लंबे समय से पुरे विश्व में यह डिबेट चल रहा है की प्राकृतिक आपदाओ के लिए कौन उत्तरदायी है. एक वर्ग यह कहता है की बाढ़ आने के पीछे प्रकृति ही मुख्य कारण है. अभी तक जितने भी विनाशकारी बाढ़ आये है उसमें अत्यधिक वर्षा और उफनती नदियों का कहर ही मुख्य कारण रहा है. वही दूसरी ओर एक वर्ग इन आपदाओ के पीछे मनुष्य को जिम्मेदार मानता है. बड़े पैमाने पर वन कटाई, बढ़ता शहरीकरण और पर्यावरण असंतुलन मुख्य कारण रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में आई बाढ़ ने तकरीबन 25 करोड़ लोगो के जीवन को प्रभावित किया है. इसके साथ ही वहा भयंकर विनाश देखने को मिला है. इसके लिए एल नीनो को जिम्मेदार ठहराया गया है.
बाढ़ से बेहाल उत्तर भारत |
स्थिति साफ़ है की अगर हम प्रकृति से खिलवाड़ करेंगे तो इसकी भरपाई करनी ही पड़ेगी. काफी विश्लेषण के बाद जानकारों का मत ये है की बड़े पैमाने पर वनों की कटाई के कारण मिट्टी ढ़ीली हो जाती है और बाढ़ का कारण बनती है. क्योंकि ये मिट्टी अत्यधिक वर्षा को होल्ड नहीं कर पाती है.
इसे भी पढ़ें: जरूरत क्या थी मोदी की ऐसी तस्वीर पेश करने की...
भारी वर्षा के कारण नदियां ओवरफ्लो होने लगती है. गाद जमने के कारण इनकी पानी स्टोर करने की कैपेसिटी घट जाती है. इसके साथ बढ़ते शहरीकरण से नदियों के तटबँध असुरक्षित और कमजोर हो जाते है.
लंबे समय से पुरे विश्व में यह डिबेट चल रहा है की प्राकृतिक आपदाओ के लिए कौन उत्तरदायी है. एक वर्ग यह कहता है की बाढ़ आने के पीछे प्रकृति ही मुख्य कारण है. अभी तक जितने भी विनाशकारी बाढ़ आये है उसमें अत्यधिक वर्षा और उफनती नदियों का कहर ही मुख्य कारण रहा है. वही दूसरी ओर एक वर्ग इन आपदाओ के पीछे मनुष्य को जिम्मेदार मानता है. बड़े पैमाने पर वन कटाई, बढ़ता शहरीकरण और पर्यावरण असंतुलन मुख्य कारण रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में आई बाढ़ ने तकरीबन 25 करोड़ लोगो के जीवन को प्रभावित किया है. इसके साथ ही वहा भयंकर विनाश देखने को मिला है. इसके लिए एल नीनो को जिम्मेदार ठहराया गया है.
स्थिति साफ़ है की अगर हम प्रकृति से खिलवाड़ करेंगे तो इसकी भरपाई करनी ही पड़ेगी. काफी विश्लेषण के बाद जानकारों का मत ये है की बड़े पैमाने पर वनों की कटाई के कारण मिट्टी ढ़ीली हो जाती है और बाढ़ का कारण बनती है. क्योंकि ये मिट्टी अत्यधिक वर्षा को होल्ड नहीं कर पाती है. इसे भी पढ़ें: जरूरत क्या थी मोदी की ऐसी तस्वीर पेश करने की... भारी वर्षा के कारण नदियां ओवरफ्लो होने लगती है. गाद जमने के कारण इनकी पानी स्टोर करने की कैपेसिटी घट जाती है. इसके साथ बढ़ते शहरीकरण से नदियों के तटबँध असुरक्षित और कमजोर हो जाते है.
इस समय भारत के कई राज्य बाढ़ से जूझ रहे है. बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड के कई जिले इस समय भयंकर बाढ़ से जूझ रहे है. 60 लाख लोग इस विनाशलीला से प्रभावित हुए है और करीब 300 लोगों की जान इसमें गयी है. वहीं आर्थिक नुकसान का तो अनुमान लगाना भी मुश्किल है. यूँ तो इस बाढ़ के पीछे भारी बारिश को ही कारण माना जा रहा है, फिर भी कुछ एक्सपर्ट्स सवाल उठाने लगे है की हमारी लापरवाही कुछ हद तक इसके लिए ज्यादा जिम्मेदार है. जैसे की बिहार में बाढ़ का मुख्य कारण मध्य प्रदेश के बाणसागर डैम से पानी छोड़े जाने को माना जा रहा है. साथ ही गंगा, सोन आदि नदियों में गाद भरा होना भी इसके कारणों में हैं. इसे भी पढ़ें: क्लाइमेट चेंज का असर देखना है तो इस पड़ोसी देश का रुख कीजिए भारत में 2013 -15 के बीच करीब 4200 लोगो की जान बाढ़ के कारण हुई है. साथ ही एक अनुमान के अनुसार 44,000 करोड़ रूपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान बाढ़ के कारण हुआ है. समग्र रूप से 5 करोड़ से अधिक लोगों को इसने किसी न किसी तौर पर प्रभावित किया है. बाढ़ मैन मेड है या इसके कारण प्रकृति है? इसके कारण चाहे जो भी हों हमें ये सोचने पर मजबूर जरूर कर रही है की कैसे प्रकृति से खिलवाड़ हम पर भारी पड़ रहा है. इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |