जीएसटी को लेकर लोगों के मन में काफी दहशत है. कुछ ऐसे हैं जिन्हें ये बिलकुल समझ नहीं आया है और कुछ ऐसे हैं जिन्हें थोड़ा तो समझ आया है, लेकिन बाकी नहीं. अगर जीएसटी को लेकर ये बात की जा रही है कि ये बहुत ज्यादा फर्क रोजमर्रा की जिंदगी में पड़ने वाला है तो ऐसा नहीं है.
क्यों जीएसटी समझना मुश्किल हो रहा है?
जीएसटी समझना इसलिए मुश्किल हो रहा है क्योंकि इसके पहले जो भी देश जीएसटी लगाए हुए हैं वो एक या दो टैक्स स्लैब वाले हैं. भारत में इसे चार से अधिक टैक्स स्लैब किए गए हैं तो ये थोड़ा कॉम्प्लेक्स है. अब जो सर्विस टैक्स एक था वो भी अब 4 टैक्स स्लैब में है तो इसे ऐसा ही कहा जाएगा.
1. रियल एस्टेट में 200% की बढ़त...
ये बिलकुल गलत है कि जीएसटी के बाद सीधे 200% की बढ़त होगी. कीमतें दुगनी हो जाएंगी. कई बिल्डर ये कह रहे हैं कि 4.5% से अब आगे बढ़कर 12% ड्यूटी लगेगी और फिर 6% स्टाम्प ड्यूटी तो 18% टैक्स देना होगा आपको और बेहद महंगी हो जाएंगी प्रॉपर्टी की कीमतें. ऐसा नहीं है कि अंतर बहुत ज्यादा है.
इसे ऐसे समझिए कि पहले इनपुट क्रेडिट नहीं मिलता था जो अब मिलेगा. हां, ये क्रेडिट होगा एक्साइज्ड गुड्स पर ही. पर फिर फायदा तो होगा ही. इसी के साथ जीएसटी से लैंड की कीमतों को हटा दिया गया है तो वैसे भी बिल्डरों के लिए यहां महंगाई बहुत ज्यादा नहीं बढ़ी. और अब अगर बिल्डरों के लिए नहीं बढ़ी है तो आम ग्राहकों के लिए भी नहीं बढ़ेगी.
अगर 100 करोड़ की प्रॉपर्टी पर 2.50 करोड़ भी इनपुट क्रेडिट मिल जाता है तो उसका फायदा अंत में यूजर्स को ही मिलेगा.
सिमेंट में भी फायदा मिल सकता है अभी तो इसके बारे में साफ नहीं किया गया है, लेकिन मौजूदा रेट जो है वो अभी 29-31% के बीच है तो अगर इसे 28% के टैक्स स्लैब में भी रखा जाता...
जीएसटी को लेकर लोगों के मन में काफी दहशत है. कुछ ऐसे हैं जिन्हें ये बिलकुल समझ नहीं आया है और कुछ ऐसे हैं जिन्हें थोड़ा तो समझ आया है, लेकिन बाकी नहीं. अगर जीएसटी को लेकर ये बात की जा रही है कि ये बहुत ज्यादा फर्क रोजमर्रा की जिंदगी में पड़ने वाला है तो ऐसा नहीं है.
क्यों जीएसटी समझना मुश्किल हो रहा है?
जीएसटी समझना इसलिए मुश्किल हो रहा है क्योंकि इसके पहले जो भी देश जीएसटी लगाए हुए हैं वो एक या दो टैक्स स्लैब वाले हैं. भारत में इसे चार से अधिक टैक्स स्लैब किए गए हैं तो ये थोड़ा कॉम्प्लेक्स है. अब जो सर्विस टैक्स एक था वो भी अब 4 टैक्स स्लैब में है तो इसे ऐसा ही कहा जाएगा.
1. रियल एस्टेट में 200% की बढ़त...
ये बिलकुल गलत है कि जीएसटी के बाद सीधे 200% की बढ़त होगी. कीमतें दुगनी हो जाएंगी. कई बिल्डर ये कह रहे हैं कि 4.5% से अब आगे बढ़कर 12% ड्यूटी लगेगी और फिर 6% स्टाम्प ड्यूटी तो 18% टैक्स देना होगा आपको और बेहद महंगी हो जाएंगी प्रॉपर्टी की कीमतें. ऐसा नहीं है कि अंतर बहुत ज्यादा है.
इसे ऐसे समझिए कि पहले इनपुट क्रेडिट नहीं मिलता था जो अब मिलेगा. हां, ये क्रेडिट होगा एक्साइज्ड गुड्स पर ही. पर फिर फायदा तो होगा ही. इसी के साथ जीएसटी से लैंड की कीमतों को हटा दिया गया है तो वैसे भी बिल्डरों के लिए यहां महंगाई बहुत ज्यादा नहीं बढ़ी. और अब अगर बिल्डरों के लिए नहीं बढ़ी है तो आम ग्राहकों के लिए भी नहीं बढ़ेगी.
अगर 100 करोड़ की प्रॉपर्टी पर 2.50 करोड़ भी इनपुट क्रेडिट मिल जाता है तो उसका फायदा अंत में यूजर्स को ही मिलेगा.
सिमेंट में भी फायदा मिल सकता है अभी तो इसके बारे में साफ नहीं किया गया है, लेकिन मौजूदा रेट जो है वो अभी 29-31% के बीच है तो अगर इसे 28% के टैक्स स्लैब में भी रखा जाता है तो भी ये सस्ता ही होगा. ऐसे ही अगर 18% टैक्स स्लैब में चला गया तो ये और सस्ता हो जाएगा.
2. सोने में क्या अंतर आएगा...
सोने के लिए 3% टैक्स सही है. अगर सोने में 3% टैक्स लगेगा तो इससे बिना रसीद सोने खरीद कम हो जाएगी. अभी वैसे भी 2% के आस-पास टैक्स सोने पर लगता है तो 1% एक्स्ट्रा बढ़ाने से कोई ज्यादा परेशानी इंडस्ट्री को नहीं होगी. इससे सोने के दाम नहीं बढ़ेंगे. क्योंकि (1% एक्साइज, 1.2 % वैट और 0.1% ऑक्ट्रॉय) अभी भी 2.3% के हिसाब से टैक्स दिया ही जा रहा था. इसके अलावा, इनपुट टैक्स क्रेडिट भी मिलेगा तो हो सकता है यूजर्स को सोना सस्ता भी मिले. हालांकि, ये फायदा 0.5 से 0.3% तक ही होगा.
इसके अलावा, हीरे पर भी 3% जीएसटी लगेगा और रफ डायमंड यानी अनप्रोसेस्ड हीरा 0.25% टैक्स स्लैब में जाएगा.
तो ज्वेलरी की कीमत ज्यादा नहीं बढ़ेगी.
3. फाइनेंशियल सर्विसेस...
सभी फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे इंश्योरेंस, बैंकिंग महंगी होंगी इसमें कोई शक नहीं है, लेकिन इनमें भी फर्क नॉमिनल ही होगा. अगर यहां नेटबैंकिंग के चार्ज की बात करें तो NEFT (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर सिस्टम), RTGS (रियल टाइम ग्रॉस सेटेलमेंट), IMPS (इमिडिएट पेमेंट सर्विस) जैसे ट्रांजैक्शन के लिए यूजर पर चार्ज लगाती है. अधिकतर ऐसे चार्ज क्वार्टरली लगते हैं. जैसे SMS जो यूजर्स को भेजे जाते हैं ऐसे किसी भी ट्रांजैक्शन के लिए उसके लिए 15 रुपए हर तीन महीने में कटते हैं.
10000 रुपए तक के ऑनलाइन NEFT ट्रांजैक्शन पर 2.50 रुपए फीस और सर्विस टैक्स (जो अभी 14.5% है) लगता है. ये टैक्स फीस पर लगता है मतलब 2.50 रुपए का 14.5% जो कुल 36 पैसे होगा. मतलब 10000 रुपए तक के NEFT ट्रांजैक्शन पर 2.86 रुपए तक का चार्ज लगता है.
अगर मैं 1.5 लाख का कोई IMPS ट्रांजैक्शन कर रही हूं तो उसपर मुझे 15 रुपए फीस लगेगी इसके बाद 14.5% टैक्स (15 रुपए का 14.5% यानी 2.18 रुपए), तो कुल 17.18 रुपए उस ट्रांजैक्शन पर मुझे देना होगा.
जीएसटी के बाद ये 14.5% की जगह 18% लगेगा यानी 2.70 रुपए टैक्स लगेगा. मतलब कुल 0.5 पैसे की बढ़त.
कुछ यही हाल होगा क्रेडिट कार्ड बिल, कैश ट्रांजैक्शन पर जो बहुत अंतर हुआ तो भी 10000 के आउटस्टैंडिंग बिल पर 30 रुपए तक का पड़ेगा.
4. महंगाई बहुत बढ़ जाएगी...
जीएसटी के आने के बाद आपकी रोजमर्रा की जरूरतों का सामान थोड़ा महंगा और थोड़ा सस्ता हो जाएगा. अगर आपको लग रहा है कि महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ेगी तो ऐसा नहीं होगा. अगर कॉफी सस्ती होगी तो कोल्ड्रिंक महंगी होगी. तो अगर किसी को लग रहा है कि महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी तो ऐसा नहीं है.
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