आप देश के किसी भी राज्य में चले जाइए, देश का कोई सा भी अखबार उठा कर देख लीजिए, चाहें टी.वी. चैनल हो या फिर कोई भी अखबार हर ओर भारत सरकार के विज्ञापन आपको नज़र आते हैं. मगर आपने कभी सोचा भी है कि ये पैसा आपका ही है. सरकार कितने पैसे इस पर खर्च कर देती है?
सरकार अपने 2 साल के पूरे होने पर जश्न मनाती है. इंडिया गेट पर भव्य आयोजन किया जाता है. देश के हर अखबार और देश के हर टी.वी. चैनल पर भारत सरकार के विज्ञापन दिखाई देते हैं. 'मेरा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है '. मैं इसमें एक और चीज़ जोड़ना चाहूंगा. मेरा देश आगे बढ़ रहा है और साथ ही विज्ञापन का खर्च भी बढ़ रहा है.
अखबारों में दिया विज्ञापन |
जब भारत सरकार ने अपने 2 साल पूरे होने पर इंडिया गेट पर आयोजन किया तब करीब 100 करोड़ रु. इस पूरे आयोजन में खर्च हो गए. सिर्फ ये चीज़ बताने के लिए कि मेरा देश बदल रहा है. वाकई में, देश में कभी किसी सरकार ने ऐसा आयोजन तो नहीं किया था कि 2 साल पूरे होने पर जश्न में 100 करोड़ खर्च कर दिए हों. कोई भी अखबार या चैनल इसके खिलाफ इसलिए भी ज्यादा नहीं बोल सकता क्योंकि सरकार उसे विज्ञपान देना भी बंद कर सकती है. अब अखबार और चैनल तो पूरी तरह ही विज्ञापनों पर निर्भर हैं.
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जब राजस्थान के अखबार पत्रिका ने सरकार के खिलाफ लिखा तो सरकार ने उसे विज्ञापन देना ही बंद कर दिया. मामलो...
आप देश के किसी भी राज्य में चले जाइए, देश का कोई सा भी अखबार उठा कर देख लीजिए, चाहें टी.वी. चैनल हो या फिर कोई भी अखबार हर ओर भारत सरकार के विज्ञापन आपको नज़र आते हैं. मगर आपने कभी सोचा भी है कि ये पैसा आपका ही है. सरकार कितने पैसे इस पर खर्च कर देती है?
सरकार अपने 2 साल के पूरे होने पर जश्न मनाती है. इंडिया गेट पर भव्य आयोजन किया जाता है. देश के हर अखबार और देश के हर टी.वी. चैनल पर भारत सरकार के विज्ञापन दिखाई देते हैं. 'मेरा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है '. मैं इसमें एक और चीज़ जोड़ना चाहूंगा. मेरा देश आगे बढ़ रहा है और साथ ही विज्ञापन का खर्च भी बढ़ रहा है.
अखबारों में दिया विज्ञापन |
जब भारत सरकार ने अपने 2 साल पूरे होने पर इंडिया गेट पर आयोजन किया तब करीब 100 करोड़ रु. इस पूरे आयोजन में खर्च हो गए. सिर्फ ये चीज़ बताने के लिए कि मेरा देश बदल रहा है. वाकई में, देश में कभी किसी सरकार ने ऐसा आयोजन तो नहीं किया था कि 2 साल पूरे होने पर जश्न में 100 करोड़ खर्च कर दिए हों. कोई भी अखबार या चैनल इसके खिलाफ इसलिए भी ज्यादा नहीं बोल सकता क्योंकि सरकार उसे विज्ञपान देना भी बंद कर सकती है. अब अखबार और चैनल तो पूरी तरह ही विज्ञापनों पर निर्भर हैं.
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जब राजस्थान के अखबार पत्रिका ने सरकार के खिलाफ लिखा तो सरकार ने उसे विज्ञापन देना ही बंद कर दिया. मामलो कोर्ट में पहुंचा और आखिरकार कोर्ट ने कहा कि सरकार ऐसा नहीं कर सकती. हांलाकि, ये 11 अरब रु. भारत सरकार ने खर्च किए हैं. इसमें कोई भी राज्य सरकार शामील नहीं है.
जब दिल्ली के मुख्यमंत्री ने विज्ञापन का बजट 500 करोड़ रु. तक बढ़ा, जब केजरीवाल से पूछा गया तो केजरीवाल ने कहा कि ये ज़रुरी है. जनता तक बात पहुंचाना हमारे लिए बहुत ज़रुरी है. दिखता भी है, आपकी बात दिल्ली में कम मगर पंजाब और गोवा में ज्यादा पहुंचती है आपके विज्ञापनों द्वारा.
दिल्ली सरकार का विज्ञापन |
कैसे खर्च किए 1100 करोड़ (11 अरब)-
आरटीआई ऐक्टिविस्ट रामवीर ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से पूछा था कि मोदी सरकार के गठन से अगस्त 2016 तक विज्ञापनों पर कितना सरकारी धन खर्च हुआ है. मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया कि सरकार ने ब्रॉडकास्ट, कम्युनिटी रेडियो, डिजिटल सिनेमा, इंटरनेट, दूरदर्शन, प्रोडक्शन, एसएमएस और टेलीकास्ट पर 11 अरब रुपए खर्च किए. 1 जून 2014 से 31 मार्च 2015 तक लगभग 4.48 अरब रुपए खर्च किए गए. 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 तक 5.42 अरब रुपए और 1 अप्रैल 2016 से 31 अगस्त 2016 तक 1.20 अरब रुपए खर्च किए जा चुके हैं. इस तरह कुल 11 अरब, 11 करोड़ 78 लाख रुपए से अधिक का सरकारी धन मोदी सरकार के प्रचार पर खर्च हो चुका है।
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यानी कि जनता के पैसे का सबसे अच्छा इस्तेमाल कितनी अच्छी तरह हो रहा है. आप टैक्स में बढ़ोत्री करते रहीए, और विज्ञापनों का बजट भी बढ़ाते रहीए.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.