परम आदरणीय जनाब-ए-आला स्कॉलर श्री ज़ाकिर नाइक साहब,
इस्लाम और दुनिया के तमाम धर्मों के बारे में आपके ज्ञान को देखकर चकित हूं. लेकिन एक हज़ार मुद्दों पर जानकारी लेने में मेरी दिलचस्पी कम है. मैं तो बस जन्नत की हूरों के बारे में अधिक से अधिक जानना चाहता हूं. आशा है, जैसे आप भारत से भाग गए हैं, वैसे मेरे इन 35 सवालों से नही भागेंगे.
1. मैंने सुना है कि धार्मिक पुरुष जब जन्नत पहुंचते हैं, तो उन्हें 72 हूरें मिलती हैं, लेकिन जब धार्मिक महिलाएं जन्नत पहुंचती हैं, तो उन्हें कौन मिलता है, और जो भी मिलते हैं, उनकी संख्या कितनी होती है?
2. कहीं ऐसा तो नहीं कि जैसे धरती पर महिलाओं से भेदभाव किया जाता है, वैसे ही जन्नत में भी उनकी अनदेखी की जाती है? वहां पुरुष तो हूरों के साथ मगन रहते होंगे, पर महिलाएं अपना वक्त कैसे काटती हैं?
3. जन्नत पहुंचे धार्मिक पुरुषों से मिलने के लिए हूरें बुरके में आती हैं या बिकिनी में? दुपट्टे सलवार में आती हैं या हॉट पैंट में? कपड़े पहनकर आती हैं या बिना कपड़ों के?
4. कृपया हूरों के नैन-नक्श, पहनावे-ओढाबे, खान-पान, रहन-सहन इत्यादि के बारे में विस्तार से बताएं.
5. हूरें कौन-सी भाषा बोलती हैं? क्या उन्हें धरती पर बोली जाने वाली भाषाओं की शिक्षा देने के लिए जन्नत में कोई यूनिवर्सिटी स्थापित की गई है? जब धरती से अलग-अलग भाषाएं और बोलियां बोलने वाले लोग जन्नत पहुंचते होंगे, तो क्या उन्हें उन्हीं की भाषा और बोलियों में बात करने वाली हूरें सप्लाई की जाती हैं?
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6. या फिर वे सभी हूरें कोई एक ही भाषा बोलती हैं और धरती से पहुंचने वाले लोगों के लिए ही वहां एक मदरसा स्थापित कर दिया गया है, जहां हूरों से मिलाने से पहले उन्हें उस भाषा की मुकम्मल तालीम दी जाती है?
7. यहां से जन्नत जाने वाले लोगों को फौरन हूरें मुहैया करा दी जाती हैं या फिर वहां भी उन्हें पहले आयतों रवायतों इत्यादि की किसी जांच से गुज़रना पड़ता है?
8. हूरों के मामले में जन्नत के रूल्स और रेगुलेशन्स क्या हैं? क्या वे सिर्फ़ इस्लाम मानने वालों को ही सप्लाई की जाती हैं या फिर अन्य धर्मों के अनुयायियों को भी मुहैया कराई जाती हैं?
9. कहीं ऐसा तो नहीं कि जैसे धरती पर सभी धर्मों के लोगों के रहने की व्यवस्था है, जन्नत में वैसी व्यवस्था नहीं है और वहां सिर्फ़ इस्लाम मानने वालों की ही एंट्री हो पाती है? इसलिए हूरों का लाभ भी एक्सक्लूसिवली इस्लाम के अनुयायियों को ही मिल पाता है?
10. अगर हां, तो क्या हूरों वाले जन्नत की स्थापना 1400 साल पहले हुई मानी जा सकती है? और क्या यह माना जा सकता है कि सभी धर्मों के देवी-देवताओं ने अलग-अलग जन्नतें बसा रखी हैं, जहां उनके अनुयायियों को अलग-अलग तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं? या फिर सिर्फ़ इस्लाम वाला जन्नत ही सच्चा है और बाकी धर्मों में जन्नत के झूठे दावे किए गए हैं?
11. धरती के धार्मिक पुरुषों के लिए हूरों वाला यह जन्नत कहां स्थापित है? कृपया इसकी सही-सही लोकेशन बताएं और यह भी बताएं कि वहां से आप लोगों का कनेक्शन किस प्रकार जुड़ा है? इधर हाल-फिलहाल आपने वहां से कोई संवाद कायम किया है या फिर बिना संवाद और कनेक्शन के ही डींगें हांकते रहते हैं?
12. जन्नत में कुल कितनी हूरों का इंतज़ाम रहता है? जैसे अभी दुनिया में सभी धर्मों के करीब 730 करोड़ लोग रहते हैं. इनमें पुरुषों की संख्या करीब 365 करोड़ है. तो क्या अभी जन्नत में 365 करोड़ X 72 = 26,280 करोड़ यानी 262.80 अरब यानी 2.628 खरब यानी धरती की समूची आबादी से 36 गुना अधिक हूरों का इंतज़ाम होगा?
13. या फिर जन्नत के प्रबंधकों ने सिर्फ़ इस्लामिक आबादी को ध्यान में रखकर ही हूरों का इंतज़ाम रखा है? जैसे अभी दुनिया में इस्लाम मानने वाले 160 करोड़ लोगों में करीब 80 करोड़ पुरुष हैं. तो क्या अभी जन्नत में हूरों की संख्या करीब 80 करोड़ X 72 = 5,760 करोड़ यानी 57.60 अरब यानी धरती की समूची आबादी से आठ गुना अधिक होगी?
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14. यह तो धरती के उन लोगों के लिए हूरों के इंतज़ाम की बात हुई, जो आने वाले दिनों में जन्नत जाएंगे, लेकिन कृपया उन हूरों के आंकड़े भी बताएं, जो पिछले 1400 साल में धरती से पहुंचे अरबों धार्मिक पुरुषों को संतुष्ट करने में जुटी हुई हैं?
15. क्या धरती पर बढ़ती आबादी के हिसाब से जन्नत में हूरों की सप्लाई भी बढ़ती जाती है? पुरानी हूरों और नई हूरों को मिलाकर उनकी आबादी का एक मुकम्मल आंकड़ा पेश करें. यह भी बताएं कि इन हूरों का लाभ अभी कुल कितने धार्मिक पुरुषों को मिल रहा है? और आने वाले दस-बीस-तीस सालों में वहां और कितने धार्मिक पुरुषों की जगहें ख़ाली हैं?
16. हूरों की इतनी बड़ी आबादी के साथ पुरुषों को रखने के लिए जन्नत में क्या इंतज़ाम किए गए हैं? कोठियां बनी हैं, मल्टीस्टोरीज़ बिल्डिंगें बनी हैं या रेड लाइट एरिया जैसे इंतज़ाम किये गए हैं, जहां हूरों को छोटे-छोटे कमरों में रखा जाता है और धरती के सारे प्यासे धार्मिक पुरुष बारी-बारी से उन्हें भोगने के लिए पहुंचते रहते हैं?
17. प्यासे धार्मिक पुरुषों द्वारा लगातार भोगे जाने की स्थिति में थकी हुई हूरों को क्या यह अधिकार होता है कि वे और भोगे जाने से इनकार कर सकें? इसके विपरीत, क्या प्यासे धार्मिक पुरुषों को भी यह अधिकार होता है कि अपनी पसंदीदा हूरों को वे जितना चाहें, नोंच सकें?
18. अक्सर युद्ध और दंगे इत्यादि में जब एक साथ हज़ारों या लाखों लोग शहीद हो जाते हैं, तब जन्नत के दरवाज़े पर भगदड़ तो नहीं मच जाती होगी न? इतने लोगों की एक साथ जन्नत में एंट्री और सबको समय से हूरों की सप्लाई के क्या इंतज़ामात हैं?
19. क्या कभी ऐसा भी होता होगा कि हूरों की सप्लाई कम होने की दशा में कुछ पुरुषों को 72 से कम हूरों के साथ ही संतोष करना पड़ता हो? ऐसी दशा में अपने हक़ से महरूम लोग क्या वहां फिर से कोई जेहाद छेड़ते होंगे?
20. जन्नत में पुरुषों की सप्लाई तो धरती से होती है, पर हूरों की सप्लाई किस ग्रह, किस लोक, किस दुनिया से होती है?
21. धरती पर तो कभी किसी चीज़ की कमी हो जाती है, कभी किसी चीज़ की अधिकता हो जाती है. पर जन्नत में वे कौन-से मैन्यूफैक्चरर और सप्लायर हैं, जो हर पुरुष के लिए 72 हूरों की सप्लाई मेनटेन रख पाते हैं? कृपया जन्नत में हूरों के मैन्यूफैक्चरर और सप्लायर के बारे में विस्तार से बताएं.
22. मेरा ख्याल है कि जन्नत पहुंचे लोगों को 72 हूरें तो निःशुल्क ही मुहैया करा दी जाती होंगी, लेकिन अगर इन 72 के अलावा किसी तिहत्तरवीं-चौहत्तरवीं पर उनका दिल ललचा जाए, तो वे क्या करें? क्या कुछ अतिरिक्त शुल्क इत्यादि के भुगतान से वे हूरें उन्हें दे दी जाएंगी या नहीं दी जाएंगी?
23. अपनी-अपनी पसंद की हूरें हासिल करने के लिए जन्नत में भी जंग तो नहीं छिड़ जाती होगी न?
24. क्या जन्नत में हर व्यक्ति को समान संख्या में हूरें मुहैया कराई जाती हैं? पूछने का मतलब यह है जब आप जैसे बड़े स्कॉलर वहां पहुंचेंगे, तो आपको भी 72 हूरें, और आपके मामूली फॉलोअर्स को भी 72 ही हूरें? यह तो कुछ नाइंसाफ़ी नहीं हो जाएगी? इसी तरह, ओसामा बिन लादेन जैसे बड़े जेहादी को भी 72 हूरें और उसकी आर्मी में काम करने वाले एक छोटे जेहादी को भी 72 ही हूरें?
