सलमान खान अपने फ़ैन्स के लिये हैं भाईजान, लेकिन इस बार भाईजान के फ़ैन्स ने सलमान खान को नहीं दी ईदी. बॉक्स ऑफिस और मीडिया के मुताबिक़ ट्यूबलाइट फ्लॉप हो चुकी है लेकिन सलमान खान के कैंप में अब भी ये चर्चा है कि उनकी फिल्म ट्यूबलाइट हिट है और सिर्फ कुछ लोग हैं जो ये फैला रहे हैं कि सलमान की ट्यूबलाइट फ्लॉप साबित हुई. तो आज खुद ही से करते हैं सवाल और पाते हैं उनके जवाब.
सवाल नंबर 1) कैसे तय किया जाये कि सलमान की ट्यूबलाइट हिट है या फ्लॉप क्योंकि फिल्म ने 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है फिर भी क्यों इसे फ्लॉप माना जा रहा है ?
जवाब- सलमान खान के लिये तो ट्यूबलाइट मुनाफ़े का ही सौदा है क्योंकि उन्होंने तो फिल्म डिस्ट्रिब्यूटर्स को बेच दी थी, तो नुक़सान उनका नहीं डिस्ट्रिब्यूटर्स का हुआ है, सरल तरीके से अगर कहा जाये, तो मान लीजिये सलमान ने ये फिल्म तक़रीब 80 करोड़ में बनाई और सिर्फ भारत में 180 करोड़ में बेची तो उन्हें तो भारत से मुनाफ़ा 100 करोड़ का हो गया लेकिन जिसने फिल्म 180 करोड़ में ख़रीदी उसको सिर्फ अपना पैसा निकालने के लिये इंतज़ार करना होगा 198 करोड़ का. तब जाकर वो डिस्ट्रिब्यूटर सिर्फ अपना पैसा निकाल पायेगा, मुनाफ़ा तो तब भी बहुत दूर है. ऐसे में डिस्ट्रिब्यूटर्स के लिये ट्यूबलाइट घाटे का सौदा रही है, क्योंकि 5 दिन में तो सलमान कि फिल्म 200 करोड़ तक पहुंच जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा हो ना सका.
सवाल नंबर 2) डिस्ट्रीब्यूटर कौन होता है और वो फिल्म कहां बेचता है ?
जवाब - आम भाषा में समझाया जाये तो समझ लीजिये, कि एक आदमी सामान बनाता है और फिर वो होलसेल रेट पर बेचता है, फिर होलसेल वाला अपना मुनाफ़ा निकाल कर रिटेलर को बेचता है यानी दुकानदार को,...
सलमान खान अपने फ़ैन्स के लिये हैं भाईजान, लेकिन इस बार भाईजान के फ़ैन्स ने सलमान खान को नहीं दी ईदी. बॉक्स ऑफिस और मीडिया के मुताबिक़ ट्यूबलाइट फ्लॉप हो चुकी है लेकिन सलमान खान के कैंप में अब भी ये चर्चा है कि उनकी फिल्म ट्यूबलाइट हिट है और सिर्फ कुछ लोग हैं जो ये फैला रहे हैं कि सलमान की ट्यूबलाइट फ्लॉप साबित हुई. तो आज खुद ही से करते हैं सवाल और पाते हैं उनके जवाब.
सवाल नंबर 1) कैसे तय किया जाये कि सलमान की ट्यूबलाइट हिट है या फ्लॉप क्योंकि फिल्म ने 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है फिर भी क्यों इसे फ्लॉप माना जा रहा है ?
जवाब- सलमान खान के लिये तो ट्यूबलाइट मुनाफ़े का ही सौदा है क्योंकि उन्होंने तो फिल्म डिस्ट्रिब्यूटर्स को बेच दी थी, तो नुक़सान उनका नहीं डिस्ट्रिब्यूटर्स का हुआ है, सरल तरीके से अगर कहा जाये, तो मान लीजिये सलमान ने ये फिल्म तक़रीब 80 करोड़ में बनाई और सिर्फ भारत में 180 करोड़ में बेची तो उन्हें तो भारत से मुनाफ़ा 100 करोड़ का हो गया लेकिन जिसने फिल्म 180 करोड़ में ख़रीदी उसको सिर्फ अपना पैसा निकालने के लिये इंतज़ार करना होगा 198 करोड़ का. तब जाकर वो डिस्ट्रिब्यूटर सिर्फ अपना पैसा निकाल पायेगा, मुनाफ़ा तो तब भी बहुत दूर है. ऐसे में डिस्ट्रिब्यूटर्स के लिये ट्यूबलाइट घाटे का सौदा रही है, क्योंकि 5 दिन में तो सलमान कि फिल्म 200 करोड़ तक पहुंच जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा हो ना सका.
सवाल नंबर 2) डिस्ट्रीब्यूटर कौन होता है और वो फिल्म कहां बेचता है ?
जवाब - आम भाषा में समझाया जाये तो समझ लीजिये, कि एक आदमी सामान बनाता है और फिर वो होलसेल रेट पर बेचता है, फिर होलसेल वाला अपना मुनाफ़ा निकाल कर रिटेलर को बेचता है यानी दुकानदार को, ठीक वैसे ही डिस्ट्रिब्यूटर फिल्म प्रोड्यसर से खरीदता है और फिर एक्सिबिटर यानी सिनेमा हॉल को बेचता है और फिर जनता पर निर्भर होता है कि मुनाफ़ा कितना होगा.
सवाल नंबर 3) डिस्ट्रिब्यूटर्स का कुछ नुकसान, क्या सलमान भरेंगे ?
जवाब - लीगली देखा जाये तो कोई रूल नहीं है, लेकिन पहले के दौर में ऐसा देखा गया है, चाहे राज कपूर हों, बी आर चोपड़ा या सुभाष घई, अगर इनकी फिल्म फ्लॉप होती थी तो मॉरल ग्राउंड्स पर ये उस डिस्ट्रिब्यूटर का नुकसान बांट लेते थे या फिर अपनी अगली फिल्म औरों के मुकाबले उस शक्स को सस्ते में बेचते थे. तो अब दिलदार सलमान खान क्या करेंगे ये फिलहाल कहना मुश्किल होगा .
सवाल4) क्या एक बड़े स्टार होने की वजह से भी बिजनेस पर असर पडता है ?
जवाब- बिलकुल बड़े और सफल स्टार होने से बेचना का भाव बढ़ जाता है और सलमान के मामले में फिल्म आप महंगे दाम पर इस लिये खरीदते हैं कि त्योहार और सलमान आपको मुनाफा नहीं तो कम से कम जितना लगाया है उतना तो वापस दिलवा ही देंगे, जो ट्यूबलाइट के केस में मुश्किल लग रहा है. एक बात और सलमान सेटेलाइट और बांकी जितने भी राइट होते हैं वो सब अपने पास रखते हैं , तो वो फ़ायदा भी डिस्ट्रिब्यूटर को नहीं मिलता.
सवाल5) स्क्रिप्ट ज़रूरी है या स्टार ?
जवाब- वैसे तो पहले स्क्रिप्ट जरूरी होनी चाहिये लेकिन सलमान के मामले इस विषय पर बहस हो सकती है. क्योंकि सलमान की फिल्म 'वांटेड' 'रेडी' 'बॉडी गार्ड' 'रिस्क' और 'दबंग' जैसी फिल्मों की स्क्रिप्ट कोई बहुत कमाल नहीं थी, लेकिन फिर भी सलमान खान की वजह से ये फिल्में चल गयीं, मतलब एक कमर्शियल फिल्म में रिवेंज ड्रामा या कॉमेडी के साथ एक्शन और थोड़ा बहुत मसाला हो और संगीत अगर दमदार है तो फिल्म हिट हो जाती है. किसी और के मामले ऐसा हुआ हो या नहीं लेकिन ये फ़ॉर्मूला सलमान के लिये फायेदमंद साबित रहा. वहीं अगर स्क्रिप्ट थोड़ी बेहतर हो या अच्छी हो तो चांस हिट होने का तो बढ़ता ही है साथ ही स्टार को इज़्ज़त भी मिलती है जिससे उसकी शेल्फ़ लाइफ़ और बढ़ जाती है, इसका सबसे बडा उदाहरण हैं आमिर खान जो इज़्ज़त और मुनाफ़ा दोनों ही कमाते हैं. कुछ ऐसा ही हुआ सलमान खान के साथ जब उनकी फिल्म बजरंगी भाईजान और सुल्तान परदे पर आईं, इन फिल्मों को दर्शकों के साथ क्रिटिक्स ने भी सरहाया और यही वजह बनी कि ट्यूबलाइट से भी उम्मीदें बढ़ी और जब फिल्म उस उम्मीद पर खरी नहीं उतरी तो भाईजान के फ़ैन्स ने भी इसे नकार दिया.
सवाल 6) अगर ट्यूबलाइट इतनी खराब है तो 100 करोड़ तक भी कैसे पहुंची ?
जवाब - ये फायदा मिलता है स्टारडम का, छोटी फिल्म को ये फायदा नहीं मिलता, अगर चार लोंगो ने कहा ये फिल्म फ्लॉप है तो बाकी लोग भी देखने नहीं जाते, लेकिन सलमान या कोई और भी बड़े स्टार के साथ होता ये है, कि आप ये भी देखना चाहते हैं कि अगर ये फिल्म खराब है, तो चलो देखें तो सही कितनी खराब है और इस चक्कर में कई बार अच्छा खासा बिजनेस हो जाता है. ट्यूबलाइट को भी स्टारडम का फायदा मिल गया. वरना कितने स्टार हैं जिनकी फिल्म सौ करोड़ तक पहुंचती फिर भी हिट कहलाई जाती हैं. लेकिन यहां सलमान खान हैं जिनकी फिल्म सौ करोड़ होने के बाद भी फ्लॉप कही जा रही है, ऐसा तब भी हुआ था जब सलमान की फिल्म 'जय हो' रिलीज हुई थी. भारत में 107 करोड़ का बिस्नेस करने के बाद भी वो फ्लॉप मानी गयी थी, लेकिन तब भी नुक़सान सलमान का नहीं डिस्ट्रिब्यूटर का हुआ था.
वैसे ये सिर्फ सलमान के साथ नहीं होता है बड़े स्टार होने का फ़ायदा है तो नुक़सान भी है, 80 के दशक में अमिताभ बच्चन के साथ भी यही होता था, उनकी फिल्म नास्तिक, पुकार, या देश प्रेमी फ्लॉप मानी गईं थी लेकिन उस वक्त के जो और बड़े स्टार थे उनकी हिट फिल्म का बिज़नेस अमिताभ की फ्लॉप फिल्म के बराबर और कई बार तो उससे भी कम होता था फिर भी उन स्टार्ज की फिल्म हिट मान ली जाती थीं. अब सलमान खान जैसा सुपर स्टार, जिसकी फिल्में 200 करोड़ और 300 तक के आंकड़े पर पहुंचती हैं, तो उस हिसाब से 100 करोड़ तो बहुत ज्यादा नहीं है, या तो सलमान खान अपनी फिल्म सस्ते में बनाये और कम दाम पर बेचें, ये तो सलमान करने से रहे तो बड़े स्टारडम की अगर तारीफ बड़ी होती है तो बुराई भी बड़ी होती है.
पूरा मामला बॉक्स ऑफिस का नहीं, बल्कि 'उम्मीदों' के बॉक्स ऑफिस का है. यदि सलमान की फिल्म फैंस की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी तो भले वो कितने ही पैसे कमा ले. फिल्म तो फ्लॉप ही है न.
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