बाब रामदेव कहते हैं कि विदेशी कंपनीयों का त्याग कीजिए. जबकि मोदी सरकार के आने के बाद तो विदेशी निवेश कई गुना बढ़ा है. तो क्या 'मेक इन इंडिया' को बंद कर देना चाहिये? वैसे तो आप कई महीनों से बाबा रामदेव के प्रोडक्टस के विज्ञापन टीवी पर देख रहे होंगे. मगर एक विज्ञापन आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है.
बाबा रामदेव के मुताबिक 'देश में विदेशी कंपनियों द्वारा बेची जा रही लगभग हर वस्तु में मिलावट है. आईए, संकल्प लें कि 15 अगस्त को विदेशी चीजों का त्याग करेंगे. 1906 में भी विदेशी कंपनियों का त्याग किया गया था, इस्ट इंडिया कंपनी ने देश को खूब लूटा'.
यह भी पढ़ें- पतंजलि है देशभक्ति का नया आधार
बताईये बाबा रामदेव तो कह रहे हैं कि विदेशी कंपनियों की बनी किसी भी चीज़ का त्याग कीजिए. वहीं हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी तो विदेशी कंपनियों को ज़ोर शोर से आमंत्रण देते हैं. आईए और हमारे देश में दिल खोलकर व्यापार कीजिए. मुझे तो आश्चर्य होता है कि सरकार को कोई दिक्कत क्यों नहीं हुई अभी तक? कैसे ऐसे विज्ञापन को टीवी पर चलने की इजाज़ मिल गई? क्योंकि जैसे सरकार विदेशी कंपनियों को न्योता दे रही है उस हिसाब से तो ये विज्ञापन सरकार विरोधी हुआ.
आपके प्रिय प्रधानमंत्री मोदी तो FDI को किसी भी कीमत पर ज्यादा से ज्यादा लाना चाहते है. एक बार इस आंकड़े पर नज़र डाल लीजिए. भारत में पिछले 16 वर्षों में करीब 424.16 बिलियन डॉलर यानी 28.5 लाख करोड़ रुपये का विदेशी निवेश हुआ है.
सरकार तो बाहें खोल कर... बाब रामदेव कहते हैं कि विदेशी कंपनीयों का त्याग कीजिए. जबकि मोदी सरकार के आने के बाद तो विदेशी निवेश कई गुना बढ़ा है. तो क्या 'मेक इन इंडिया' को बंद कर देना चाहिये? वैसे तो आप कई महीनों से बाबा रामदेव के प्रोडक्टस के विज्ञापन टीवी पर देख रहे होंगे. मगर एक विज्ञापन आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है. बाबा रामदेव के मुताबिक 'देश में विदेशी कंपनियों द्वारा बेची जा रही लगभग हर वस्तु में मिलावट है. आईए, संकल्प लें कि 15 अगस्त को विदेशी चीजों का त्याग करेंगे. 1906 में भी विदेशी कंपनियों का त्याग किया गया था, इस्ट इंडिया कंपनी ने देश को खूब लूटा'. यह भी पढ़ें- पतंजलि है देशभक्ति का नया आधार बताईये बाबा रामदेव तो कह रहे हैं कि विदेशी कंपनियों की बनी किसी भी चीज़ का त्याग कीजिए. वहीं हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी तो विदेशी कंपनियों को ज़ोर शोर से आमंत्रण देते हैं. आईए और हमारे देश में दिल खोलकर व्यापार कीजिए. मुझे तो आश्चर्य होता है कि सरकार को कोई दिक्कत क्यों नहीं हुई अभी तक? कैसे ऐसे विज्ञापन को टीवी पर चलने की इजाज़ मिल गई? क्योंकि जैसे सरकार विदेशी कंपनियों को न्योता दे रही है उस हिसाब से तो ये विज्ञापन सरकार विरोधी हुआ. आपके प्रिय प्रधानमंत्री मोदी तो FDI को किसी भी कीमत पर ज्यादा से ज्यादा लाना चाहते है. एक बार इस आंकड़े पर नज़र डाल लीजिए. भारत में पिछले 16 वर्षों में करीब 424.16 बिलियन डॉलर यानी 28.5 लाख करोड़ रुपये का विदेशी निवेश हुआ है.
वाणिज्य मंत्रालय की वेबसाइट कहती है कि इस साल यानी 2015-16 में 55 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश आया यानी करीब 3,72,075 करोड़ रुपये. जबकि पिछले साल यानी 2014-15 में ये आंकड़ा करीब 45 बिलियन डॉलर यानी 3,04,425 करोड़ रुपये. एक साल में ही विदेशी निवेश में करीब 10 बिलियन डॉलर यानी 68 हज़ार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है. अब सरकार के इस ट्वीट पर एक नज़र अगर इस आंकड़े को बाबा रामदेव देखें और ध्यान दें कि सरकार तो विदेशी निवेश को बढ़ावा दे रही है. मोदी सरकार के आने के बाद तो निवेश बढ़ ही रहा है. ऐसे में बाबा के लिये तो कांग्रेस सरकार ही अच्छी थी. बीजेपी 10 साल एफडीआई का विरोध करती रही. और सरकार में आते ही सबसे पहले एफडीआई पर ही ध्यान दिया. यह भी पढ़ें- बाबाओं का सुपर मार्केट: आध्यात्म से कंज्यूमर प्रोडक्ट तक बाबा रामदेव के प्रोडक्ट्स से मुझे कोई दिक्कत नहीं. ना ही मुझे उनके चैरीटी वाले विज्ञापन से हैं. मगर बाबा को जनता से नहीं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी से बात करनी चाहिए कि वो विदेशी निवेश न लाएं. ये लोग देश को लूट रहे हैं. सिर्फ बाबा रामदेव ही अपने प्रोडक्ट बेच कर देश की सबसे बड़ी सेवा कर रहे हैं. विदेशी कंपनियों के तो लगभग हर प्रोडक्ट में मिलावट है. सिर्फ पतंजली के ही प्रोडक्ट सबसे बेहतर.
बाबा रामदेव के पतंजलि के प्रोडक्टस बेचने के लिये बॉलीवुड के किसी बड़े स्टार की भी ज़रुरत नहीं है. वो खुद ही इसका प्रचार जोरदार डॉयलाग बोलकर करते हैं जैसे कि - 'जैसे ताजे फलों को रहें हो चूस, ऐसे है पतंजलि के शुद्ध फ्रूट जूस'. सच में बाबा जी ऐसा तो अच्छे-अच्छे एक्टर नहीं बोल पाते हैं. मगर आपका जवाब नहीं! इस बात में कोई शक नहीं कि बाबा रामदेव भी अब किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं. मगर जनता क्या करे बाबाजी? मोदीजी को ही समझाइए कि मोदी जी ये विदेशी कंपनियां देश को लूट रही हैं. ये 'मेक इन इंडिया' नहीं बल्कि 'लूट इन इंडिया' है. जनता बड़ी भोली है वो बेचारी समझ नहीं पाती...क्या अच्छा...कौन अच्छा या कौन बुरा. आप हमारी सरकार को बताईये कि 1906 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश को लूटा और अब एक बार फिर ये विदेशी कंपनियां देश को लूटने का काम कर रही हैं. कृप्या करके आप 'मेक इन इंडिया' को बंद ही कर दीजिए. यह भी पढ़ें- लालू और रामदेव की इस मुलाकात के यही मायने हो सकते हैं इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |