आखिरकार प्रियंका चोपड़ा की पहली हॉलीवुड फिल्म ‘बेवॉच’ रिलीज़ हो गयी. हालांकि टीवी में ‘क्वॉन्टिको’ के जरिये वो पहले ही अपने कदम जमा चुकी थीं, लेकिन बड़े पर्दे की बात ही कुछ और होती है.
कुछ वक्त पहले दीपिका पादुकोण ने भी हॉलीवुड सुपर स्टार विन डीज़ल के साथ धमाकेदार एंट्री की थी फिल्म ‘xxx रिटर्न ऑफ ज़ेंडर केज’ से, ऐसे में तुलना भी हो रही है कि प्रियंका और दीपिका में किसका हॉलीवुड डेब्यू बेहतर होगा. खैर बॉक्स ऑफिस के आंकड़े पता चलने में थोड़ा वक्त लगेगा, लेकिन फिल्म बेवॉच को लेकर हॉलीवुड में रिपोर्ट अच्छी नहीं है, वैसे दीपिका पादुकोण की डेब्यू ‘xxx रिटर्न ऑफ ज़ेंडर केज’ भी हॉलीवुड में फ्लॉप ही रही थी, लेकिन भारत में फिल्म ने तकरीबन 30 करोड़ का कारोबार किया था, ऐसे में प्रियंका इतनी कामना तो कर ही रही होंगी कि कम से कम बॉलीवुड में रिसपॉन्स दीपिका की फिल्म से बेहतर मिले.
अब बात ‘बेवॉच’ की
ये एक हिट अमेरिकन टीवी सीरीज़ थी और लोकप्रियता को देखते हुए इसी नाम से फिल्म बनायी गयी. भारत में उत्सुक्ता की एहम वजह रही हैं प्रियंका चोपड़ा, और चूंकी फिल्म में प्रियंका हीरोइन के तौर पर नहीं बल्कि खलनायिका के तौर पर डेब्यू कर रहीं हैं ऐसे में दिलचस्पी और बढ़ जाती है.
80-90 के दशक की घिसीपिटी बॉलीवुड कहानी
वैसे जिस तरह की फिल्म ‘बेवॉच’ है, ऐसी फिल्मों की कहानी बताना बेहद मुश्किल और बेहद आसान दोनों ही हो सकता है. आसान इसलिये क्योंकि ‘बेवॉच’ में हर वो घिसापिटा मसाला है जो 80 और 90 के दशक की बॉलीवुड फिल्मों में होता था, और मुश्किल इसलिये क्योंकि हर घिसेपिटे ट्रैक को लिखना आसान नहीं होता है.
बेवॉच की कहानी बेहद साधारण है, हॉलीवुड स्टार ड्वेन जॉनसन एक बीच पर लाइफ़ सेविंग गार्ड के तौर पर काम करते हैं और उनको मिलाकर पांच लोगों की टीम है, जहां वो लोगों की जान बचाते हैं और उनकी मदद करते हैं. इसी दौरान बीच पर ड्रग्स के छोट पैकेट कई बार नजर आते हैं और फिर जॉनसन अपनी टीम के साथ इसकी तलाश करते हैं कि बीच पर ड्रग्स का कारोबार कौन कर रहा है. पता चलता है कि बीच की मालिकन विक्टोरिया लीड्स यानी प्रियंका चोपड़ा ही ड्रग माफ़िया है.
फिल्म में कोई भी ससपेन्स एलीमेन्ट नहीं है लेकिन थ्रिल ज़रूर है. पानी में जलती हुई बोट के बीच हीरो का कूदना और बचाने का सीक्वेंस दिलचस्प है. लेकिन ओवर ऑल फिल्म में ज्यदातर सीन्स बहुत बोरिंग और देखे हुए से लगते हैं.
हीरे ड्वेन जॉनसन की एंट्री भी टिपिकल हिंदी हीरो की एंट्री की तरह होती है, एक बच्चा डूब रहा है, फिर जॉनसन पानी में कूद कर उसे बचाते हैं और गोद में लेकर पानी से जब वो बाहर निकल रहे हैं, तब पीछे ग्राफ़िकली लिख कर आता है बेवॉच. जॉनसन के साथ दो हीरो और हैं. एक हैं यंग और डायनेमिक ज़ैक एफरॉन जिनकी फिल्म मे आखिर तक जॉंनसन से नहीं बनती, दूसरे कॉमिक हीरो हैं ब्रेडन जो अपनी बेवकूफी से हंसाने की कोशिश करते हैं हालांकि हंसी आती नहीं है. और बिकनी में खूबसूरत लड़कियों के बगैर बेवॉच तो बन ही नहीं सकती थी.
शक्ति कपूर और गुलशन ग्रोवर के लेवल पर दिखीं प्रियंका
फिल्म की शुरूआत से ही प्रियंका को खलनायिका के तौर पर दिखाया गया है. प्रियंका फिल्म में वैसी ही खलनायिका हैं जैसे शक्ति कपूर या गुलशन ग्रोवर किरदार निभाया करते थे. ये गुलशन ग्रोवर, शक्ती कपूर या प्रियंका की तौहीन के तहत नहीं कहा है बल्कि इसलिये कहा है क्योंकि किरदार बेहद फ्लैट है. अभिनय के डिपार्टमेंट में प्रियंका ने काम बुरा नहीं किया है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है कि ये कहा जाये कि उन्होंने बहुत अच्छा किया है. बेवॉच में खलनायिका से बेहतर किरदार प्रिंयंका ने 2004 में रिलीज़ ऐतराज़ में निभाया था.
बेवॉच में प्रिंयंका के अभिनय की बहुत तारीफ तो नहीं हो रहीं लेकिन अच्छी खबर ये है कि उन्होंने वहां अपनी दूसरी फिल्म ‘ए किड लाइक जेक’ साइन कर ली है. क्वॉन्टिको में भी उनके काम की तारीफ हुई थी और क्विंटिको का तीसरा सीज़न भी शुरू होनेवाला है, तो ऐसे में हॉलीवुड में अब भी उनके लिये रास्ते खुले हुए हैं.
प्रियंका चोपड़ा एक अच्छी एक्ट्रेस हैं और बॉलीवुड से हॉलीवुड का सफर तय करना कोई छोटी बात नहीं है, लेकिन ये ख्याल जरूर रखना चाहिये कि हॉलीवुड की कौन सी फिल्म वो कर रही हैं, क्योंकि हॉलीवुड का मतलब ये बिलकुल भी नहीं है कि हर हॉलीवुड फिल्म अच्छी ही हो. खराब फिल्में वहां भी बनती हैं और यहां भी, अभिनय चाहे बॉलीवुड में करें या हॉलीवुड में लेकिन फिल्म का चुनाव सही होना चाहिये.
फिलहाल ये कहना गलत नहीं होगा कि बेवॉच पैसे खर्च करके वॉच करने लायक बिलकुल भी नहीं है. लेकिन टीवी पर जब इसका प्रीमियर हो तो प्रिंयंका चोपड़ा के लिये देखा जा सकता है.
ये भी पढ़ें-
परिणीति चोपड़ा की 'गरीबी' लोग पचा नहीं पाए
प्रियंका चोपड़ा की भव्य ड्रेस को लोगों ने तार-तार कर दिया
क्वांटिको-2 में भी प्रियंका चोपड़ा 'बोल्ड'
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.