बेइज्जती करने के चरम को रोस्ट कहते हैं, जो आजकल 'कॉमेडी नाइट्स बचाओ' में जमकर किया जाता है. यहां शो पर आने वाले सितारों का मजाक उड़ाने की परंपरा रही है. इस शो पर कलाकार अक्सर अपनी फिल्मों के प्रमोशन के लिए आते हैं, अभिनेत्री तनिष्ठा चटर्जी भी अपनी फिल्म 'पार्च्ड' के प्रोमोशन के लिए ही यहां गई थीं, जहां उनके रंग को लेकर उनका अपमानजनक मजाक बनाया गया. वो अपने साथ हुए इस व्यवहार से बेहद नाराज हुईं और शो छोड़कर चली गईं. उसके बाद उन्होंने अपनी बात फेसबुक के जरिए लोगों के सामने रखी.
शो में रंग को लेकर उनका अपमानजनक मजाक उड़ाया गया |
तनिष्ठा ने लिखा कि-
मुझे बहुत धक्का लगा है, मुझे एक बहुत पॉपुलर शो 'कॉमेडी नाइट्स बचाओ' के लिए इंवाइट किया गया, जहां मैं निर्देशक लीना यादव और अपनी सह कलाकार राधिका आप्टे के साथ गई थी. मुझे बताया गया था कि ये एक कॉमेडी शो है जहां रोस्ट किया जाता है.
शो शुरू होता है, और तब मुझे पता चलता है कि ये रोस्ट कितना भायनक था. मुझे जल्दी पता चल गया कि मेरे अंदर उन्हें रोस्ट करने लायक एक ही चीज नजर आई, वो था मेरा रंग. शुरुआत इससे हुई कि 'आपको जामुन बहुत पसंद होगा जरूर, कितना जामुन खाया आपने बचपन से?' और वो इसी दिशा में जाता रहा, एक काले रंग की अभिनेत्री का मजाक सिर्फ उसके रंग पर ही बना सकते थे. वो मुझे केवल मेरे रंग से ही तो पहचानते.
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बेइज्जती करने के चरम को रोस्ट कहते हैं, जो आजकल 'कॉमेडी नाइट्स बचाओ' में जमकर किया जाता है. यहां शो पर आने वाले सितारों का मजाक उड़ाने की परंपरा रही है. इस शो पर कलाकार अक्सर अपनी फिल्मों के प्रमोशन के लिए आते हैं, अभिनेत्री तनिष्ठा चटर्जी भी अपनी फिल्म 'पार्च्ड' के प्रोमोशन के लिए ही यहां गई थीं, जहां उनके रंग को लेकर उनका अपमानजनक मजाक बनाया गया. वो अपने साथ हुए इस व्यवहार से बेहद नाराज हुईं और शो छोड़कर चली गईं. उसके बाद उन्होंने अपनी बात फेसबुक के जरिए लोगों के सामने रखी.
शो में रंग को लेकर उनका अपमानजनक मजाक उड़ाया गया |
तनिष्ठा ने लिखा कि-
मुझे बहुत धक्का लगा है, मुझे एक बहुत पॉपुलर शो 'कॉमेडी नाइट्स बचाओ' के लिए इंवाइट किया गया, जहां मैं निर्देशक लीना यादव और अपनी सह कलाकार राधिका आप्टे के साथ गई थी. मुझे बताया गया था कि ये एक कॉमेडी शो है जहां रोस्ट किया जाता है.
शो शुरू होता है, और तब मुझे पता चलता है कि ये रोस्ट कितना भायनक था. मुझे जल्दी पता चल गया कि मेरे अंदर उन्हें रोस्ट करने लायक एक ही चीज नजर आई, वो था मेरा रंग. शुरुआत इससे हुई कि 'आपको जामुन बहुत पसंद होगा जरूर, कितना जामुन खाया आपने बचपन से?' और वो इसी दिशा में जाता रहा, एक काले रंग की अभिनेत्री का मजाक सिर्फ उसके रंग पर ही बना सकते थे. वो मुझे केवल मेरे रंग से ही तो पहचानते.
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मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं मुंबई में 2016 में नेशनल चैनल पर बैठी हूं. मैं इसे मजाक नहीं कह सकती. ये सिर्फ नस्लवाद था. मुझे वहां घुटन हो रही थी, लेकिन फिर भी मौंने उन्हें एक और मौका दिया. लेकिन कुछ नहीं बदला, मैं वहां और नहीं बैठ सकती थी, मुझे वहां से जाना पड़ा. जब मैंने ऑर्गेनाइजर्स से बात की तो उन्होंने मुझे बताया कि हमने तो आपको पहले ही बताया था कि ये रोस्ट है. तब मैंने उन्हें रोस्ट की आम धारणा क्या है. उन्हें बताया कि किसी की शारीरिक विशेषताओं पर जोक करने में ह्यूमर तो बिल्कुल नहीं है. पर मुझे लगता है उन्हें समझ नहीं आया. मेरे दोस्तों ने भी बताया कि मुझे ये गंभीरता से नहीं लेना चाहिए ये सिर्फ मजाक था.
एक देश जहां फेयर एंड लवली बेची जाती है, जहां लोगों को उनके रंग के कारण नौकरियां नहीं मिलतीं, जहां शादी के हर विज्ञापन में गोरे लड़के-लड़कियों की मांग की जाती है, रंग को लेकर लोग पूर्वाग्र से ग्रसित हैं, वो समाज जिसमें काले रंग से शिकायत हमेशा से रही है, उस देश में जहां काले रंग के लोगों के किनारे कर दिया जाता है, वहां अगर इसका मजाक उड़ाया जाए तो ये रोस्ट नहीं है. मैंने उन्हें बताया कि ये व्यक्तिगत नहीं बल्कि बहुत बड़ा मुद्दा है, ये मानसिकता है.
सवाल मुझसे माफी मांगने का नहीं बल्कि इस मानसिकता के साथ कॉमेडी के नाम पर इस सोच के प्रचार का है, खासकर तब, जबकि ये नेशनल चैनल के एक शो पर हो. इसपर बहस की जा सकती है कि काले रंग के लोगों का मजाक क्यों बनाया जाता है? किसी को काला कहने में फनी क्या है? मुझे समझ नहीं आता 2016 में भी हमारे देश में मुझे अपने रंग की वजह से शर्मिंदा होना पड़ता है. ये गोरे रंग का नशा क्या है?
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मुझसे एक बार किसी ने पूछा- आपका सरनेम चटर्जी है? अच्छा आप ब्राह्मण हैं..आपकी मां का सरनेम क्या है? मैत्रा. अच्छा वो भी ब्राह्मण हैं. सीधे सीधे तो नहीं लेकिन उसने मुझे पता दिया कि ब्राह्मण होने तके बावजूद बी मेरा रंग काला क्यों है. ये समारे समाज की जड़ों में है कि रंग को हमारी जाति और वर्ण से जोड़ा जाता है. ऊंची जाति=गोरा रंग=छूत, नीची जाति=काला रंग=अछूत. हां मैंने ये सब कहा, और मुझे पता है कि बहुत लोग काले रंग को लेकर अपनी घृणा को स्वीकार नहीं करेंगे.''
ये रही तनिष्ठा की पूरी पोस्ट यहां पढ़ें
बता दें कि तनिष्ठा इन दिनों फिल्म 'पार्च्ड' में किए अभिनय को लेकर चर्चा में हैं. इसमें उन्होंने सुरवीन चावला और राधिका आप्टे के साथ ग्रामीण महिला का किरदार निभाया है. फिल्म में वो एक विधवा मां बनी हैं जो अपने बेटे के लिए दुल्हन खोज कर लाती है. फिल्म की कहानी भी जेंडर, शरीर, रंग, जाति, और सेक्सुएलिटी पर आधारित है.
फिल्म पार्ट्ड के एक दृश्य में तनिष्ठा |
तो फिलहाल तनीष्ठा तो खुद पर किया मजाक बर्दाश्त नहीं कर पाईं, और उन्होंने 'कॉमेडी नाइट्स बचाओ' पर अपना खराब अनुभव श्यर किया, लेकिन अब तक यहां आए बॉलिवुड के नामी सितारे बेइज्जती के बहुत ही कड़वे घूंट निगल चुके हैं. हैरानी होती है कि रोस्ट, फन और कॉमेडी के नाम पर किसी का भी अपमान करना लोगों के कितना हंसा पाता होगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.