नरेंद्र मोदी के 8 नवंबर के ऐतिहासिक ऐलान के बाद से ही पूरे देश में हाहाकार मच गया है. एटीएम की लंबी लाइनें, बैंकों में हो रहे कलेश, लोगों को हो रही दिक्कतें और राजनीति के अलावा, इस समय देश में कोई और मुद्दा नहीं चल रहा है. हर मौके पर ये फैसला बहस का कारण बन रहा है. हालांकि, मोदी का ये फैसला और इसके पीछा का विचार अच्छा लगता है, लेकिन आम जन को हो रही दिक्कतें भी हम नजरअंदाज भी नहीं कर सकते हैं. किसी की मृत्यु और हो रही परेशानियों को सुनें तो दिल दुखता है, लेकिन कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं जिनसे लगता है कि शायद ये फैसला सही है और अच्छे दिन आ गए हैं...
1. 13860 करोड़ रुपये का कालाधन...
गुजरात के एक बिजनेसमैन ने 13860 करोड़ का कालाधन केंद्र की इनकम डिक्लेरेशन स्कीम के तहत घोषित किया है. अहमदाबाद के महेश शाह जो एक पुरानी बिल्डिंग में रहते थे और इनकम टैक्स रिटर्न हर साल 2 से 3 लाख रुपये की आय पर दिखाते थे असल में करोड़पति निकले.
सांकेतिक फोटो |
शाह काम के लिए रोज ऑटो लेकर जाते थे और किसी को इस बात का शक नहीं होने दिया कि उनके पास इतनी दौलत है. नोटबंदी के बाद 500-1000 के नोट जैसे ही चलना बंद हुए वैसे ही आयकर विभाग भी सक्रिय हो गया है.
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2. 11 लाख करोड़ बैंकों में जमा...
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार 8 नवंबर से 30 नवंबर के बीच...
नरेंद्र मोदी के 8 नवंबर के ऐतिहासिक ऐलान के बाद से ही पूरे देश में हाहाकार मच गया है. एटीएम की लंबी लाइनें, बैंकों में हो रहे कलेश, लोगों को हो रही दिक्कतें और राजनीति के अलावा, इस समय देश में कोई और मुद्दा नहीं चल रहा है. हर मौके पर ये फैसला बहस का कारण बन रहा है. हालांकि, मोदी का ये फैसला और इसके पीछा का विचार अच्छा लगता है, लेकिन आम जन को हो रही दिक्कतें भी हम नजरअंदाज भी नहीं कर सकते हैं. किसी की मृत्यु और हो रही परेशानियों को सुनें तो दिल दुखता है, लेकिन कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं जिनसे लगता है कि शायद ये फैसला सही है और अच्छे दिन आ गए हैं...
1. 13860 करोड़ रुपये का कालाधन...
गुजरात के एक बिजनेसमैन ने 13860 करोड़ का कालाधन केंद्र की इनकम डिक्लेरेशन स्कीम के तहत घोषित किया है. अहमदाबाद के महेश शाह जो एक पुरानी बिल्डिंग में रहते थे और इनकम टैक्स रिटर्न हर साल 2 से 3 लाख रुपये की आय पर दिखाते थे असल में करोड़पति निकले.
सांकेतिक फोटो |
शाह काम के लिए रोज ऑटो लेकर जाते थे और किसी को इस बात का शक नहीं होने दिया कि उनके पास इतनी दौलत है. नोटबंदी के बाद 500-1000 के नोट जैसे ही चलना बंद हुए वैसे ही आयकर विभाग भी सक्रिय हो गया है.
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2. 11 लाख करोड़ बैंकों में जमा...
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार 8 नवंबर से 30 नवंबर के बीच बैंकों में 11 लाख करोड़ रुपए जमा किए गए हैं. इसी के साथ, रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में आया था कि 27 नवंबर तक 8.4 लाख करोड़ रुपये बैंकों में जमा कर दिए गए हैं. इससे बैंकों के पास नकदी बढ़ी है. इंस्टिट्यूट ऑफ लंदन के इकोनॉमिस्ट टिम वॉरस्टॉल का मानना है कि इससे भारतीय इकोनॉमी को फायदा होगा. हालांकि, कई इकोनॉमिस्ट इस कदम को गलत भी बता रहे हैं. फिर भी इसे पॉजिटिव स्टेप माना जा सकता है.
3. 'जनधन' खातों में कालाधन जमा करने वालों पर लगाम...
आयकर विभाग जनधन खातों के गलत इस्तेमाल पर भी जांच कर रहा है. कोलकाता, बिहार, कोच्चि और वाराणसी में ऐसे लोगों के जन धन खातों से लगभग 1.64 करोड़ रुपये का ख़ुलासा किया जिन्होंने कभी इनकम टैक्स नहीं भरा. जनधन खातों में नक्सली अपना पैसा डाल रहे थे इसकी खबरें भी आती रहती हैं. ऐसे में इसे अच्छा संकेत माना जा सकता है.
अकेले बिहार में ऐसे जन धन खातों से 40 लाख रुपये जब्त किए गए हैं. इन सभी पर आईटी एक्ट 1961 के तहत कार्रवाई की जाएगी. कई और खातों की जांच की जा रही है.
4. जहां-तहां बोरों में भरे 500-1000 के नोट मिल रहे हैं...
जहां-तहां बोरों में भरे, जले हुए या कचरे में पड़े हुए नोट मिल रहे हैं. कुछ लोग इसे कालाधन कह रहे हैं और कुछ लोग इसे नकली नोट कह रहे हैं पर जो भी हो इससे ये तो साबित हो रहा है कि ये व्हाइट मनी तो नहीं था जिसे बैंकों में जमा किया जा सके.
फाइल फोटो- नरेंद्र मोदी |
5. सहकारी बैंकों पर आयकर की नजर...
सहकारी बैंकों के ट्रांजेक्शन पर भी आयकर विभाग की नजर पड़ गई है. गुजरात में तो कुछ सहकारी बैंकों से आरबीआई ने नकेल कस दी है. गौरतलब है कि गुजरात के सहकारी बैंकों में नोटबंदी के कुछ दिन के अंदर ही करोड़ों रुपए जमा हुए थे.
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इसी बीच एक ऐसी घटना भी हुई जिसने सोचने पर मजबूर कर दिया है. एचडीएफसी बैंक ने पुराने नोट बदलने में अनियमितताएं बरतने के आरोप में एक बैंक मैनेजर समेत चार कर्मचारियों को निकाल दिया है. जानकारी के मुताबिक बैंक ने चंडीगढ़ के सेक्टर 15 स्थित एचडीएफसी बैंक के ब्रांच मैनेजर और तीन अन्य कर्मचारियों को नौकरी से टर्मिनेट कर दिया है.
बैंक के प्रवक्ता राजीव बनर्जी के अनुसार ब्रांच के मैनेजर व कर्मचारियों ने अपने परिजनों व जानकारों को शादियों के लिए आरबीआई की गाइड लाइंस की अनदेखी करते हुए उनके नोट बदले. हालांकि, एक बैंक ने अगर इसके खिलाफ एक्शन लिया है तो इसे सबसे जोड़कर नहीं देखा जा सकता फिर भी ये कहा जा सकता है कि कहीं ना कहीं ये फैसला धीमी गति से ही सही, लेकिन सही निशाने पर लग रहा है. देश के अधिकतर लोगों ने इस फैसले को अपना लिया है और इसको लेकर अब कार्यप्रणाली धीमी गति से दुरूस्त हो रही है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.