पहलाज निहलानी याद हैं आपको? वो इंसान जिसे फिल्म के ट्रेलर में शब्द इंटरकोर्स से दिक्कत होती थी, वो इंसान जो एक लिमिट तक ही फिल्म में लिप किस बर्दाश्त कर सकता था.. वो इंसान जिसने लिपस्टिक अंडर माय बुर्का फिल्म के लिए इतना बवाल मचाया था. फिलहाल उन्हें सेंसर बोर्ड चीफ की कुर्सी से कुछ दिन पहले ही हटाया गया है और अब वो अपने नए कारनामे के साथ हाजिर हैं.
जिस तरह की फिल्मों से निहलानी साहब को परहेज था उसी तरह की फिल्मों पर अब उनकी गहरी नजर है. नहलानी साहब अब एरॉटिक फिल्म जूली 2 के ट्रेलर के साथ आए हैं. निहलानी जी जो पहले भी हथकड़ी, आंधी-तूफान, पाप की दुनिया, शोला और शबनम, आंखें जैसी फिल्मों के प्रोड्यूसर रह चुके हैं वो अब नेहा धूपिया की 2004 में आई फिल्म जूली का सीक्वेल लेकर आए हैं.
फिल्म दीपक शिवदसानी ने डायरेक्ट की है और जूली 2 का पोस्टर ही अपने आप में पूरी कहानी कहता है. एक लड़की है जिसका मुंह दूसरी ओर है, पीठ पर कुछ नहीं है और पूरे पोस्टर में सिर्फ एक पतला सा कपड़ा है. पोस्टर में लिखा है बोल्ड, ब्यूटिफुल, ब्लेस्ड....
निहलानी साहब न सिर्फ इस फिल्म को प्रेजेंट कर रहे हैं बल्कि फिल्म के वर्ल्ड वाइड डिस्ट्रिब्यूटर भी हैं. निहलानी ने इसके पहले काफी बैन लगाए हुए हैं. कई फिल्में ऐसी रही हैं जिनपर बहुत ज्यादा कट लगे हैं. अगर इन पर नजर डालें तो समझ आएगा कि निहलानी कहां-कहां संस्कारी हुए थे.
1. गालियां...
गालियां और खराब शब्द जिनसे निहलानी जी को दिक्कत होती थी. ये पूरी लिस्ट है जिसे...
पहलाज निहलानी याद हैं आपको? वो इंसान जिसे फिल्म के ट्रेलर में शब्द इंटरकोर्स से दिक्कत होती थी, वो इंसान जो एक लिमिट तक ही फिल्म में लिप किस बर्दाश्त कर सकता था.. वो इंसान जिसने लिपस्टिक अंडर माय बुर्का फिल्म के लिए इतना बवाल मचाया था. फिलहाल उन्हें सेंसर बोर्ड चीफ की कुर्सी से कुछ दिन पहले ही हटाया गया है और अब वो अपने नए कारनामे के साथ हाजिर हैं.
जिस तरह की फिल्मों से निहलानी साहब को परहेज था उसी तरह की फिल्मों पर अब उनकी गहरी नजर है. नहलानी साहब अब एरॉटिक फिल्म जूली 2 के ट्रेलर के साथ आए हैं. निहलानी जी जो पहले भी हथकड़ी, आंधी-तूफान, पाप की दुनिया, शोला और शबनम, आंखें जैसी फिल्मों के प्रोड्यूसर रह चुके हैं वो अब नेहा धूपिया की 2004 में आई फिल्म जूली का सीक्वेल लेकर आए हैं.
फिल्म दीपक शिवदसानी ने डायरेक्ट की है और जूली 2 का पोस्टर ही अपने आप में पूरी कहानी कहता है. एक लड़की है जिसका मुंह दूसरी ओर है, पीठ पर कुछ नहीं है और पूरे पोस्टर में सिर्फ एक पतला सा कपड़ा है. पोस्टर में लिखा है बोल्ड, ब्यूटिफुल, ब्लेस्ड....
निहलानी साहब न सिर्फ इस फिल्म को प्रेजेंट कर रहे हैं बल्कि फिल्म के वर्ल्ड वाइड डिस्ट्रिब्यूटर भी हैं. निहलानी ने इसके पहले काफी बैन लगाए हुए हैं. कई फिल्में ऐसी रही हैं जिनपर बहुत ज्यादा कट लगे हैं. अगर इन पर नजर डालें तो समझ आएगा कि निहलानी कहां-कहां संस्कारी हुए थे.
1. गालियां...
गालियां और खराब शब्द जिनसे निहलानी जी को दिक्कत होती थी. ये पूरी लिस्ट है जिसे 2016 में ही अपडेट किया गया था. गालियों के कारण उड़ता पंजाब, NH10, लिपस्टिक अंडर माय बुर्का, हरामखोर, जय गंगाजल, बदलापुर जैसी फिल्मों को कई कट झेलने पड़े थे.
2. न्यूडिटी और सेक्सिज्म..
हालिया मामला जब हैरी मेट सेजल का था जिसमें इंटरकोर्स शब्द को ट्रेलर में दिखाए जाने से समस्या थी. इसके अलावा, कटरीना कैफ और सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म बार-बार देखो में भी ब्रा के दिखने और फिक्शनल कैरेक्टर सविता भाभी के नाम से निहलानी जी को आपत्ति थी.
फिल्म जूली का ट्रेलर...
3. किस्सा किस का...
यहां किस यानि चुंबन की बात की जा रही है. किस की लंबाई के कारण हॉलीवुड की फिल्म स्पेक्टर को कट झेलने पड़े थे. यहां से ही निहलानी साहब को संस्कारी कहा जाने लगा औह ट्विटर पर संस्कारी जेम्स बॉन्ड नाम का हैशटैग ट्रेंड करने लगा.
4. शराब पीना, सिगरेट पीना, ड्रग्स लेना उफ्फ तौबा...
हालिया रिलीज मुन्ना माइकल में नवाजुद्दीन सिद्धिकी को शराब और सिगरेट से दूर रखा गया क्योंकि निहलानी साहब के अनुसार एक्टर्स को अपने फैन्स को गलत मैसेज नहीं देना चाहिए. उनकी फैन फॉलोविंग लाखों-करोड़ों की होती है इसलिए उन्हें इस तरह के किसी भी काम से बचना चाहिए. मुन्ना माइकल में नवाजुद्दीन ने गैंगस्टर का किरदार निभाया था और फिर भी उन्हें इस तरह के किसी भी सीन को करने से रोका गया था.
निहलानी साहब को लेकर ये बात कही जा रही है कि उन्होंने अब संस्कारी चोला उतार दिया है. सेंसर बोर्ड के चेयरमैन के पद से हटते ही निहलानी वही सब करने लगे जिसकी उन्होंने मनाही की थी. ये क्या कर रहे हैं निहलानी जी, लेकिन ये भी सोचने वाली बात है कि अब वो किसी बागी की तरह हो गए हैं. खुद ही सोचिए निहलानी जी को संस्कारी होने के लिए कितना परेशान किया गया. अब उनकी मांग है कि जूली 2 को बिना किसी कट के A सर्टिफिकेट के साथ पास कर दिया जाए. आखिर ये भी तो सिनेमा है.. ये भी तो एक फिल्म है... फिर इसमें कट क्यों लगाए जाएं जब उन्हें खुद कट लगाने के लिए इतना परेशान किया गया था.
इसे ह्यूमन नेचर ही कहेंगे कि अब निहलानी जी एक बागी की तरह सामने आए हैं. अब खुद ही सोच लीजिए ऐसा कई बार देखा गया है कि अगर किसी को कोई चीज करने से मना की जाए और बार-बार उन्हें एक ही तरह के ताने मिलें तो क्यों नहीं वो खीज जाएगा. मैं निहलानी साहब की तरफदारी नहीं कर रही हूं क्योंकि मालूम है कि वो कभी-कभी कुछ ऐसे कट की मांग करते थे जो फिल्म की ऐसी-तैसी करने के लिए काफी थे, लेकिन एक इंसान की तरह तो वो रिएक्ट कर रहे हैं. या यूं कहूं एक बागी इंसान की तरह.
अपने एक इंटरव्यू में भी निहलानी ने यही बात कही कि जब इस तरह की फिल्में काटने पर उन्हें दोष दिया जाता था तो अब फिर जूली 2 को क्यों कट करने की बात कही जा रही है. अब इस फिल्म को भी पूरा वैसे ही पास होना चाहिए जैसी उम्मीद उनसे की जाती थी. तो अब बागी कहें या बिजनेसमैन निहलानी जी की ये मांग अब सेंसर बोर्ड के लिए परेशानी का सबब बन सकती है.
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