जीएसटी काउंसिल ने शनिवार 3 जून को हुई मीटिंग में सारी दरें तय कर ली हैं. ये बात भी तय हो गई है कि 1 जुलाई से जीएसटी रोल हो जाएगा. इसके पहले 1200 आइटम और 500 सर्विसेज में जीएसटी पहले ही डिसाइड किया जा चुका था, लेकिन अब ट्रांजिशन रूल्स और बाकी चीजें भी तय हो गई हैं. जीएसटी के बाद काफी लोग ऐसे रहेंगे जो पहली बार टैक्स स्लैब में आएंगे. कुछ मुद्दों पर वापस जीएसटी में चर्चा जरूर हो सकती है, लेकिन फिर भी अभी काफी हद तक रेट तय ही लग रहा है. हालांकि, 11 जून को होने वाली अगली मीटिंग में ये सब कुछ तय हो सकता है.
जो लोग अभी तक टैक्स चेन से बाहर थे यानी फैब्रिक जैसा सेग्मेंट वहां अंतर पड़ेगा. ड्रेस मटेरियल, साड़ी आदि पर टैक्स नहीं था अब वो भी टैक्स स्लैब में आ जाएंगे. मतलब अब हर इंसान को टैक्स स्लैब में रख दिया गया है. हालांकि, इसमें ये कहना की छोटे लोग मर जाएंगे वो सही नहीं है क्योंकि कपड़ा बनाने वाले रॉ मटेरियल पर पहले ही वो टैक्स दे रहे थे यानी फाइबर टैक्स वगैराह. 20 लाख के अंदर जिस कपड़ा व्यापारी का टर्नओवर है उसे बाहर रखा गया है.
आखिर क्या सस्ता क्या महंगा...
1. बिस्किट पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा अभी 15 से 21% टैक्स लगता है ये 18% तय किया गया है. ये ब्रांडेड बिस्किट पर लगेगा यानी बेकरी वगैराह से खरीदे गए बिस्किट सस्ते होंगे. हालांकि, कुछ तरह के ब्रांडेड बिस्किट जिनमें 15% टैक्स लगता था वो महंगे हो सकते हैं. जैसे पार्ले जी जैसा बिस्किट महंगा हो सकता है. हालांकि, 100 रुपए प्रति किलो से ऊपर का बिस्किट सस्ता होगा.
2. जूतों में सस्ते जूते और सस्ते होंगे, लेकिन महंगे और ब्रांडेड जूते महंगे हो जाएंगे. 500 रुपए से कम के जूते चप्पल मौजूदा रेट से सस्ते होंगे अभी...
जीएसटी काउंसिल ने शनिवार 3 जून को हुई मीटिंग में सारी दरें तय कर ली हैं. ये बात भी तय हो गई है कि 1 जुलाई से जीएसटी रोल हो जाएगा. इसके पहले 1200 आइटम और 500 सर्विसेज में जीएसटी पहले ही डिसाइड किया जा चुका था, लेकिन अब ट्रांजिशन रूल्स और बाकी चीजें भी तय हो गई हैं. जीएसटी के बाद काफी लोग ऐसे रहेंगे जो पहली बार टैक्स स्लैब में आएंगे. कुछ मुद्दों पर वापस जीएसटी में चर्चा जरूर हो सकती है, लेकिन फिर भी अभी काफी हद तक रेट तय ही लग रहा है. हालांकि, 11 जून को होने वाली अगली मीटिंग में ये सब कुछ तय हो सकता है.
जो लोग अभी तक टैक्स चेन से बाहर थे यानी फैब्रिक जैसा सेग्मेंट वहां अंतर पड़ेगा. ड्रेस मटेरियल, साड़ी आदि पर टैक्स नहीं था अब वो भी टैक्स स्लैब में आ जाएंगे. मतलब अब हर इंसान को टैक्स स्लैब में रख दिया गया है. हालांकि, इसमें ये कहना की छोटे लोग मर जाएंगे वो सही नहीं है क्योंकि कपड़ा बनाने वाले रॉ मटेरियल पर पहले ही वो टैक्स दे रहे थे यानी फाइबर टैक्स वगैराह. 20 लाख के अंदर जिस कपड़ा व्यापारी का टर्नओवर है उसे बाहर रखा गया है.
आखिर क्या सस्ता क्या महंगा...
1. बिस्किट पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा अभी 15 से 21% टैक्स लगता है ये 18% तय किया गया है. ये ब्रांडेड बिस्किट पर लगेगा यानी बेकरी वगैराह से खरीदे गए बिस्किट सस्ते होंगे. हालांकि, कुछ तरह के ब्रांडेड बिस्किट जिनमें 15% टैक्स लगता था वो महंगे हो सकते हैं. जैसे पार्ले जी जैसा बिस्किट महंगा हो सकता है. हालांकि, 100 रुपए प्रति किलो से ऊपर का बिस्किट सस्ता होगा.
2. जूतों में सस्ते जूते और सस्ते होंगे, लेकिन महंगे और ब्रांडेड जूते महंगे हो जाएंगे. 500 रुपए से कम के जूते चप्पल मौजूदा रेट से सस्ते होंगे अभी 9.5% टैक्स है अब 5% टैक्स स्लैब में लगेगा. 500 रुपए से ऊपर 12.5 से 15% अब 18% होंगे. मतलब ब्रांडेड जूते पहनना महंगा हो जाएगा.
3. बीड़ी में मौजूदा टैक्स 20% है अब 28% होगा. मतलब बीड़ी पीने वालों के लिए महंगा साबित होगा ये सब. बिड़ी पत्ता 18% रेट में आएगा और ये महंगी ही होगी.
4. ब्रांडेड कपड़े महंगे होंगे. मौजूदा टैक्स 5 से 7% और 12% जीएसटी होगा. रॉ मटेरियल (कॉटन फैब्रिक और यॉर्न) में भी अंतर आया है क्योंकि ये टैक्स स्लैब में नहीं था और अब इसमें 5% होगा. इसका मतलब कपड़े यकीनन महंगे होंगे. सिल्क और जूट को इसमें भी निल कैटेगरी में रखा गया है. इसके अलावा, हैंड मेड कपड़ों के दाम भी बढ़ जाएंगे जो 18% के रेट में आ जाएंगे. 1000 रुपए से कम कीमत वाले कपड़ों को 5% के रेट में दिया जाएगा. यानी अगर वीमार्ट जैसे स्टोर से कपड़े खरीदें तो उतना फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन अगर विंटर वियर, जीन्स आदि जो 1000 रुपए से ऊपर हो जाएंगे वो हर हाल में महंगे होंगे.
5. एग्रिकल्चर मशीनरी आदि 5% टैक्स स्लैब में आएगी.
इनपुट टैक्स क्रेडिट मेक इन इंडिया में मिलेगा, लेकिन यहीं 5% टैक्स दिया जाएगा. वहीं अगर रेडिमेट गार्मेंट्स आ जाएंगे तो 12% हो जाएंगे. इसके अलावा, ब्रांडेड कपड़े तो महंगे होंगे ही. इसका मतलब मेक इन इंडिया के तहत बनने वाले कपड़े प्रोड्यूसर के लिए उतने महंगे साबित नहीं होंगे जितना देखने में लग रहा है.
ट्रांजिशन रूल....
जो माल पहले का पड़ा हुआ था अब अगर वो 1 जुलाई के बाद बिकेगा तो सरकार उसपर 60% टैक्स क्रेडिट देगी. इसके पहले ये तय किया गया था कि ये 40% होगा, लेकिन इससे काफी डीलर्स को नुकसान होता. इसके अलावा, अगर 25000 रुपए से ऊपर का सामान है तो पूरे डॉक्युमेंट्स हैं तो 100% इनपुट क्रेडिट मिलेगा.
कपड़े और जूते में अंतर?
कपड़े और जूते एक तरह से सभी के लिए महंगे हो जाएंगे मतलब आम इंसान को इससे फर्क पड़ेगा. अब साड़ियां वगैरह जो पहले गार्मेंट्स के अंतरगत आती थीं वो 0% टैक्स स्लैब में थीं अब वो 5% टैक्स स्लैब में आ जाएंगी. इसके अलावा, जैसे 500 रुपए से ज्यादा के जूते आम तौर पर मिडिल क्लास लोग खरीद लेते हैं. अगर ये नियम 1000 रुपए वाले जूतों पर होती तो और फायदा होता.
सोने में क्यों अंतर नहीं पड़ेगा...
