बिहार में महागठबंधन टूट चुका है. नीतीश लालू के साथ छल कर उस खेमे की तरफ कूच कर चुके हैं, जिससे लालू का छत्तीस का आंकड़ा है. न ही वो खेमा लालू को पसंद करता है न ही लालू को उस खेमे का मोह है. बहरहाल इस महा गठबंधन के टूटने में तेजस्वी और तेजप्रताप की भी भूमिका को नाकारा नहीं जा सकता. कहा जा सकता है कि इस पूरे घटनाक्रम के चलते तेजस्वी और तेज प्रताप का राजनीतिक करियर लगभग समाप्त हो गया है.
कहा जा रहा है कि तेजस्वी और तेज प्रताप का राजनीतिक करियर लगभग समाप्त हो गया हैस्थिति तनावपूर्ण थी, तो मामा साधु यादव ने माहौल हल्का करने के लिए एक बाटी चोखा पार्टी का आयोजन किया. जहां ऐसा बहुत कुछ हुआ जो अपने आप में खासा दिलचस्प है. तो इसी क्रम में हम आपको उसी कंडे की आग वाली बाटी चोखा पार्टी के कुछ सीन और कुछ संवादों के जरिये अवगत कराएंगे कि कैसे पिता लालू से तेज प्रताप और तेजस्वी की तीखी बहस हुई और कैसे मामा साधु ने मामले को रफा दफा करने का प्रयास किया.
सीन 1
राबड़ी देवी चूल्हे के किनारे बैठी चोखे के लिए आलू और बैगन को मिला रही हैं और बहुत उदास हैं. आज राबड़ी की उदासी के दो कारण हैं. पहला ये कि दोनों बच्चों की शादी नहीं हो रही. दूसरा ये कि अब इस बुरी स्थिति में दोनों बच्चों से शादी आखिर कौन करेगा. साफ दिख रहा था कि, भले ही तनावपूर्व माहौल में खाना पीना चल रहा है. चेहरे पर झूठी हंसी लिए, माहौल को हल्का करने के लिए लोग खा पी रहे हैं, मगर राबड़ी को इससे कोई मतलब नहीं है. दोनों जवान बेटों के संकटमय भविष्य के चलते आज चोखे के आलू तोड़ने के वक़्त उनके हाथ काँप रहे हैं. इतने में तेजस्वी और तेज प्रताप आते हैं और कंडे की आग में फुंकनी से हवा देते हुए मां से बात करने का प्रयास करते हैं.
लालू राजनीति में लम्बी पारी खेल चुके हैं मगर अब उनके बच्चों का भविष्य वाकई संकट में आ गया है
तेज प्रताप - का हुआ मम्मी! इतना अच्छा माहौल है. मामा भी खुश हैं, पापा भी ओके- ओके हैं तुम काहे इतनी खामोश हो ?
तेजस्वी - हां मम्मी! भैया सही बोल रहे हैं. हमको तुम्हारा ये रूप देखा नहीं जा रहा. प्लीज कुछ बोलो. वरना हम चोखा नहीं खाएंगे!
राबड़ी - अब हम का बोलें! तुम दोनों भाई हमको कुछ बोलने लायक छोड़े हो! अच्छा खासा सारा पॉलिटिक्स चल रहा था मगर नहीं बड़ा लाटसाहब बनना है, सब अपने मन का करना है.
तेजस्वी - देखो मम्मी टेंशन बहुत है. वैसे ही कल से दीपू, पप्पू, मनोहर सब लोग ताना मार रहे हैं. अब तुम भी शुरू हो गयीं. हम लोगों को तो इस पार्टी में आना ही नहीं चाहिए था.
तेज प्रताप - बिल्कुल सही बोला है तेजस्वी. हम लोग तो ज्यादा कुछ किये भी नहीं और सबको यही लग रहा है कि इस महा गठबंधन के टूटने के जिम्मेदार हम लोग हैं. ए तेजस्वी ! हम तुमको पहले ही बोले थे यहां आना नहीं चाहिए था तुम भी अब हमारी बात नहीं सुनते हो. चलो यहां से बेइज्जती अब हम लोग के भाग्य में लिख गया है.
नीतीश, लालू के साथ छल कर उस खेमे की तरफ कूच कर गए हैं जिसे लालू बिल्कुल भी पसंद नहीं करते सीन 2
माँ से बहस कर के तेजस्वी और तेज प्राप्त उठ ही रहे थे कि पिता लालू प्रसाद यादव का प्रवेश होता है. लालू के हाथ में चोखे के लिए टमाटर हैं, जिसे अभी कुछ देर पहले शरद यादव का नौकर उनके घर पहुंचा गया था. तेजस्वी और तेजप्रताप अभी उठ ही रहे थे कि पिता के आदेश के बाद वो दोनों दोबारा बैठ जाते हैं. तेजस्वी चूल्हे के कंडे को सही कर रहे हैं और तेज प्रताप बैगन उठा कर छीलने का प्रयास करता है और पिता लालू से बात करना चाह रहे हैं.
तेज प्रताप - पापा एक बात बताइए, ये जो जमीन को लेकर विवाद हो रहा है क्या आप उसे सच में खरीदे थे ?
लालू - ए तेज प्रताप! तुम होश में हो या बात करने का सारा सलीका भूल गए हो?
तेज प्रताप - देखिये पापा हम बिल्कुल सलीके में रह के बात कर रहे हैं, हम बस ये जानना चाह रहे हैं कि क्या ये जमीन सच में हमारी है. ऐसा लिए क्यों कि यही जमीन हम दोनों भाइयों के पॉलिटिकल करियर का नास किये हैं.
तेजस्वी - देखिये पापा, ये सब आप लोगों का करा धरा है. हम तो वही किये जो आप बताए थे. आज तक कभी आपसे ऊंची आवाज में बात भी नहीं की. मगर अब जो हो रहा है वो किसी भी कीमत पर पर बर्दाश्त न किया जायगा.
लालू, राबड़ी से - हे राम ! ए मीसा की मम्मी! देख रही हो ये दोनों लोग हमसे किस तरह बात कर रहे हैं. क्या यही दिन देखने के लिए हम इन दोनों को बिहार जैसा इम्पोर्टेन्ट स्टेट की राजनीति में लॉन्च किये थे.
तेज प्रताप - देखिये पापा! आप हम दोनों लोग को तो इसका दोषी न ही कहिये तो अच्छा है. नवंबर 2016 में डिलाइट मार्केटिंग को जो आप लारा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड बनाए थे हमको तभी समझ जाना चाहिए था कि दाल में काला नहीं बल्कि यहां तो पूरी की पूरी दाल ही काली है. आप जब हम दोनों भाई को डायरेक्टर बनाए थे तभी हम लोग का करियर ख़त्म हो गया था.
तेजस्वी - हां पापा भैया बिल्कुल सही कह रहे हैं. जब मम्मी मुख्यमंत्री थीं तो आप लोग अपने फायदे के लिए ओम प्रकाश कात्याल और अमित कात्याल के कंधे पर बंदूक रख के फायर किये थे. तब आपने ही मम्मी को राय दी थी की वो आईसबर्ग इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड को बिहार के बिहटा में शराब फैक्टरी लगाने की अनुमति दे दें इससे बड़ा फायदा होगा.
लालू - सुई तो सुई आज चलनी भी बिओल बोल रही है जिसमें बहत्तर छेद है. अरे बुड़बकों हमको क्या पता था कि हम जिसके लिए इतना सब किये हैं वही एक दिन हमको आंख दिखाएगा.
बिहार में जो सियासी घमासान देखने को मिल रहा है वो अपने आप में बड़ा दिलचस्प है सीन 3
माँ की खामोशी और पिता की डांट से आहत, तेजप्राप्त और तेजस्वी गुस्से में बाटी चोखा पार्टी छोड़ के जा चुके हैं और उनके दरवाजे से बाहर निकलते ही पार्टी के मेन आयोजनकर्ता साधु यादव प्रवेश करते हैं और मामले को ठंडा करने का प्रयास करते हैं. साधु जानते हैं कि इस समय जीजा लालू यादव दीदी राबड़ी देवी समेत दोनों भांजे तेजस्वी और तेज प्रताप सभी परेशान हैं.
साधु यादव - क्या जीजा जी! हम तो समझे थे कि इस बाटी चोखा पार्टी के बहाने माहौल हल्का होगा. अब आप लोग जवान बच्चों को ऐसे डांटेंगे तो कैसे काम चलेगा. सोचिये जरा लोग क्या कहेंगे.
लालू - ह्म्म्म... देखो साधु यार तुम हमको थ्योरी न समझाओ. हमने जो भी किया इन नालायकों की भलाई के लिए किया. अब ये हमारे अनुभव पर ही अंगुली उठा रहे हैं.
साधु - ओह हो... जीजा जी! बात आपकी सही है. मगर अब पहली बात नहीं है. एक तरफ जहां मीडिया लोगों को बरगला रही है तो वहीं सोशल मीडिया पर भी लोग इस महागठबंधन के बारे में जम के लिख रहे हैं. अभी जब नेटवर्क आया तो हम यहीं बरामदे में फेसबुक खोले पड़ोस के मुहल्ले का सुमेसर मोदी जी का ट्वीट रिट्वीट किया है. यहीं दूसरी गली के पांचवे मुहल्ले वाला जगदीश भी अपने फेसबुक पर लिखा है कि 'ये महागठबंधन टूटना इस बात की तरफ साफ इशारा करता है कि अब बिहार और बिहार के लोगों के लिए सच में अच्छे दिन आ गए हैं.
लालू - ए साधु यार जाओ बच्चा लोग को बुलाओ और खुदही समझाओ. इतनी छोटी-छोटी बात पे आहत हो जाएंगे तो कैसे काम चलेगा. ये अभी इनकी अग्नि परीक्षा का दौर है. अभी इनको बहुत संघर्ष करना है.
हो सकता है इसी महा गठबंधन का टूटना दोनों भाइयों को राजनीति में ऊंचा मुकाम देसीन 4
तेज प्रताप और तेजस्वी घर के बाहर बने स्विमिंग पूल में पैर डाले बैठे हैं. कान के पास आए मच्छर को उन्होंने मारा ही था कि मामा साधु का प्रवेश होता है और वो पापा की डांट से आहत और मम्मी के रवैये से दुखी भांजों को समझाकर किचन में ले जाते हैं. बच्चों को वापस आया देखकर पिता लालू और मां राबड़ी दोनों खुश हैं. पिता लालू दोनों बच्चों को समझा रहे हैं कि कैसे इस महागठबंधन का टूटना उनके राजनीतिक करियर को ग्रोथ देगा और उन्हें राजनीति में लम्बी पारी के लिए तैयार करेगा. बच्चों तेजस्वी और तेज प्रताप को पापा की बात समझ में आ जाती हैं और फिर सब, सभी गिले शिकवे भुलाकर मिल बैठ के बाटी चोखे का आनंद लेने लग जाते हैं.
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