फिल्मी दुनिया भी बड़ी अजीब है. लोग असल जिंदगी से कम और फिल्मों से ज्यादा प्रेरित होते हैं. कभी किसी फिल्म से प्रभावित होकर स्टूडेंट्स स्टंट करते दिख जाएंगे तो कभी कोई क्रिमिनल किसी फिल्म से प्रभावित होकर रॉबरी कर देगा. फिल्मों में काफी कुछ दिखाया जाता है जो देखने में तो सही लगता है, लेकिन असली होता नहीं है. चलिए कुछ बातों पर गौर करते हैं.
- जरूरी नहीं की फिल्मी हीरो बदल गया तो हर कोई बदल जाएगा...
हमारी बॉलीवुड फिल्मों का अजीब सा कॉन्सेप्ट होता है. कोई फिल्मी हीरो किसी सीधी-साधी लड़की के प्यार में पड़कर गुंडे से शरीफ इंसान बन जाता है. जहां फिल्मों में ये 80% बार होता है वहीं, असल जिंदगी में ये अगर किसी के साथ होता है तो वो अपवाद ही होता है.
फिल्म एक विलेन का एक सीन |
-आप किसी प्लेन या ट्रेन को सिर्फ अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने के लिए नहीं रोक सकते...
देखिए भले ही फिल्मों में ये नजारा कितना भी अच्छा लगे, लेकिन असल जिंदगी में ऐसे कोई भी अपनी गर्लफ्रेंड को रोकने के लिए ट्रेन या प्लेन नहीं रुकवा सकता. अगर आप किसी सेंसिटिव एरिया में रहेंगे तो आपको पुलिस पकड़ लेगी या फिर आपपर गोली भी चल सकती है. कृपया ऐसा घर पर दोहराने की कोशिश ना करें.
फिल्म जाने तू या जाने ना का एयरपोर्ट वाला... फिल्मी दुनिया भी बड़ी अजीब है. लोग असल जिंदगी से कम और फिल्मों से ज्यादा प्रेरित होते हैं. कभी किसी फिल्म से प्रभावित होकर स्टूडेंट्स स्टंट करते दिख जाएंगे तो कभी कोई क्रिमिनल किसी फिल्म से प्रभावित होकर रॉबरी कर देगा. फिल्मों में काफी कुछ दिखाया जाता है जो देखने में तो सही लगता है, लेकिन असली होता नहीं है. चलिए कुछ बातों पर गौर करते हैं. - जरूरी नहीं की फिल्मी हीरो बदल गया तो हर कोई बदल जाएगा... हमारी बॉलीवुड फिल्मों का अजीब सा कॉन्सेप्ट होता है. कोई फिल्मी हीरो किसी सीधी-साधी लड़की के प्यार में पड़कर गुंडे से शरीफ इंसान बन जाता है. जहां फिल्मों में ये 80% बार होता है वहीं, असल जिंदगी में ये अगर किसी के साथ होता है तो वो अपवाद ही होता है.
-आप किसी प्लेन या ट्रेन को सिर्फ अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने के लिए नहीं रोक सकते... देखिए भले ही फिल्मों में ये नजारा कितना भी अच्छा लगे, लेकिन असल जिंदगी में ऐसे कोई भी अपनी गर्लफ्रेंड को रोकने के लिए ट्रेन या प्लेन नहीं रुकवा सकता. अगर आप किसी सेंसिटिव एरिया में रहेंगे तो आपको पुलिस पकड़ लेगी या फिर आपपर गोली भी चल सकती है. कृपया ऐसा घर पर दोहराने की कोशिश ना करें.
- फिजिक्स के नियम बिलकुल तोड़े नहीं जा सकते (भले ही रोहित शेट्टी कितनी भी गाड़ियां उड़ा लें) ये भी पढ़ें- आज समझ आया मां को रीमिक्स सुनकर कैसा लगता होगा... एक बात जो हॉलीवुड, बॉलीवुड और टॉलीवुड सभी फिल्मों में आम रहती है वो ये कि फिजिक्स की धज्जियां बड़ी ही आसानी से उड़ाई जाती हैं. अब देखिए ना रोहित शेट्टी की फिल्मों में गाड़ियां उड़ती हैं, साउथ की फिल्में में तो सीधे हीरो ही उड़ने लगता है और 1000 गोलिंया अगर एक सेकंड में चल रही हों फिर भी बच जाता है.
हॉलीवुड फिल्मों में ये कम होता है, लेकिन फिर भी कई फिल्में ऐसी मिल जाएंगी जिसमें डायरेक्टर फिजिक्स या केमेस्ट्री के नियमों को दरकिनार कर देता है. तो यकीन मानिए आप कितना भी स्कॉर्पियो स्पीड में चला लें वो उड़ेगी तो नहीं और ना ही किसी गाड़ी के पेट्रोल टैंक में गोली मारने से ब्लास्ट होगा. हां आग जरूर बहुत जोर की लगेगी. और जनाब फास्ट एंड फ्यूरियस की तरह अगर आप गाड़ी चलाएंगे तो सोच लीजिए एयरबैग्स जरूर खुलेंगे. - नहीं और बिलकुल नहीं, सिर्फ चश्मा उतारने से कोई स्मार्ट नहीं बनेगा देखिए आम इंसान जिसे आपने कभी बिना चश्मे के नहीं देखा वो अगर अचानक से चश्मा उतारेगा तो स्मार्ट नहीं लगेगा बल्कि अजीब ही दिखेगा. भले ही बॉलीवुड फिल्मों में हिरोइन चश्मा उतारकर बाल खोलकर अचानक सुंदर बन जाए, लेकिन मेरी मानिए असल जिंदगी में ये नहीं होता. - कोई एक हीरो 100 गुंडों या शेर पर भारी नहीं पड़ सकता अब अगर आपको लगता है कि थोड़े दिन जिम जाने के बाद आप भी फिल्मी हीरो की तरह आसानी से कई गुंडों का मुकाबला कर लेंगे तो ऐसा बिलकुल नहीं होगा. ध्यान रखिए ये सेहत के लिए बहुत हानिकारक है. ऐसा करने पर आपकी हड्डियां भी टूट सकती हैं. कुल मिलाकर बॉलीवुड-हॉलीवुड या टॉलीवुड कोई भी फिल्म हो, जो दिखाया जाता है वो सब कुछ सही नहीं होता. हम इस बात को जानते तो हैं, लेकिन फिर भी मान नहीं पाते. फिल्मों में किए गए स्टंट दोहराते हुए कई लोग आपको रोजाना दिख सकते हैं. कहीं किसी कॉलेज के बाहर धूम फिल्म के हीरो की तरह बाइक उछालते स्टूडेंट्स तो आम बात है. ये भी पढ़ें-'रईस' की सफलता के लिए मोहरा हैं ये विवाद आए दिन ये खबरें आती रहती हैं कि किसी फिल्म के कारण कोई क्राइम हो गया. 2015 में भी ऐसा केस हुआ था जिसमें एक ऑस्ट्रेलियन-इंडियन ने ये कहा था कि बॉलीवुड फिल्मों से इंस्पायर होकर उसने दो युवतियों को छेड़ा. फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे रिलीज होने के बाद क्राइम और रेप जैसी घटनाएं भारत में काफी बढ़ गई थीं. इनमें से कुछ में तो नाबालिग लोग शामिल थे. हाल ही में आया फिफ्टी शेड्स डार्कर का ट्रेलर भी आने वाली फिल्म की ओर इशारा कर रहा है. तो क्या सिर्फ फिल्में देखने से लोग इतने प्रभावित हो जाते हैं कि कुछ भी ट्राय कर लें. देखिए ये सही है कि फिल्मों में काफी कुछ ऐसा होता है जिसे देखकर मन करे कि काश हम भी ऐसा कर पाएं. हीरोगिरी दिखाना और आजमाना दोनों अलग बातें हैं. ऐसी कई फिल्में हैं जिनसे प्रभावित होकर लोग क्राइम कर चुके हैं, तो इसमें गलती किसकी मानी जाए? क्रिमिनल की या फिल्म मेकर की? ऐसा तो कभी न्यूज में नहीं आया कि किसी फिल्म से प्रेरित होकर किसी इंसान ने कोई अच्छा काम किया हो? तो जनाब फिल्मों को देखिए, मनोरंजन कीजिए, लेकिन इतना सीरियस भी मत हो जाइए कि कुछ गलत हो जाए. इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |