पश्चिम बंगाल में इंद्रधनुष को रामधेनु कहा जाता था लेकिन ममता बनर्जी सरकार ने इसे रॉन्गधेनु (रंगधेनु) कर दिया है. मुसलमानों को खुश करने की कोशिश में लगी ममता बनर्जी की ट्विटर पर लोगों ने और मदद की.
खुद को सेक्युलर स्टेट कहने वाले पश्चिम बंगाल ने रामधेनु (इंद्रधनुष) का नाम बदलकर रॉन्गधेनु (रंगधेनु) कर दिया. हुआ ये कि पश्चिम बंगाल की हायर एजुकेशन काउंसिल को लगा कि रामधेनु नाम कम्युनल है और इससे कुछ लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं. क्योंकि उस शब्द का अर्थ तो यही निकलता था कि राम द्वारा मोड़ा गया धनुष.
हालांकि, कहा जा रहा है कि ममता सरकार को इस बारे में प्रेरणा बांग्लोदश से मिली है, जहां पहले ही इंद्रधनुष को पहले ही रॉन्गधेनु कहा जाने लगा है. लेकिन ममता बनर्जी का पश्चिम बंगाल में यह कदम सिर्फ मुसलमानों को खुश करने की रणनीति का ही हिस्सा रहा. उनकी यह रणनीति उजागर होते ही ट्विटर पर लोगों ने एक कदम आगे जाकर कमेंट किए.
ममता सरकार का कहना था कि राम से जुड़ा कुछ भी सेक्युलर नहीं हो सकता देश में. अब खुद को लिबरल कहने वाली जनता भले ही भाषा के सेक्युलरिज्म पर चुप हो, लेकिन ट्विटर कहां किसी को छोड़ने वाला है. लोगों ने इसे भी ट्रॉल करना शुरू कर दिया. तो देखिए कुछ ट्वीट.
राम राज्य नहीं जनाब अब तो रॉन्ग राज्य का जमाना आ गया है......
खुद को सेक्युलर स्टेट कहने वाले पश्चिम बंगाल ने रामधेनु (इंद्रधनुष) का नाम बदलकर रॉन्गधेनु (रंगधेनु) कर दिया. हुआ ये कि पश्चिम बंगाल की हायर एजुकेशन काउंसिल को लगा कि रामधेनु नाम कम्युनल है और इससे कुछ लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं. क्योंकि उस शब्द का अर्थ तो यही निकलता था कि राम द्वारा मोड़ा गया धनुष.
हालांकि, कहा जा रहा है कि ममता सरकार को इस बारे में प्रेरणा बांग्लोदश से मिली है, जहां पहले ही इंद्रधनुष को पहले ही रॉन्गधेनु कहा जाने लगा है. लेकिन ममता बनर्जी का पश्चिम बंगाल में यह कदम सिर्फ मुसलमानों को खुश करने की रणनीति का ही हिस्सा रहा. उनकी यह रणनीति उजागर होते ही ट्विटर पर लोगों ने एक कदम आगे जाकर कमेंट किए.
ममता सरकार का कहना था कि राम से जुड़ा कुछ भी सेक्युलर नहीं हो सकता देश में. अब खुद को लिबरल कहने वाली जनता भले ही भाषा के सेक्युलरिज्म पर चुप हो, लेकिन ट्विटर कहां किसी को छोड़ने वाला है. लोगों ने इसे भी ट्रॉल करना शुरू कर दिया. तो देखिए कुछ ट्वीट.
राम राज्य नहीं जनाब अब तो रॉन्ग राज्य का जमाना आ गया है......
अंत में गांधी जी का शायद इस पूरे प्रकरण पर यही कहना होगा...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.