जीएसटी के बारे में बहुत सी बातें कही और सुनी जा चुकी हैं. जीएसटी क्या है? टैक्स स्लैब कौन कौन से हैं? महंगाई बढ़ेगी या घटेगी? कौन-कौन सी चीजें महंगी होंगी, इनपर बातें हो चुकी हैं. 11 जून की मीटिंग के बाद तो ये बात भी हो गई की कई चीजें सस्ती होंगी, लेकिन अभी भी एक मामले में बात होनी जरूरी है. वो मामला है कंज्यूमर को क्या करना चाहिए? जीएसटी को लेकर बिजनेस, व्यापारी, कंपनियां अपने-अपने लेवल पर तैयारियां कर ही रही हैं, लेकिन ग्राहक या कंज्यूमर को क्या करना चाहिए? कंज्यूमर की तैयारियों से जुड़े महत्वपूर्ण टिप्स हम आपको देने जा रहे हैं...
क्या-क्या तैयारियां हैं जरूरी....
1. कच्चा बिल बिलकुल ना लें...
अब एक बात गांठ बांधकर रख लें कि किसी भी दुकनदार से कच्चा बिल बिलकुल ना लें. आने वाले समय में पक्का बिल लेने की आदत आपके काम आएगी. कच्चा बिल लेने से पहले जो भी फायदे होते थे जीएसटी के बाद अब वो नहीं होंगे और शॉपकीपर को तय रेट पर ही सामान बेचना होगा.
अगर आप कच्चा बिल लेते हैं तो इससे आपका ही नुकसान होगा. पहले तो अगर आप बहुत सारा सामान एक साथ लेते हैं तो आपके पास उसकी रिसिप्ट होनी चाहिए. जैसे अगर मैं दिल्ली के गांधीनगर मार्केट से सामान खरीदकर भोपाल में बेचना चाहती हूं तो पहले 1 दर्जन साड़ियों पर मैं थोड़ा मोल भाव करवाकर कच्चा बिल लेकर अपना काम कर सकती थी, लेकिन अब आगे सप्लाई के लिए मेरे पास अगर पक्का बिल नहीं हुआ तो ये मेरे लिए गैरकानूनी होगा.
इसी के साथ, जैसे आम तौर पर अगर मैं किराना लेने जाती हूं तो जून के महीने से मैं जुलाई के महीने का बिल टैली कर सकती हूं. इससे आने वाले समय में...
जीएसटी के बारे में बहुत सी बातें कही और सुनी जा चुकी हैं. जीएसटी क्या है? टैक्स स्लैब कौन कौन से हैं? महंगाई बढ़ेगी या घटेगी? कौन-कौन सी चीजें महंगी होंगी, इनपर बातें हो चुकी हैं. 11 जून की मीटिंग के बाद तो ये बात भी हो गई की कई चीजें सस्ती होंगी, लेकिन अभी भी एक मामले में बात होनी जरूरी है. वो मामला है कंज्यूमर को क्या करना चाहिए? जीएसटी को लेकर बिजनेस, व्यापारी, कंपनियां अपने-अपने लेवल पर तैयारियां कर ही रही हैं, लेकिन ग्राहक या कंज्यूमर को क्या करना चाहिए? कंज्यूमर की तैयारियों से जुड़े महत्वपूर्ण टिप्स हम आपको देने जा रहे हैं...
क्या-क्या तैयारियां हैं जरूरी....
1. कच्चा बिल बिलकुल ना लें...
अब एक बात गांठ बांधकर रख लें कि किसी भी दुकनदार से कच्चा बिल बिलकुल ना लें. आने वाले समय में पक्का बिल लेने की आदत आपके काम आएगी. कच्चा बिल लेने से पहले जो भी फायदे होते थे जीएसटी के बाद अब वो नहीं होंगे और शॉपकीपर को तय रेट पर ही सामान बेचना होगा.
अगर आप कच्चा बिल लेते हैं तो इससे आपका ही नुकसान होगा. पहले तो अगर आप बहुत सारा सामान एक साथ लेते हैं तो आपके पास उसकी रिसिप्ट होनी चाहिए. जैसे अगर मैं दिल्ली के गांधीनगर मार्केट से सामान खरीदकर भोपाल में बेचना चाहती हूं तो पहले 1 दर्जन साड़ियों पर मैं थोड़ा मोल भाव करवाकर कच्चा बिल लेकर अपना काम कर सकती थी, लेकिन अब आगे सप्लाई के लिए मेरे पास अगर पक्का बिल नहीं हुआ तो ये मेरे लिए गैरकानूनी होगा.
इसी के साथ, जैसे आम तौर पर अगर मैं किराना लेने जाती हूं तो जून के महीने से मैं जुलाई के महीने का बिल टैली कर सकती हूं. इससे आने वाले समय में कीमतों पर कितना असर पड़ा ये समझ आ जाएगा. इसी के साथ, पक्का बिल बनाने के चलते शॉपकीपर भी कोई धोखाधड़ी नहीं कर पाएगा.
2. जून में किसी भी तरह के आइटम को स्टॉक करने से बचें....
जून महीने में अगर आप किसी भी तरह के आइटम को स्टॉक करने का, जैसे तीन महीने का किराना ही भरवाने की सोच रहे हैं तो वो ना करें क्योंकि स्कूल बैग से लेकर बिस्किट और 500 रुपए से कम कीमत वाले जूतों से लेकर नई गाइडलाइन के मुताबिक अगरबत्ती और इन्सुलिन तक सब सस्ता होगा. भले ही ये फर्क इतना बड़ा नहीं लगेगा, लेकिन अगर आपने सामान स्टॉक किया है तो हां थोड़ा नुकसान हो सकता है आपको.
3. महीने के अंत की जगह महीने की शुरुआत पर ध्यान दें...
अगर आप उन लोगों में से हैं जो महीने के अंत में ही बजट बनाकर बचे-कुचे पैसे से सामान खरीद लेते हैं या फिर सैलरी शुरुआत में नहीं आती है आपकी और आप मिड मंथ जैसे 10-20 तारिख के आस-पास अपनी खरीदारी करते हैं तो इसकी जगह इस महीने अपना बजट जुलाई 1 से बनाइए. इसका सबसे अच्छा तरीका है आप रेट लिस्ट देख लीजिए कि क्या सस्ता और क्या महंगा होने वाला है उसी हिसाब से अपना बजट बनाइए. हां अगर आप कोई महंगा इलेक्ट्रॉनिक आइटम खरीदने की सोच रहे हैं तो इस समय सबसे अच्छा साबित हो सकता है नहीं तो कुछ दिनों में रेट बढ़ जाएंगे.
4. आदतों में बदलाव...
जीएसटी लगने के बाद आप अपनी कुछ आदतों में बदलाव भी कर सकते हैं. जैसे अगर किसी एसी रेस्त्रां में खाने के लिए जाएं तो वैसे ही आप बहुत ज्यादा टैक्स दे चुके होंगे ऐसे में टिप देने से बच सकते हैं. भले ही देखने में ये एक टैक्स लगेगा, लेकिन इसमें सर्विस टैक्स, वैट, सेस आदि सब लग चुका होगा.
5. इन्वेस्टमेंट....
ऐसी कंपनियों पर इन्वेस्ट करने से पहले किसी एक्सपर्ट की सलाह ले लें जिनके प्रोडक्ट्स की कीमत या तो बहुत बढ़ने वाली है या फिर बहुत सस्ते होने वाले हैं.
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