2013 की बॉलीवुड ड्रामा फिल्म जॉली एलएलबी के सीक्वल का ट्रेलर आ गया है. 2013 में अरशद वारसी और बमन ईरानी द्वारा अभिनीत फिल्म कई मायनों में एक सुलझी हुई और न्याय प्रणाली पर सटीक कटाक्ष करने वाली फिल्म थी. अब नई पारी में अक्षय कुमार उसी कहानी को दोहराने वाले हैं.
जॉली एलएलबी अगर आपने नहीं देखी है तो उसकी कहानी संक्षिप्त में आपको बता दूं- एक अनाड़ी वकील है जो केस जीतने के लिए बेवकूफाना हरकतें करता है. लेकिन जब वो एक ऐसे केस को हाथ में लेता है जिसमें उसे ये अहसास होता है कि वो गलत था और दोषी को सजा दिलाना ही उसका काम है. इसके बाद वो हर तरह की कोशिश करता है जिससे दोषी को सजा मिले. ये फिल्म इसलिए भी काफी सच्ची लगती थी क्योंकि बाकी फिल्मों की तरह इसमें फैंसी कोर्ट रूम नहीं बल्कि असली डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की झलक दिखती थी. जिसमें जज के पास फाइलें भी दिखती थीं. फिल्मी कठघरा की जगह लकड़ी का प्लेटफॉर्म होता है और वाकई उसी तरह से केस लड़ते दिखाया जाता है जैसे वकील किसी आम डिस्ट्रिक्ट या हाई कोर्ट में लड़ते हैं.
अरशद वारसी को नई फिल्म में अक्षय कुमार ने रिप्लेस किया है |
जॉली एलएलबी भले ही ब्लॉकबस्टर हिट न हुई हो, लेकिन उस फिल्म में कई ऐसी बातें थीं जो उसे खास बनाती थीं और यही वजह है कि जॉली एलएलबी 2 को बनाया गया. खास बात ये है कि जॉली एलएलबी 2 के ट्रेलर का एक डायलॉग ऐसा है जो वाकई में हर किसी के जहन में उतर जाएगा. ट्रेलर के अंत में अक्षय कहते हैं कि-
"इस दुनिया के सबसे बड़े जाहिल ने कहा था, इश्क और जंग में सबकुछ जायज है... क्योंकि अगर ऐसा है तो बॉर्डर पर सिपाहियों के सर काटने वाले भी जायज हैं और लड़कियों पर एसिड...
2013 की बॉलीवुड ड्रामा फिल्म जॉली एलएलबी के सीक्वल का ट्रेलर आ गया है. 2013 में अरशद वारसी और बमन ईरानी द्वारा अभिनीत फिल्म कई मायनों में एक सुलझी हुई और न्याय प्रणाली पर सटीक कटाक्ष करने वाली फिल्म थी. अब नई पारी में अक्षय कुमार उसी कहानी को दोहराने वाले हैं.
जॉली एलएलबी अगर आपने नहीं देखी है तो उसकी कहानी संक्षिप्त में आपको बता दूं- एक अनाड़ी वकील है जो केस जीतने के लिए बेवकूफाना हरकतें करता है. लेकिन जब वो एक ऐसे केस को हाथ में लेता है जिसमें उसे ये अहसास होता है कि वो गलत था और दोषी को सजा दिलाना ही उसका काम है. इसके बाद वो हर तरह की कोशिश करता है जिससे दोषी को सजा मिले. ये फिल्म इसलिए भी काफी सच्ची लगती थी क्योंकि बाकी फिल्मों की तरह इसमें फैंसी कोर्ट रूम नहीं बल्कि असली डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की झलक दिखती थी. जिसमें जज के पास फाइलें भी दिखती थीं. फिल्मी कठघरा की जगह लकड़ी का प्लेटफॉर्म होता है और वाकई उसी तरह से केस लड़ते दिखाया जाता है जैसे वकील किसी आम डिस्ट्रिक्ट या हाई कोर्ट में लड़ते हैं.
अरशद वारसी को नई फिल्म में अक्षय कुमार ने रिप्लेस किया है |
जॉली एलएलबी भले ही ब्लॉकबस्टर हिट न हुई हो, लेकिन उस फिल्म में कई ऐसी बातें थीं जो उसे खास बनाती थीं और यही वजह है कि जॉली एलएलबी 2 को बनाया गया. खास बात ये है कि जॉली एलएलबी 2 के ट्रेलर का एक डायलॉग ऐसा है जो वाकई में हर किसी के जहन में उतर जाएगा. ट्रेलर के अंत में अक्षय कहते हैं कि-
"इस दुनिया के सबसे बड़े जाहिल ने कहा था, इश्क और जंग में सबकुछ जायज है... क्योंकि अगर ऐसा है तो बॉर्डर पर सिपाहियों के सर काटने वाले भी जायज हैं और लड़कियों पर एसिड फेंकने वाले आशिक भी जायज हैं."
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इश्क और जंग में सब जायज नहीं मानना चाहिए...
अक्षय का ये डायलॉग वाकई काफी असरदार है. वाकई जिस लाइन को 90 के दशक में शाहरुख ने बोलकर रोमांटिक अंदाज दिया था असल में ये इसका मतलब तो कुछ और ही है. और जनाब ये 90 के दशक की कहावत नहीं बल्कि सदियों पुरानी है. असल में सबसे पहले इसे जॉन लिलि (John Lyly) नाम के एक लेखक ने अपनी नॉवेल इयूफ्यूस (Euphues: The Anatomy of Wit") में लिखा था जो 1579 में छपी थी.
मतलब सदियों से इसी गलत मान्यता को हम मानते आ रहे हैं. जंग में बहने वाले खून को कैसे कोई जायज कह सकता है. प्यार में होने वाले कत्ल को कैसे कोई सही ठहरा सकता है. आखिर क्यों आशिकी का भूत लोगों के ऐसे सर चढ़ता है कि वो ये नहीं देखते कि सामने वाला क्या चाहते है. शायद ऐसे आशिक ये लाइन बहुत सीरियसली ले लेते हैं. तभी तो इश्क में कुछ भी कर गुजरते हैं.
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सरहद पर किसी भी देश की फौज के साथ जो होता है वो क्या जायज है? एलेप्पो शहर को सिर्फ जंग के कारण तहस नहस कर दिया तो क्या वो जायज है? बड़े-बूढ़े, मासूम बच्चे, महिलाएं सभी जंग की भेंट चढ़ जाते हैं तो क्या वो भी जायज है? जंग जिसने लाखों लोगों को तबाह कर दिया वो जायज नहीं हो सकती, एटॉमिक बॉम, न्यूक्लियर मिसाइल, कैमिकल अटैक जो जंगों में आम लोगों पर किए जाते हैं उसे जायज नहीं कहा जा सकता. क्या हिटलर ने जो भी किया आप उसे जायज मानते हैं? जी नहीं, मोहब्बत और जंग में सबकुछ जायज नहीं है.
सीरिया में हो रहे कत्लेआम को, कैमिकल अटैक को हम जायज नहीं कह सकते |
जिस लाइन को अभी तक हम स्टाइल स्टेटमेंट और रोमांटिक मानकर चलते थे शायद उसे बदलने का समय आ गया है. बॉलीवुड भी बदल रहा है. पहले जहां 'लड़की की ना में हां छुपी है' डायलॉग बॉलीवुड में फेमस था वहीं अब 'No Means No' पर बॉलीवुड आ गया है. तो अब वक्त आ गया है कि लोग भी बदलें. उम्मीद है कि फिल्म में दिए गए मैसेज को लोग समझेंगे और अमल भी करेंगे. वाकई मोहब्बत और जंग में सब जायज नहीं हो सकता.
यहां देखें फिल्म का ट्रेलर-
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