'जे है से बड़ी खुसी...' की बात है - अरविंद केजरीवाल का 'खुद' का ऑपरेशन सफल रहा है. उनकी समझ से तो ये मामूली ऑपरेशन था. कह सकते हैं किसी भी मामूली स्टिंग ऑपरेशन से भी छोटा. प्लीज, स्टिंग को आप राशन कार्ड वाले ऑपरेशन न जोड़ें - और न ही मच्छरों के छापामार स्टिंग ऑपरेशन से. लेकिन इस ऑपरेशन से जो खुलासा हुआ है उससे केजरीवाल के विरोधियों को बड़ी मायूसी होगी. ये खुलासा आंखें खोल देने वाला है - जो लोग केजरीवाल की बातों में केमिकल लोचा खोजते रहे, उन्हें समझ लेना चाहिये कि ये मेडिकल लोचा था - और हां, ये गूगल ज्ञान कतई नहीं है.
डायग्नोसिस
केजरीवाल के ऑपरेशन को लेकर बीबीसी की साइट पर कीर्तीश ने एक कार्टून बनाया है. दृश्य कुछ ऐसे है कि डॉक्टर ग्रीन यूनिफॉर्म में ओटी की ओर कदम बढ़ाने को है. 'केजरीवाल ने पत्रकार को दलाल कहा' - ये खबर पढ़ने के बाद एक आम आदमी पूछता है - "आवाज के साथ भाषा भी ठीक हो जाएगी क्या?"
डॉक्टर के मुहं पर भी ग्रीन मास्क है इसलिए उसका रिएक्शन साफ नहीं है. हो सकता है उसे लगा हो कि डायग्नोसिस में इस पहलू पर तो गौर ही नहीं किया गया.
ऑपरेशन
पहले ये खबर पढ़िये, "दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अब आप कुछ समय तक बोलते हुए नहीं सुन सकेंगे. मंगलवार को बेंगलुरु के नारायण हेल्थ सिटी में उनके गले का ऑपरेशन हुआ. उनके डॉक्टर के मुताबिक मुंह के अनुपात में उनकी जीभ थोड़ी ज्यादा बड़ी हो गई है."
कुछ दिन नहीं बोलेंगे केजरीवाल तो क्या हुआ..ट्वीट तो कर ही सकते हैं! |
अस्पताल द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से बताया गया है, "मुंह में उनकी जीभ के लिए बहुत कम जगह थी....
'जे है से बड़ी खुसी...' की बात है - अरविंद केजरीवाल का 'खुद' का ऑपरेशन सफल रहा है. उनकी समझ से तो ये मामूली ऑपरेशन था. कह सकते हैं किसी भी मामूली स्टिंग ऑपरेशन से भी छोटा. प्लीज, स्टिंग को आप राशन कार्ड वाले ऑपरेशन न जोड़ें - और न ही मच्छरों के छापामार स्टिंग ऑपरेशन से. लेकिन इस ऑपरेशन से जो खुलासा हुआ है उससे केजरीवाल के विरोधियों को बड़ी मायूसी होगी. ये खुलासा आंखें खोल देने वाला है - जो लोग केजरीवाल की बातों में केमिकल लोचा खोजते रहे, उन्हें समझ लेना चाहिये कि ये मेडिकल लोचा था - और हां, ये गूगल ज्ञान कतई नहीं है.
डायग्नोसिस
केजरीवाल के ऑपरेशन को लेकर बीबीसी की साइट पर कीर्तीश ने एक कार्टून बनाया है. दृश्य कुछ ऐसे है कि डॉक्टर ग्रीन यूनिफॉर्म में ओटी की ओर कदम बढ़ाने को है. 'केजरीवाल ने पत्रकार को दलाल कहा' - ये खबर पढ़ने के बाद एक आम आदमी पूछता है - "आवाज के साथ भाषा भी ठीक हो जाएगी क्या?"
डॉक्टर के मुहं पर भी ग्रीन मास्क है इसलिए उसका रिएक्शन साफ नहीं है. हो सकता है उसे लगा हो कि डायग्नोसिस में इस पहलू पर तो गौर ही नहीं किया गया.
ऑपरेशन
पहले ये खबर पढ़िये, "दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अब आप कुछ समय तक बोलते हुए नहीं सुन सकेंगे. मंगलवार को बेंगलुरु के नारायण हेल्थ सिटी में उनके गले का ऑपरेशन हुआ. उनके डॉक्टर के मुताबिक मुंह के अनुपात में उनकी जीभ थोड़ी ज्यादा बड़ी हो गई है."
कुछ दिन नहीं बोलेंगे केजरीवाल तो क्या हुआ..ट्वीट तो कर ही सकते हैं! |
अस्पताल द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से बताया गया है, "मुंह में उनकी जीभ के लिए बहुत कम जगह थी. तालु और छोटी जीभ अपने सामान्य आकार से थोड़ी बड़ी हो गई थी, जिसके कारण सांस लेने की प्रक्रिया में परेशानी हो रही थी. मुंह के अंदर ऊपर की ओर एक छोटी मांसपेशी होती है. इस ऑपरेशन के द्वारा हमने उसकी आकृति में भी सुधार किया."
अब डॉक्टरों को ये तो मालूम होगा ही कि किस हिस्से पर कट लगाया है. मीठे टेस्ट वाले पर या कड़वे स्वाद वाले हिस्से पर. नमकीन या सिर्फ कुछ बेस्वाद कलिकाओं वाले हिस्सों पर ही.
परहेज
किसी भी ऑपरेशन [स्टिंग अपवाद हो सकते हैं] के बाद परहेज बहुत जरूरी होता है, चाहे वो कितना ही माइनर क्यों न हो. इसलिए डॉक्टरों को चाहिये कि वो केजरीवाल के वार्ड की सीसीटीवी फुटेज पर लगातार नजर रखें - क्योंकि इस दौरान वो सिर्फ और सिर्फ उनके मरीज हैं.
जब तक जबान हीलिंग पीरियड में है डॉक्टरों को चाहिए कि वो केजरीवाल को ट्वीट करते रहने के लिए एनकरेज करते रहें. क्योंकि अंदर की फ्यूरी बाहर नहीं आई तो नया केमिकल लोचा डेवलप हो सकता है.
पथ्य
डॉक्टरों की सलाह होनी चाहिये कि वो केजरीवाल को साफ तौर पर हिदायत दें कि जब वो मुहं खोलें तो किसी नेता या पत्रकार के बारे में तो कतई नहीं बोलें. क्योंकि बहुत दिनों पर अगर जबान चलेगी तो डिफॉल्ट सेटिंग से ही चलेगी. अगर कोई केमिकल लोचा नहीं भी हुआ तो भी चांसेज हैं कि नेताओं के बारे में उनकी जबान से रेपिस्ट, मर्डरर्स और क्रिमिनल्स ही निकलेगा. अगर मोदी का ख्याल आ गया तो भी - कायर और मनोरोगी ही निकलेगा. फर्ज कीजिए किसी पत्रकार का ख्याल आ गया तो - पहला शब्द तो दलाल ही होगा - गारंटी है.
इसलिए डॉक्टरों से विनम्र निवेदन है कि प्रिस्क्रिप्शन के साथ साफ साफ, पूरी तरह पठनीय शब्दों में लिखें कि अगर वो जबान खोलें तो किसी फिल्म के बारे में ही बात करें - और ऐसा तब तक जारी रखें जब तक कि चेक अप में पूरी तरह फिट न पाया जाये.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.