सोने के लिए 3% टैक्स सही है. अगर सोने में 3% टैक्स लगेगा तो इससे बिना रसीद सोने खरीद कम हो जाएगी. अभी वैसे भी 2% के आस-पास टैक्स सोने पर लगता है तो 1% एक्स्ट्रा बढ़ाने से कोई ज्यादा परेशानी इंडस्ट्री को नहीं होगी. इससे सोने के दाम नहीं बढ़ेंगे. क्योंकि (1% एक्साइज, 1.2 % वैट और 0.1% ऑक्ट्रॉय) अभी भी 2.3% के हिसाब से टैक्स दिया ही जा रहा था. इसके अलावा, इनपुट क्रेडिट भी मिलेगा तो हो सकता है यूजर्स को सोना सस्ता भी मिले. हालांकि, ये फायदा 0.5 से 0.3% तक ही होगा.
इसके अलावा, हीरे पर भी 3% जीएसटी लगेगा और रफ डायमंड यानी अनप्रोसेस्ड हीरा 0.25% टैक्स स्लैब में जाएगा.
फिल्में देखना....
एंटरटेनमेंट टैक्स 28% सेट किया गया है. सरकस आदि का टैक्स स्लैब 18% है तो आप ये कह सकते हैं कि जिन स्टेट्स में एंटरटेनमेंट टैक्स नहीं लगता था वहां टिकट महंगी हो जाएगी और जहां लगता था वहां सस्ती भी हो सकती है. जैसे उत्तर प्रदेश में जीएसटी के बाद फिल्म टिकट सस्ती हो सकती है क्योंकि वहां पहले ही 60% टैक्स लगता है. इसके अलावा, पंजाब, राजस्थान, जम्मू कश्मीर, हिमाचल जैसे राज्यों में टिकट महंगी होगी.
इसके अलावा, असम और तमिलनाडु में भी महंगी होगी क्योंकि यहां 15% टैक्स लगता है. यही वजह है कि कमल हसन ने जीएसटी रेट कम करने को कहा. ये तो तय बात है कि हर राज्य में रीजनल सिनेमा की टिकट महंगी हो जाएगी.
कुल क्या फर्क पड़ा..
खाने का तेल, मसाले, चाय, कॉफी आदि पर अभी तक 9% तक का (4 से 9%) टैक्स लगता है ये सभी 5% के दायरे में आ जाएंगे. इससे कई चीजों के दाम कम होंगे. अलग-अलग राज्यों में अलग कीमत का मतलब नहीं रहेगा. इसके अलावा, कम्प्यूटर, प्रोसेस्ड फूड आदि सब जो 9 से 15% के टैक्स स्लैब में अभी तक हैं वो एक टैक्स स्लैब 12% में चले जाएंगे.
साबुन शेविंग किट आदि पर अभी 15 से 21% टैक्स लगता है इसपर अब यूनिफॉर्म 18% टैक्स लगेगा. हां व्हाइट गुड्स यानी महंगी चीजें जैसे LED टीवी, यॉट, वेंडिंग मशीन, एटीएम, वॉशिंग मशीन आदि 21% के दायरे से बढ़कर 28% तक हो जाएंगी जो महंगी होंगी.
इसके अलावा, 500 से कम के जूते चप्पल ससते मौजूदा रेट से सस्ते होंगे अभी 12.5-15% है अब 5% टैक्स स्लैब में ये आ जाएगा. इसी के साथ, कपड़े महंगे ही होंगे. बिस्किट में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. ना ही सोने के दाम में फर्क पड़ेगा. फिल्म इंडस्ट्री के लिए एंटरटेनमेंट टैक्स 28% लगाया गया है.
अभी तो यही लग रहा है कि जीएसटी का रोल आउट सही होगा. केरला जैसे स्टेट में सोना पहले ही 4% सोने का रेट था वहां भी सोना सस्ता होगा और महंगा और सस्ता होने से लोगों को फर्क तो पड़ेगा, लेकिन जीएसटी रोलआउट के बाद जब लाखों लोग इसका इस्तेमाल करेंगे तब कैसा होगा ये नहीं कहा जा सकता. इतनी बड़ी आबादी के लिए पूरा जीएसटी सिस्टम थोड़ा बदल सा जाएगा. जीएसटी से जीडीपी की ग्रोथ 2% बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. अब ये होगा या नहीं ये वक्त ही बताएगा.
ये भी पढ़ें-
GST के बाद AC हो सकता है महंगा, अभी कैसे चुने अपने लिए बेस्ट मशीन
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.