केंद्र की मौजूदा सरकार के दो साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात का स्पेशल एपिसोड प्रसारित होना था - लेकिन धरती पर 26 मई को संडे नहीं होने के कारण उसे प्रसारित नहीं किया जा सका. फिर उसे मंगलयान के जरिये अंतरिक्ष में प्रसारित करने का फैसला हुआ. पूरी दुनिया में उसकी लाइव स्ट्रीमिंग हुई. उसी का संक्षिप्त अंश हम यहां पेश कर रहे हैं. हम आपको बता दें कि मंगलवासी इसे एनक्रिप्टेड फॉर्म में रिसीव कर रहे थे.
मित्रों...
[तालियों की गड़गड़हट से मंगल ग्रह मैडिसन स्क्वायर की तरह गूंज और जगमगा उठता है.]
भाइयों और बहनों... और इस कैटेगरी से बाहर के मंगलवासियों,
हमारे लिए बड़ी खुशी की बात है कि हम फिर से आपके बीच हैं. धरती की परिक्रमा तो मैं कई बार कर चुका हूं - लेकिन चुनावों में बिजी होने के कारण आपके पास सिर्फ दूसरी बार उपस्थित हो पाया हूं. इसके लिए माफी चाहता हूं. वैसे मैं माफी मांगता नहीं.
पिछली बार मैंने आपसे कहा था - अच्छे दिन आने वाले हैं... आप यकीन मानें ये कोई चुनावी जुमला नहीं था. लेकिन अभी आपको थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा. तब तक धैर्य बनाए रखें.
मेरी सरकार के आज दो साल पूरे हो रहे हैं. अब मैं आपसे अपनी सरकार की दो साल की उपलब्धियां शेयर करना चाहता हूं.
इसे भी पढें - व्यंग्य : मंगल पर मोदी के मन की बात
आपसे शेयर करने का फायदा ये होता है कि धरती के साथ साथ बाकी ग्रहों पर भी इसकी लाइव स्ट्रीमिंग आसानी से हो जाती है. आपके बगैर ये मुमकिन नहीं हो पाता. मुमकिन हो पाता क्या? नहीं ना!
[जब पब्लिक रिएक्ट नहीं करती तो मोदी समझ जाते हैं कि कोडिंग कहीं करप्ट हो गई है, इसलिए वो मंगल की भाषा में पूछते हैं - 'इलानोसासा?' और पब्लिक से आवाज आती है]
"इलाओसासा!"
पहली बार...
मैं आपको बताना...
केंद्र की मौजूदा सरकार के दो साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात का स्पेशल एपिसोड प्रसारित होना था - लेकिन धरती पर 26 मई को संडे नहीं होने के कारण उसे प्रसारित नहीं किया जा सका. फिर उसे मंगलयान के जरिये अंतरिक्ष में प्रसारित करने का फैसला हुआ. पूरी दुनिया में उसकी लाइव स्ट्रीमिंग हुई. उसी का संक्षिप्त अंश हम यहां पेश कर रहे हैं. हम आपको बता दें कि मंगलवासी इसे एनक्रिप्टेड फॉर्म में रिसीव कर रहे थे.
मित्रों...
[तालियों की गड़गड़हट से मंगल ग्रह मैडिसन स्क्वायर की तरह गूंज और जगमगा उठता है.]
भाइयों और बहनों... और इस कैटेगरी से बाहर के मंगलवासियों,
हमारे लिए बड़ी खुशी की बात है कि हम फिर से आपके बीच हैं. धरती की परिक्रमा तो मैं कई बार कर चुका हूं - लेकिन चुनावों में बिजी होने के कारण आपके पास सिर्फ दूसरी बार उपस्थित हो पाया हूं. इसके लिए माफी चाहता हूं. वैसे मैं माफी मांगता नहीं.
पिछली बार मैंने आपसे कहा था - अच्छे दिन आने वाले हैं... आप यकीन मानें ये कोई चुनावी जुमला नहीं था. लेकिन अभी आपको थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा. तब तक धैर्य बनाए रखें.
मेरी सरकार के आज दो साल पूरे हो रहे हैं. अब मैं आपसे अपनी सरकार की दो साल की उपलब्धियां शेयर करना चाहता हूं.
इसे भी पढें - व्यंग्य : मंगल पर मोदी के मन की बात
आपसे शेयर करने का फायदा ये होता है कि धरती के साथ साथ बाकी ग्रहों पर भी इसकी लाइव स्ट्रीमिंग आसानी से हो जाती है. आपके बगैर ये मुमकिन नहीं हो पाता. मुमकिन हो पाता क्या? नहीं ना!
[जब पब्लिक रिएक्ट नहीं करती तो मोदी समझ जाते हैं कि कोडिंग कहीं करप्ट हो गई है, इसलिए वो मंगल की भाषा में पूछते हैं - 'इलानोसासा?' और पब्लिक से आवाज आती है]
"इलाओसासा!"
पहली बार...
मैं आपको बताना चाहता हूं कि भारतवर्ष की धरती पर कई काम मैंने पहली बार किये. मैं पहली बार प्रधानमंत्री बना. अब इसमें कोई डाउट तो है नहीं. किसी को डाउट तो नहीं है. 'इलानोसासा?'
"इलाओसासा!"
भारतवर्ष की आजादी के बाद पैदा होने वाला पहला प्रधानमंत्री भी मैं ही बना. कोई डाउट? नहीं ना. 'इलानोसासा?'
"इलाओसासा!"
लेकिन बड़े दुख की बात है कि कुछ लोगों को डाउट करने की आदत सी बन चुकी है. असल में वे लोग कुएं के मेढक की तरह हैं कभी उससे ऊपर सोच ही नहीं सकते.
अब बताइए मैं धरती से मंगल पर पहुंचा हूं कि नहीं? पहुंचा हूं ना. अब इसमें कोई डाउट है क्या? 'इलानोसासा?'
"इलाओसासा!"
मित्रों... भारतवर्ष के इतिहास में पहला मौका था जब किसी प्रधानमंत्री के शपथग्रहण के मौके पर सार्क देशों के नेता मौजूद रहे. ये पहला मौका था जब मंगल ग्रह का भी प्रतिनिधिमंडल धरती पर किसी प्रधानमंत्री के शपथग्रहण में पहुंचा था. अब इसमें किसी को डाउट है क्या? 'इलानोसासा?'
"इलाओसासा!"
'इलाओसासा!' |
मित्रों... भारतवर्ष के इतिहास में ये पहला मौका था जब अमेरिका का कोई राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस के मौके पर चीफ गेस्ट बन कर पहुंचा हो.
इतना ही नहीं मित्रों... 42 साल में पहली बार कनाडा का दौरा करने वाला प्रधानमंत्री कौन था? मैं ही ना.
और मंगोलिया के दौरे पर जाने वाला दुनिया का पहला प्रधानमंत्री कौन था? मैं ही ना.
और काबुल से लौटते वक्त लाहौर पहु्ंच कर नवाज शरीफ को सबसे पहले हैपी बर्थडे बोलने वाला कौन था? मैं ही ना.
और अब मैं पहली बार अमेरिका के ज्वाइंट सेशन में मन की बात...
[अचानक वेस्टर्न डिस्टर्बैंसेज के कारण कम्यूनिकेशन सिस्टम ठप हो जाता है. सिस्टम के ठीक होने तक मन की बात नहीं सुनी जा सकी.)
छुट्टी नहीं ली...
मित्रों... जब मैं दिल्ली पहुंचा तो वहां के मीडिया वाले खबर बताने लगे - कर्मचारी समय से दफ्तर पहुंच रहे हैं. ये मोदी के प्रधानमंत्री बनने का इम्पैक्ट है. अब कर्मचारी समय पर दफ्तर पहुंचें ये कोई खबर है क्या?
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मित्रों... फिर मैं अपने काम में लग गया. मैं नया नया था. दिल्ली का काम समझ में नहीं आ रहा था. फिर मैं पांच करोड़ गुजरातियों में से कुछ अफसरों को अपने साथ ले गया.
लेकिन मित्रों... वो नहीं माने. 'वो परेशान करते रहे - और हम काम करते रहे.'
मित्रों... मैंने आज तक कोई छुट्टी नहीं ली. आपको तो मालूम होगा ही कि लोग तो संसद सत्र से भी बंक मार कहां कहां छुट्टी बिताने चले जाते हैं. 'समझने वाले समझ गये होंगे... जो ना समझें वो...' है कि नहीं?
बराक-बराक...
मित्रों पहले जब भी मैं टीवी देखता था, मुझे सुन कर बड़ा अजीब लगता था. जो भी अमेरिका जाता बोलता - "मिस्टर प्रेसिडेंट!"
मैंने सोचा जब भी मैं व्हाइट हाउस जाऊंगा तो सीधे नाम लेकर बुलाऊंगा. मगर, क्या बताऊं दोस्तों मुझे वीजा ही नहीं मिलता रहा. तभी मुझे लगा कि बगैर पीएम बने वीजा नहीं मिलने वाला. फिर मैं पीएम बना. अब जब भी थोड़ा काम का बोझ कम होता है मैं अमेरिका चला जाता हूं.
जब मैं पहली बार अमेरिका गया तो सीधे व्हाइट हाउस नहीं गया. मुझे लगा पहले माहौल बनाना बहुत जरूरी है. बगैर भौकाल टाइट किये काम नहीं बनने वाला. फिर, मैंने मैडिसन स्क्वायर पर वाइब्रैंट गुजरात का कार्यक्रम रखा. जब पूरा भौकाल टाइट हो गया उसके बाद व्हाइट हाउस पहुंचा और जब अमेरिकी राष्ट्रपति रिसीव करने आए तो तपाक से बोला - 'बराक!'
जानते हैं उन्होंने क्या कहा? "केम छो मिस्टर प्राइम मिनिस्टर?"
बताइए भला... अब तक कौन ऐसा लीडर हुआ जो अमेरिका के प्रेसिडेंट को 'बराक-बराक' कह कर बुलाए और वो 'केम छो-केम छो' बोलता रहे. क्या इन दो बरसों से पहले किसी की इतनी हिम्मत हुई कि वो अमेरिका के राष्ट्रपति से शाहरुख खान का डायलॉग बोलवा ले.
आपने तो सुना ही होगा जब बराक दिल्ली आया था तो तालकटोरा स्टेडियम की भरी सभा में बोला - सैनोरिटा... बड़े-बड़े शहरों में... मित्रों इसके लिए 56 इंच का सीना चाहिए. चाहिए कि नहीं? चाहिए ना?
[वैधानिक चेतावनी: आप कभी भी सीने को इतना ज्यादा फुलाने की कोशिश न करें. इसे एक्सपर्ट की देखरेख में परफॉर्म किया जाता है. ऐसी कोशिशें नुकसान पहुंचा सकती हैं]
चुनावी वादा...
मित्रों... लोक सभा चुनावों के दौरान हमने जो वादे किये थे उनमें से काफी हमने पूरे कर दिये हैं. अब जुमलों के लिए मैं क्या कर सकता हूं. कुछ कर सकता हूं क्या? "इलानोसासा?"
मैंने जो भी काम किये उसे वेबसाइट पर डाल दिया है जिसे दुनिया क्या, पूरे स्पेस में किसी भी ग्रह पर देखा जा सकता है.
मित्रों... मैंने कांग्रेस मुक्त भारत का वादा किया था. इसमें आधे से कुछ कम काम पूरा हो चुका है - बाकी तीन साल में वो भी पूरा हो जाएगा.
मुझे हर किसी की क्रेडिट खुद लेने की आदत नहीं है. मुझे ये कहने में कोई संकोच नहीं है कि इसमें राहुल जी का भी पूरा सहयोग मिला है - और इसके लिए मैं हमेशा उनका आभारी रहूंगा.
संसद की सीढ़ियों पर सिर रख कर चढ़ने के बाद सबसे पहले हमने महाराष्ट्र और हरियाणा को कांग्रेस मुक्त किया. फिर दिल्ली को भी कांग्रेस मुक्त कर दिया. उसके बाद अरुणाचल को मुक्ति दिलाई. असम और केरल का ताजा ताजा मामला आपके सामने है. हां, बिहार और उत्तराखंड में कुछ चूक हो गई. अब हर कोई सौ फीसदी कर पाता है क्या? गैलीलियो कर पाये क्या? आइंस्टीन कर पाये क्या? "इलानोसासा?"
बहुत बहुत धन्यवाद मित्रों. अब सभी लोग मेरे साथ बोलें - भारत माता की जय! भारत माता की... भारत माता...
[कोई रिएक्शन नहीं हुआ. मतलब - फिर, कोडिंग में गड़बड़ी.]
लाफांसोडीन ट्योंयोक्का... [जब भीड़ को भाषा समझ आ गई थी.] ...ट्योंयोक्का.
लाफांसोडीन... ट्योंयोक्का!
लाफांसोडीन... ट्योंयोक्का!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.