जीएसटी को एक महीना पूरा हो चुका है. पीएम मोदी ने मन की बात में तो गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स को 'गुड एंड सिम्पल टैक्स' करार दे दिया है. वो ये तक कह चुके हैं कि जीएसटी से काफी फायदा हुआ है. लेकिन सच तो यह है कि किसी को इसका नुकसान भी हुआ है.
आम लोगों को अभी भी ये अनसुलझी पहेली ही नजर आ रही है. यहां व्यापारियों को बिजनेस करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं होटल इंडस्ट्री को काफी नुकसान हुआ है. लेकिन अच्छी बातों को याद करें तो टैक्सपेयर्स बढ़े हैं. आइए जानते हैं जीएसटी लागू होने के एक महीने बाद हमारे जीवन में क्या बदलाव आया है.
जीएसटी के बाद बढ़े टैक्सपेयर्स
जीएसटी को लाने का सबसे बड़ा सवाल था कि क्या इससे टैक्सपेयर्स की मात्रा बढ़ेगी. लेकिन सरकार ने जीएसटी को लाकर ऐसा कर दिखाया. जीएसटी में नए रजिस्ट्रेशनों की संख्या 10 लाख का आंकड़ा पार कर गई है. करीब दो लाख आवेदन अभी पेंडिंग हैं. बता दें कि जीएसटी का लागू करते समय टैक्स बेस बढ़ाने का वादा भी किया गया था, जो लगभग पूरा होता दिख रहा है.
नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी के प्रफेसर एनआर भानुमूर्ति ने बताया, 'इन 10-12 लाख लोगों में से यदि 8-9 लाख लोग भी रिटर्न फाइल करते हैं तो यह रेवेन्यू को बड़ी बढ़त दे सकता है.' यही नहीं, वित्तमंत्री अरुण जेटली भी कह चुके हैं कि यदि टैक्स बेस बढ़ता है तो सरकार टैक्स घटाने पर भी विचार कर सकती है. यानी सबसे बड़ी राहत.
होटल इंडस्ट्री को हुआ नुकसान
जीएसटी लागू होने के बाद होटलों को मिलने वाले बैठक, कॉन्फ्रेंस और कार्यक्रम बुकिंग में काफी...
जीएसटी को एक महीना पूरा हो चुका है. पीएम मोदी ने मन की बात में तो गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स को 'गुड एंड सिम्पल टैक्स' करार दे दिया है. वो ये तक कह चुके हैं कि जीएसटी से काफी फायदा हुआ है. लेकिन सच तो यह है कि किसी को इसका नुकसान भी हुआ है.
आम लोगों को अभी भी ये अनसुलझी पहेली ही नजर आ रही है. यहां व्यापारियों को बिजनेस करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं होटल इंडस्ट्री को काफी नुकसान हुआ है. लेकिन अच्छी बातों को याद करें तो टैक्सपेयर्स बढ़े हैं. आइए जानते हैं जीएसटी लागू होने के एक महीने बाद हमारे जीवन में क्या बदलाव आया है.
जीएसटी के बाद बढ़े टैक्सपेयर्स
जीएसटी को लाने का सबसे बड़ा सवाल था कि क्या इससे टैक्सपेयर्स की मात्रा बढ़ेगी. लेकिन सरकार ने जीएसटी को लाकर ऐसा कर दिखाया. जीएसटी में नए रजिस्ट्रेशनों की संख्या 10 लाख का आंकड़ा पार कर गई है. करीब दो लाख आवेदन अभी पेंडिंग हैं. बता दें कि जीएसटी का लागू करते समय टैक्स बेस बढ़ाने का वादा भी किया गया था, जो लगभग पूरा होता दिख रहा है.
नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी के प्रफेसर एनआर भानुमूर्ति ने बताया, 'इन 10-12 लाख लोगों में से यदि 8-9 लाख लोग भी रिटर्न फाइल करते हैं तो यह रेवेन्यू को बड़ी बढ़त दे सकता है.' यही नहीं, वित्तमंत्री अरुण जेटली भी कह चुके हैं कि यदि टैक्स बेस बढ़ता है तो सरकार टैक्स घटाने पर भी विचार कर सकती है. यानी सबसे बड़ी राहत.
होटल इंडस्ट्री को हुआ नुकसान
जीएसटी लागू होने के बाद होटलों को मिलने वाले बैठक, कॉन्फ्रेंस और कार्यक्रम बुकिंग में काफी फर्क आया है. जीएसटी लगने के बाद दाम में काफी बढ़ोतरी हुई है. जिन्होंने बुकिंग कराई थी वो रद्द कर रहे हैं और नई बुकिंग भी नहीं मिल रही है. हाईवे पर बने होटलों को इसका सामना करना पड़ रहा है. हाईवे पर शराब बैन के बाद इन होटलों को काफी नुकसान हुआ अब जीएसटी लगने के बाद इन्हें दौहरी मार झेलनी पड़ रही है.
बिजनेस करने वालों को हो रहीं मुश्किलें
व्यापारियों को जीएसटी लागू होने के बाद कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. छोटी से छोटी चीज को अलग-अलग टैक्स ब्रेकिट में डालकर व्यापारियों को कशमकश में डाल दिया है. उन्हें बिजनेस करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कहीं, 8% लग रहा है तो कहीं 18%. किसी को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर बिजनेस करें तो करें कैसे ?
छोटे व्यापारियों को फायदा
20 लाख सालाना व्यापार करने वाले छोटे व्यापारियों को इससे बाहर रखा गया है. ऐसे में छोटे व्यापारियों को काफी फायदा मिल रहा है. लोग आसानी से बिजनेस कर रहे हैं और कोई दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ रहा है.
सिगरेट और गुटखा वालों की बल्ले-बल्ले
सिगरेट और गुटखा बेचने वालों को जीएसटी का काफी फायदा मिला है. देखा गया है कि व्यापारी मनमाने दाम पर इसको बेच रहे हैं. इस एक महीने में कभी सिगरेट के दाम गिरे तो कभी बढ़ गए. कुल मिलाकर यहां व्यापारियों की बल्ले-बल्ले हो गई है. इसका सेवन करने वालों की जेब ढीली हो चुकी है.
जीएसटी रिटर्न फाइल करने को लेकर सबसे ज्यादा परेशानी
जीएसटी रिटर्न को लेकर तो और बवाल मचा हुआ है. दुकानदारों का सिर दर्द बना ये रिटर्न फाइल करना कोई आसान काम नहीं है. पहले तो आपको सही फॉर्म भरना होगा, तीन बार रिटर्न अभी तो नहीं फाइल करना है. फिलहाल एक महीने में एक रिटर्न और सालाना एक एनुअल रिटर्न फाइल करना है. इसके लिए GSTR-1 से लेकर GSTR-11 तक फॉर्म भरना होगा. अगर आपको ये समझ नहीं आ रहा है तो किसी सीए की मदद लें. कुल मिलाकर इस एक महीने में जीएसटी से किसी को फायदा हुआ तो किसी को नुकसान का सामना करना पड़ा. अब ये देखना होगा कि अब आगे और क्या होता है.
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