जीएसटी को लेकर ये बातें कही जा रही हैं कि इसके आने के बाद से भारत का 'एक देश एक टैक्स' का सपना पूरा हो जाएगा. लेकिन सच्चाई क्या है? किस हद तक भारत तैयार है जीएसटी लागू करने के लिए? तो चलिए देखते हैं कुछ खास बातें...
सरकार कर रही है ऐसे दावे...
1. ग्राहकों को होगा फायदा...
सरकार कह रही है कि जीएसटी लागू होने के बाद जो सर्विसेज और आइटम की कीमतें हैं उनपर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा.
2. बिजनेस को होगा ये फायदा...
जीएसटी को डिजिटल कर दिया गया है और इसके बाद सब कुछ कम्प्यूटराइज्ड हो जाएगा और साथ ही टैक्स रेट भी कम रखे गए हैं.
3. सरकार को होगा ये फायदा...
ज्यादा टैक्स पेयर्स आएंगे और रेवेन्यु बढ़ेगा जिसका फायदा अंत में आम आदमी को दिया जाएगा.
लेकिन कहीं ये दूर के ढोल ना साबित हो जाए....
सालों के मोलभाव, सरकारों का बदलना, केंद्र और राज्य सरकार के बदलने के कारण जीएसटी का मूल रूप बहुत पेचीदा हो गया है. एक टैक्स स्लैब की जगह ये 5 टैक्स स्लैब में विभाजित हो गया है. तो इसका असर असलियत में कैसा है? अभी भी कई मामलें हैं जिनपर बात होनी बाकी है. जैसे....
1. कई सारे टैक्स रेट...
जैसा की पहले भी बताया गया है कि कई देश एक या एक से ज्यादा दो टैक्स स्लैब के साथ आते हैं वहीं भारत में 5 टैक्स स्लैब हो गए हैं. सर्विस टैक्स जो एक ही लगता था वो अब अलग-अलग हो गया है. तो ये सिस्टम काफी कॉम्प्लेक्स हो गया है.
2. मुनाफाखोरी हो सकती है...
20 लाख से कम टर्नओवर वाले बिजनेस जो हैं वो जीएसटी के दायरे से बाहर हैं तो ऐसा हो सकता है कि...
जीएसटी को लेकर ये बातें कही जा रही हैं कि इसके आने के बाद से भारत का 'एक देश एक टैक्स' का सपना पूरा हो जाएगा. लेकिन सच्चाई क्या है? किस हद तक भारत तैयार है जीएसटी लागू करने के लिए? तो चलिए देखते हैं कुछ खास बातें...
सरकार कर रही है ऐसे दावे...
1. ग्राहकों को होगा फायदा...
सरकार कह रही है कि जीएसटी लागू होने के बाद जो सर्विसेज और आइटम की कीमतें हैं उनपर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा.
2. बिजनेस को होगा ये फायदा...
जीएसटी को डिजिटल कर दिया गया है और इसके बाद सब कुछ कम्प्यूटराइज्ड हो जाएगा और साथ ही टैक्स रेट भी कम रखे गए हैं.
3. सरकार को होगा ये फायदा...
ज्यादा टैक्स पेयर्स आएंगे और रेवेन्यु बढ़ेगा जिसका फायदा अंत में आम आदमी को दिया जाएगा.
लेकिन कहीं ये दूर के ढोल ना साबित हो जाए....
सालों के मोलभाव, सरकारों का बदलना, केंद्र और राज्य सरकार के बदलने के कारण जीएसटी का मूल रूप बहुत पेचीदा हो गया है. एक टैक्स स्लैब की जगह ये 5 टैक्स स्लैब में विभाजित हो गया है. तो इसका असर असलियत में कैसा है? अभी भी कई मामलें हैं जिनपर बात होनी बाकी है. जैसे....
1. कई सारे टैक्स रेट...
जैसा की पहले भी बताया गया है कि कई देश एक या एक से ज्यादा दो टैक्स स्लैब के साथ आते हैं वहीं भारत में 5 टैक्स स्लैब हो गए हैं. सर्विस टैक्स जो एक ही लगता था वो अब अलग-अलग हो गया है. तो ये सिस्टम काफी कॉम्प्लेक्स हो गया है.
2. मुनाफाखोरी हो सकती है...
20 लाख से कम टर्नओवर वाले बिजनेस जो हैं वो जीएसटी के दायरे से बाहर हैं तो ऐसा हो सकता है कि मुनाफाखोरी के लिए बड़ी कंपनियां या बिजनेसमैन अलग-अलग नाम से छोटे-छोटे बिजनेस बताएं.
3. महंगा और कॉम्प्लिकेटेड...
जीएसटी लागू होने के बाद आप ये समझ लीजिए कि कम से कम 4-6 महीने तो लोगों को पूरी तरह से जीएसटी को अपनाने में लग जाएंगे. उन लोगों को सबसे ज्यादा असर पड़ेगा जो बॉर्डर लाइन पर हैं और जिन्हें कम्प्यूटर की इतनी जानकारी नहीं है. व्यापारी जो कच्चा बिल बनाते थे उन्हें अपना सिस्टम अपग्रेड करना होगा. को ये उन लोगों के लिए महंगा और कॉम्प्लिकेटेड होगा.
4. कई व्यापार अभी भी जीएसटी के दायरे से बाहर...
कई प्रोडक्ट्स जैसे पेट्रोल, शराब आदि जीएसटी के दायरे से बाहर है तो वो बिजनेस जो ऐसे प्रोडक्ट्स को इनपुट के तरीके से लेती हैं उन्हें काफी समस्या होगी.
जीएसटी को लागू करने में सरकार ने 3 महीने का समय मांगा है, अगर ट्रेडर, किराने वाले, अगर बिल्डर को नहीं पता कि नियम क्या है. एंटी प्रॉफिटियरिंग बॉडी बनाई जाएगी जिसमें शिकायत करें तो क्या दिन भर इसकी शिकायत ही की जाएगी? तो उम्मीद ही की जा सकती है कि जीएसटी के बाद नोटबंदी जैसी हालत ना हो जहां कुछ दिन तक लोग सिर्फ लाइन में ही खड़े रह गए थे.
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