आए हैं. इस वजह से एक ग्रुप बनता गया और वही हावी होता चला गया, जिसकी वजह से पूरे घर की लय टूट गई. सिरदर्द करने वाले सदस्य वहीं रहे, और बाकी जो आए चलते बने. बेकार की चिल्ल पों असल जिंदगी में लोगों की इतनी दिक्कतें हैं कि वह बिग बॉस की मारामारी क्यों देखे? हर वक्त चक चक चक के अलावा किसी को कुछ नहीं आता. सुयश हो या प्रिया सबको एक ही बात आती है, और वह है रोना, पीटना चिल्लाना. बिना बात के कोसना और खुद को विकटिम की तरह दिखाने की जद्दोजहद. यह कैसी जुबान एक जमाना था जब डीडी-2 पर जबान संभाल कर एक प्रोग्राम आता था, जिसमें कुछ लोगों को हिंदी बोलना सिखाया जाता था, बहुत ही मनोरंजक प्रोग्राम था. लेकिन बिग बॉस-9 को देखकर ऐसा लगता है कि यह किसी उबाऊ हिंदी बोलने वाले स्कूल की क्लास हो जहां अलग-अलग देश के लोगों को पेड क्लासेस दी जा रही हो. वाकई ऐसी हिंदी से अच्छी तो प्योर इंग्लिश है. जोड़ेबाजी किश्वर-सुयश, कीथ-रॉशेल और प्रिंस-नोरा. अब ऐसे में क्या मजा आने वाला है. कभी-कभार ऐसा एहसास भी होता है कि सभी पेड हनीमून पर आए हुए हैं. प्रिंस को तो किस करने से ही फुरसत नहीं है गाल किसी का भी हो होंठ प्रिंस के ही होते हैं, अब नोरा के साथ उनकी ग्लैमरलैस इश्क बहुत ही फूहड़ लग रहा है, कोई एक्स फैक्टर नहीं पैदा कर पा रहा है. यानी यह तुर्रा भी फेल. जीरो एंटरटेनमेंट मनोरंजन तो भूल ही जाइए. शायद ये घरवाले सोच बैठे हैं कि चीखना-चिल्लाना ही मनोरंजन है. कोई भी टास्क ढंग से नहीं कर पाना, इनकी सबसे बड़ी कमजोरी है. फिर आपस में मशगूल रहना इन्हें अच्छा लगता है, और कूप मंडूक की तरह अपने में सुखी हैं. शायद यह भूल चुके हैं कि जनता इन्हें देख रही है या शायद उन्हें भी एहसास हो गया है कि जनता उन्हें कम ही देख रही है. इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |