हिंदुस्तान में सलाह बहुत दी जाती है. प्यार में मिले धोखे से लेकर रॉकेट साइंस तक हर बात के लिए लोग सलाह देते रहते हैं. यही बात होती है वित्तीय मामलों में. फाइनेंशियल एडवाइस के मामले में तो भारतीय कुछ अलग ही होते हैं. गुजरात से लेकर पंजाब तक सबकी अलग-अलग एडवाइस होती है. किस शेयर में पैसे लगाने है वो भी राज्य के हिसाब से बदल जाता है. पर किस इंसान की सलाह पर भरोसा करें? फोर्ब्स वेबसाइट पर एक आर्टिकल के अनुसार उन लोगों की लिस्ट बताई गई है जिनपर कभी किसी भी वित्तीय सलाह को लेकर भरोसा नहीं करना चाहिए...
1. ऑफिस के दोस्त या करीबी...
अपने ऑफिस के दोस्तों के साथ आप परिवार की तुलना में ज्यादा वक्त बिताते हैं और इसकी बहुत उम्मीद है कि उनके द्वारा कही गई बातों को दिल से लगा बैठते हैं. अगर ऑफिस के किसी फलाने इंसान ने कोई सलाह दी तो जरूरी नहीं है कि उसे आंख बंद कर मान ही लिया जाए.
देखिए उस इंसान को आपकी तनख्वाह के बारे में पता होगा, कंपनी के बारे में पता होगा, लेकिन आप अपनी जिंदगी में क्या करना चाहते हैं ये तो नहीं जानता होगा न. ऐसे में सुने सबकी और फिर जाकर किसी अच्छे फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह ले लें.
2. परिवार वाले...
परिवार वालों को आपकी सैलरी के बारे में पता होगा. आपके द्वारा किए गए काम के बारे में पता होगा और उनकी बात आप सुनेंगे भी, लेकिन पैसों के मामले में उनके भी कुछ विचार होंगे और ये विचार सुनने तो बेहतर होंगे, लेकिन फाइनेंशियल एडवाइज के तौर पर अमल नहीं किए जा सकते. कारण ये है कि परिवार वालों का आपके पैसे पर हक होता है और वो उसी हिसाब से सोच सकते हैं. इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है कि वो आपका भला नहीं सोचेंगे, लेकिन फिर भी परिवार वालों की सलाह लेने के साथ अगर किसी एक्सपर्ट की सलाह ले ली जाए तो ज्यादा फायदा...
हिंदुस्तान में सलाह बहुत दी जाती है. प्यार में मिले धोखे से लेकर रॉकेट साइंस तक हर बात के लिए लोग सलाह देते रहते हैं. यही बात होती है वित्तीय मामलों में. फाइनेंशियल एडवाइस के मामले में तो भारतीय कुछ अलग ही होते हैं. गुजरात से लेकर पंजाब तक सबकी अलग-अलग एडवाइस होती है. किस शेयर में पैसे लगाने है वो भी राज्य के हिसाब से बदल जाता है. पर किस इंसान की सलाह पर भरोसा करें? फोर्ब्स वेबसाइट पर एक आर्टिकल के अनुसार उन लोगों की लिस्ट बताई गई है जिनपर कभी किसी भी वित्तीय सलाह को लेकर भरोसा नहीं करना चाहिए...
1. ऑफिस के दोस्त या करीबी...
अपने ऑफिस के दोस्तों के साथ आप परिवार की तुलना में ज्यादा वक्त बिताते हैं और इसकी बहुत उम्मीद है कि उनके द्वारा कही गई बातों को दिल से लगा बैठते हैं. अगर ऑफिस के किसी फलाने इंसान ने कोई सलाह दी तो जरूरी नहीं है कि उसे आंख बंद कर मान ही लिया जाए.
देखिए उस इंसान को आपकी तनख्वाह के बारे में पता होगा, कंपनी के बारे में पता होगा, लेकिन आप अपनी जिंदगी में क्या करना चाहते हैं ये तो नहीं जानता होगा न. ऐसे में सुने सबकी और फिर जाकर किसी अच्छे फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह ले लें.
2. परिवार वाले...
परिवार वालों को आपकी सैलरी के बारे में पता होगा. आपके द्वारा किए गए काम के बारे में पता होगा और उनकी बात आप सुनेंगे भी, लेकिन पैसों के मामले में उनके भी कुछ विचार होंगे और ये विचार सुनने तो बेहतर होंगे, लेकिन फाइनेंशियल एडवाइज के तौर पर अमल नहीं किए जा सकते. कारण ये है कि परिवार वालों का आपके पैसे पर हक होता है और वो उसी हिसाब से सोच सकते हैं. इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है कि वो आपका भला नहीं सोचेंगे, लेकिन फिर भी परिवार वालों की सलाह लेने के साथ अगर किसी एक्सपर्ट की सलाह ले ली जाए तो ज्यादा फायदा हो सकता है.
3. जो आपसे ज्यादा अमीर हों...
जिनके पास ज्यादा पैसे हैं वो सही फाइनेंशियल एडवाइस दे पाएं ये सही नहीं हैं. आप नहीं जानते जो दिखने में अमीर हैं वो असल में न जाने कितने कर्ज में डूबे हुए हों. इसके अलावा, ये भी हो सकता है कि वो खुद के फाइनेंशियल फैसले किसी और से पूछ कर लेते हों इसलिए बेहतर ये है कि ऐसे लोगों की सलाह न मानें.
4. जो कोई फाइनेंशियल प्रोडक्ट बेच रहे हो...
कोई पॉलिसी बेचने वाला या किसी बैंक का कर्मचारी शायद आपको उतनी अच्छी सलाह न दे पाए. इसके दो कारण हो सकते हैं पहला ये कि वो अपनी कंपनी से जुड़े प्रोडक्ट्स की ही तारीफ करेगा और दूसरा ये कि उसे मार्केट की समझ सिर्फ सीमित ही होगी. हो सकता है कि वो सही सलाह देने की कोशिश करे फिर भी वो आपके लिए सही न हो.
ये सभी सही सालह तो देते हैं, लेकिन इनकी सलाह सुनने के बाद किसी प्रोफेश्नल सीए से सलाह लेना भी सही रहेगा. कारण ये है कि इससे शेयर मार्केट जैसे मुश्किल मसलों पर भी सलाह ली जा सकेगी.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.