25. क्या जन्नत पहुंचकर धरती के धार्मिक पुरुष हूरों से संतान भी उत्पन्न करते हैं या फिर ख़ाली टाइम पास की ही इजाज़त है?
26. अगर जन्नत पहुंचकर धार्मिक पुरुष हूरों से संतान उत्पन्न कर सकते हैं, तो वहां संतान उत्पन्न करने की कोई सीलिंग है या फिर जितनी मर्ज़ी चाहे उतने कर सकते हैं?
27. जन्नत पहुंचने वाले धार्मिक पुरुषों के लिए कोई कोड ऑफ कंडक्ट भी है क्या? जैसे एक बार आपने बताया था कि धार्मिक पुरुष अगर अपनी बीवियों को पीटें, तो इसमें कुछ ग़लत नहीं है. उसी तरह जन्नत पहुंचकर वे अगर हूरों की भी पिटाई कर दें, तो कोई दिक्कत तो नहीं न?
28. धरती की बीवियों एवं जन्नत की हूरों में क्या अंतर है? जैसे बीवी से कुछ बार तलाक तलाक बोलकर छुटकारा पा सकते हैं, वैसे ही अगर कोई हूर पसंद नहीं आए, या उससे मन भर जाए, तो क्या उससे भी कोई शब्द बोलकर अलग हुआ जा सकता है? अगर हां, तो उस शब्द के बारे में कृपया विस्तार से बताएं.
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29. क्या जन्नत जाने पर धार्मिक पुरुषों को कोई विशेष पौरुष-वर्द्धक दवा सप्लाई की जाती है, जो एक साथ वे 72 हूरों को संतुष्ट रख पाते हैं? अगर हां, तो कृपया उन दवाओं के नाम, मैन्यूफैक्चरर और सप्लायर के बारे में भी विस्तार से बताएं.
30. मान लीजिए कि जन्नत पहुंचने वाला पुरुष शक्तिवर्द्धक दवाएं लेकर एक साथ 72 हूरों को संतुष्ट भी कर दे, पर 72 हूरें कैसे एक ही पुरुष के साथ संतुष्ट रहती होंगी?
31. कृपया इसे क्लीयर करें कि जन्नत में एक पुरुष 72 हूरों को भोगता है या 72 हूरें एक पुरुष को भोगती हैं? दूसरे लफ़्ज़ों में, इस बात की क्या गारंटी है कि पुरुष ही उन 72 हूरों को भोगेगा, वे 72 हूरें मिलकर उसे भोगना शुरू नहीं कर देंगी?
32. धरती के पुरुषों को तो जेहाद और काफ़िरों के कत्ल इत्यादि विभिन्न धार्मिक कार्यों से कमाए पुण्य के तौर पर 72 हूरें मिलती हैं, लेकिन उन 72 हूरों को किन पापों की सज़ा के तौर पर एक ही पुरुष को शेयर करने का अभिशाप मिलता है? क्या अपने पिछले जनम में उन्होंने आयतों और रवायतों का सही ढंग से पालन नहीं किया होता है?
33. क्या जन्नत पहुंचकर धरती के धार्मिक पुरुष हूरों के साथ फुल टाइम मौज-मस्तियां ही किया करते हैं, या वहां भी किसी तरह के धार्मिक और जेहादी कार्यों में हिस्सा लेते हैं?
34. क्या धार्मिक पुरुषों की तमाम गतिविधियों का अंतिम उद्देश्य अधिक से अधिक संख्या में हूरों अर्थात् ख़ूबसूरत स्त्रियों को भोगना ही होता है?
35. अंतिम सवाल. क्या संक्षेप में हूरों को धार्मिक पुरुषों की “अनंतकालीन सेक्स स्लेव” कहा जा सकता है?
स्कॉलर श्री परम आदरणीय ज़ाकिर साहब, जैसा कि आप भी मानेंगे कि आज दुनिया के नौजवानों के मन में सबसे ज़्यादा सवाल, जिज्ञासाएं और ख्वाहिशें हूरों को लेकर ही हैं, इसलिए आशा है कि आप मेरे इन सवालों के यथोचित जवाब देंगे. अगर आपने इन सवालों के सही-सही जवाब दे दिए, तो मैं भी आपका अनुयायी बन जाऊंगा. इसके बाद जहां कहेंगे, वहीं बम फोड़ दूंगा. जिसका कहेंगे, उसी का गला रेत दूंगा.
सादर शुक्रिया.
डिस्क्लेमर- यह पत्र किसी धर्म का मखौल उड़ाने के लिए नहीं, बल्कि धर्म के नाम पर मासूम लोगों को गुमराह कर रहे पोंगापंथियों की पोल खोलने के लिए लिखा गया है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.