काला हिरण शिकार मामले में आर्म्स एक्ट के आरोपों की सुनवाई के दौरान सलमान खान ने अपनी जाति 'हिंदू-मुसलमान' बता दी. सलमान तुम ऐसा कहकर न जाने कितनी दुकानें बंद कराओगे. यदि लोगों की धर्म और जाति अलग-अलग नहीं होगी तो उनमें संघर्ष कैसे होगा. ऐसी भावनाएं भड़काने वालों का क्या होगा. भावनाएं भड़क जाने के बाद फिर उसे शांत कराने वाले कहां जाएंगे?
कोर्ट ने आपसे साधारण रूप से यही तो पूछा था कि आपकी जाति क्या है. तो ये कहने की क्या जरूरत थी कि मैं हिंदू-मुसलमान हूं. ऐसा भी कोई होता है क्या. माना पिता मुसलमान हैं और मां हिंदू. लेकिन आप को तो वही होना चाहिए, जो आपके पिता हैं. हर घर में ऐसा ही होता है. आपको भी पता होगा. और आप मां और पिता दोनों का धर्म बताने लगे तो जिस परंपरा में बेटे पिता का वंश आगे बढ़ाते हैं, वे परंपराएं और मान्यताएं कहां जाएंगी?
ईद और गणेश पूजा के दौरान आप एक जैसी श्रद्धा के साथ दिखाई देते हैं. लेकिन फिल्म के शौकीनों को याद है कि आपकी पिछली पांच हिट फिल्में ईद पर ही रिलीज हुई हैं. वांटेड (2009), दबंग (2010), बॉडीगार्ड (2011), एक था टाइगर (2012), किक (2014). और हां, सुन रहे हैं कि इस साल ईद पर आ रही है आपकी बजरंगी भाईजान. अब बताइए वे लोग, जो आप से सवाल करते हैं कि दिवाली पर आप अपनी फिल्म रिलीज क्यों नहीं करते, कहां जाएंगे?
अच्छा हुआ जो आपका और एश्वर्या का मामला नहीं जमा, वरना 'लव जेहाद' का विरोध करने वालों के निशाने पर तो आप भी होते. वैसे आपका मामला थोड़ा अलग तो है. आपने किसी भी धर्म में शादी की तो आप पर सवाल उठेंगे ही. क्योंकि आपके भीतर एक हिंदू का खून है और मुस्लिम का भी. इसलिए अच्छा है कि कुंवारे हो. वरना और कोम्प्लिकेटेड हो जाओगे.
वैसे मामले को उलझा तो दिया ही है आपने. कोर्ट ने तो एक औपचारिकता के नाते ही तो पूछा था कि आपकी जाति क्या है. भाई आदमी की पहचान बताती है जातियां. स्कूल से लेकर शादी-ब्याह, कारोबार, हर जगह. भले ही जरूरत न हो, फिर भी बताना पड़ता है. जज साहिबा इस औपचारिकता को खत्म् नहीं कर...
काला हिरण शिकार मामले में आर्म्स एक्ट के आरोपों की सुनवाई के दौरान सलमान खान ने अपनी जाति 'हिंदू-मुसलमान' बता दी. सलमान तुम ऐसा कहकर न जाने कितनी दुकानें बंद कराओगे. यदि लोगों की धर्म और जाति अलग-अलग नहीं होगी तो उनमें संघर्ष कैसे होगा. ऐसी भावनाएं भड़काने वालों का क्या होगा. भावनाएं भड़क जाने के बाद फिर उसे शांत कराने वाले कहां जाएंगे?
कोर्ट ने आपसे साधारण रूप से यही तो पूछा था कि आपकी जाति क्या है. तो ये कहने की क्या जरूरत थी कि मैं हिंदू-मुसलमान हूं. ऐसा भी कोई होता है क्या. माना पिता मुसलमान हैं और मां हिंदू. लेकिन आप को तो वही होना चाहिए, जो आपके पिता हैं. हर घर में ऐसा ही होता है. आपको भी पता होगा. और आप मां और पिता दोनों का धर्म बताने लगे तो जिस परंपरा में बेटे पिता का वंश आगे बढ़ाते हैं, वे परंपराएं और मान्यताएं कहां जाएंगी?
ईद और गणेश पूजा के दौरान आप एक जैसी श्रद्धा के साथ दिखाई देते हैं. लेकिन फिल्म के शौकीनों को याद है कि आपकी पिछली पांच हिट फिल्में ईद पर ही रिलीज हुई हैं. वांटेड (2009), दबंग (2010), बॉडीगार्ड (2011), एक था टाइगर (2012), किक (2014). और हां, सुन रहे हैं कि इस साल ईद पर आ रही है आपकी बजरंगी भाईजान. अब बताइए वे लोग, जो आप से सवाल करते हैं कि दिवाली पर आप अपनी फिल्म रिलीज क्यों नहीं करते, कहां जाएंगे?
अच्छा हुआ जो आपका और एश्वर्या का मामला नहीं जमा, वरना 'लव जेहाद' का विरोध करने वालों के निशाने पर तो आप भी होते. वैसे आपका मामला थोड़ा अलग तो है. आपने किसी भी धर्म में शादी की तो आप पर सवाल उठेंगे ही. क्योंकि आपके भीतर एक हिंदू का खून है और मुस्लिम का भी. इसलिए अच्छा है कि कुंवारे हो. वरना और कोम्प्लिकेटेड हो जाओगे.
वैसे मामले को उलझा तो दिया ही है आपने. कोर्ट ने तो एक औपचारिकता के नाते ही तो पूछा था कि आपकी जाति क्या है. भाई आदमी की पहचान बताती है जातियां. स्कूल से लेकर शादी-ब्याह, कारोबार, हर जगह. भले ही जरूरत न हो, फिर भी बताना पड़ता है. जज साहिबा इस औपचारिकता को खत्म् नहीं कर सकतीं. कानून बनाने वाले कहीं और बैठते हैं. यदि ये औपचारिकता ही खत्म कर दी गई तो जातियों के नाम पर वोट मांगने वाले कहां जाएंगे.
हिंदू-मुस्लिम... एक जाति. :)
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.