जब भारी बहुमत से जीत कर आए नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री पद का शपथ ग्रहण कर रहे थे, उनके चेहरे पर गजब का तेज दिख रहा था. उस दिन शपथ ग्रहण समारोह और अलग-अलग देशों से आए मेहमानों से रूबरू होने के बाद देर रात जब पीएम मोदी अपने शयनकक्ष थके हारे जाते हैं, उनके मन में बहुत सारी बातें चल रही होती हैं. कैसे इस देश को अब विकास की रफ्तार देनी है. कैसे इस देश को असल में एक सेक्युलर देश बनाना है. कैसे पूरे संसार में भारत का नाम ऊंचा करना है. इसी बीच एक धीमी सी आवाज उनके कानों पर रेंगती है-
दामोदरऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ ????
गुस्साए आवाज में - कौन ?
मोहन दास करमचंद गांधी!
हूंऽऽऽऽऽऽऽऽऽ! देखो अंकल काफी समय से चुनाव के चक्कर में मैं सोया नहीं हूं, दिमाग मत खाईए नहीं तो......!
नहीं तो क्या, क्या करोगे?
उमर का लिहाज कर रहा हूं अंकल, भारत के विकास के बारे में सोच रहा हूं अभी शांति से सोचने दो....!
नहीं तो क्या करोगे, मारोगे?, तुम बाएं गाल पर मारोगे तो मैं दाहिना गाल आगे कर दूंगा कवि साहब!
यह कवि वाली बात तुमको किसने बोली?
इस बीच पहरेदार की आवाज आती है- जागते रहोऽऽऽऽऽऽ! जागते रहोऽऽऽऽऽऽ!
ओए हरिया.....देख उस धोती वाले को और बोल चुप बैठने के लिए!
किसको?
अरेऽऽ! बापू के डुप्लीकेट को.
अरे! किधर?
अरेऽऽ उधर है....दिखता नहीं क्या?
पीएम साहब! चुपचाप सो जाओ कोई नहीं है इधर.
कौन हो तुम?
तुम चाहो तो प्यार से मुझे बापू बुला सकते हो
तुम कोई आत्मा-वात्मा तो नहीं हो ना
आत्मा नहीं, चेतना कह सकते हो!
हाह.... हुर्रर्ररेरेऽऽऽऽऽऽ, हाह...., रे पकड़-पकड़, रे हाह....
बापू यह कैसी आवाज है?
कुछ नहीं, लालू की भैंस भाग गई है उसे पकड़ने निकले हैं, तुम अपना ध्यान मेरे पर केंद्रित करो...
आपके साथ लालू? मेरे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है बाप
बाप नहीं, बापू!, बहुत प्यार करते हो न देश के लोगों से?
हां आपको...
जब भारी बहुमत से जीत कर आए नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री पद का शपथ ग्रहण कर रहे थे, उनके चेहरे पर गजब का तेज दिख रहा था. उस दिन शपथ ग्रहण समारोह और अलग-अलग देशों से आए मेहमानों से रूबरू होने के बाद देर रात जब पीएम मोदी अपने शयनकक्ष थके हारे जाते हैं, उनके मन में बहुत सारी बातें चल रही होती हैं. कैसे इस देश को अब विकास की रफ्तार देनी है. कैसे इस देश को असल में एक सेक्युलर देश बनाना है. कैसे पूरे संसार में भारत का नाम ऊंचा करना है. इसी बीच एक धीमी सी आवाज उनके कानों पर रेंगती है-
दामोदरऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ ????
गुस्साए आवाज में - कौन ?
मोहन दास करमचंद गांधी!
हूंऽऽऽऽऽऽऽऽऽ! देखो अंकल काफी समय से चुनाव के चक्कर में मैं सोया नहीं हूं, दिमाग मत खाईए नहीं तो......!
नहीं तो क्या, क्या करोगे?
उमर का लिहाज कर रहा हूं अंकल, भारत के विकास के बारे में सोच रहा हूं अभी शांति से सोचने दो....!
नहीं तो क्या करोगे, मारोगे?, तुम बाएं गाल पर मारोगे तो मैं दाहिना गाल आगे कर दूंगा कवि साहब!
यह कवि वाली बात तुमको किसने बोली?
इस बीच पहरेदार की आवाज आती है- जागते रहोऽऽऽऽऽऽ! जागते रहोऽऽऽऽऽऽ!
ओए हरिया.....देख उस धोती वाले को और बोल चुप बैठने के लिए!
किसको?
अरेऽऽ! बापू के डुप्लीकेट को.
अरे! किधर?
अरेऽऽ उधर है....दिखता नहीं क्या?
पीएम साहब! चुपचाप सो जाओ कोई नहीं है इधर.
कौन हो तुम?
तुम चाहो तो प्यार से मुझे बापू बुला सकते हो
तुम कोई आत्मा-वात्मा तो नहीं हो ना
आत्मा नहीं, चेतना कह सकते हो!
हाह.... हुर्रर्ररेरेऽऽऽऽऽऽ, हाह...., रे पकड़-पकड़, रे हाह....
बापू यह कैसी आवाज है?
कुछ नहीं, लालू की भैंस भाग गई है उसे पकड़ने निकले हैं, तुम अपना ध्यान मेरे पर केंद्रित करो...
आपके साथ लालू? मेरे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है बाप
बाप नहीं, बापू!, बहुत प्यार करते हो न देश के लोगों से?
हां आपको कैसे मालूम?
हाह.... कहां भागा रे.....जल्दी से पकड़ नहीं तो सबकुछ लुट जाएगा....
बापू ये क्या लालू की भैंस पकड़ी नहीं गई अभी तक?
नहीं दामोदर......! यह तो नीतीश कुमार हैं, लालू को खोजने निकले हैं, तुम मेरे पर ध्यान केंद्रित करो.
बापू क्या है यह सब मेरे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है....
हरियाऽऽऽऽऽऽ??? हरियाऽऽऽऽऽऽ???
डरो मत बेटा! मैं तो तुम्हारी मदद करने आया हूं
हरियाऽऽऽऽऽऽ???
अगर तुम डर रहे हो तो मैं जाता हूं, जब भी मेरी जरूरत पड़े मुझे दिल से याद करना मैं आ जाऊंगा...
आ हरियाऽऽऽऽऽऽ??? हरियाऽऽऽऽऽऽ??? बचाओऽऽऽऽऽऽऽऽऽ भैंस.... आऽऽऽऽऽ भैंस.... भैंस....!
एकाएक पसीने से भीग चुके पीएम मोदी जी की आंख खुली और उन्होंने खुद को चारो ओर से सांसदों से घिरा पाया. सबसे पहले जोर से रोती हुई आवाज आई. 'आइहो रामा ई का भ गईल हमार पीएम साहेबवा के'. ओए ये लालू की आवाज कहां से आ रही है? किधर हैं लालू जी? भैंस मिली कि नहीं लालू जी? आरे सर, हम हूं सांसद मनोज तिवारी. धत्त तेरे की, यह सपना था या हकीकत?
तभी रविशंकर प्रसाद जी दौड़ते-दौड़ते पहुंचे. क्या हुआ मोदी जी?
रविशंकर जी, हमे तो अब पूरा विश्वास हो गया है कि मैं सपने देख रहा था. लेकिन बापू तो ज्ञान देने आए थे बीच में लालू की भैंस भाग गई. भैंस के पीछे लालू भाग रहे थे और लालू के पीछे नीतीश. कुछ समझ में नहीं आया. तब रविशंकर बोले- पीएम साहब! यह राजनीति है वो आपको सपने में डराते हैं हम बार-बार बिहार जाकर उन सबको डराएंगे. चलिए अब सो जाईए. गुड नाईट.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.