भारतीय कुछ अलग ही मिट्टी के बने होते हैं शायद. भारत में एडजस्ट करने की आदत होती है. टूथब्रश और कंघी का इस्तेमाल ट्रेन के पंखे को चलाने के लिए करने के साथ-साथ मेट्रो, बस आदि में 4 की सीट पर 6 लोग बैठ ही जाते हैं. इसके अलावा भी एडजस्टमेंट के कई तरह के उदाहरण होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में भारतीय बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं.
1. ग्रामर सही करना
क्या किसी अंग्रेज के साथ हिंदी बोलते समय ऐसा किया जाता है? नहीं न? भारत में अंग्रेजी की बहुत इज्जत की जाती है और यही कारण है कि अंग्रेजी को दिल से लगा बैठे हैं भारतीय. इसपर कोई नकचढ़ा अगर उनकी ग्रामर ठीक करे तो उसे दुश्मन मान लेना तो वाजिब सी बात है.
2. प्लेन में यात्रा करते समय विंडो सीट न मिलना
भारत में विंडो सीट को काफी अहमियत दी जाती है. ट्रेन हो या प्लेन या बस विंडो सीट तो अहम भूमिका में रहती है. ऐसे में प्लेन में विंडो सीट न मिलने से भारतीय थोड़े चिढ़ जरूर जाते हैं.
3. सिनेमा हॉल में रोने और चीखने वाले बच्चों का होना
किसी फिल्म को सिनेमा हॉल में देखने जाने का मजा ही कुछ और होता है. अब भारत में बच्चे और फोन बहुत ही जरूरी हैं. दोनों को ही फिल्म के दौरान अटेंड करना होता है और हर बार सिनेमा हॉल में ऐसे लोग मिल ही जाते हैं जिनके बच्चे और फोन दोनो ही लाउड मोड पर होते हैं. ऐसे में अगर आस-पास की सीट पर कोई बच्चा रो रहा हो जिसका आपसे कोई लेना-देना नहीं है तो यकीनन चिड़चिड़ाहट तो होगी ही.
4. बाथरूम जाते समय फोन भूल जाना
ये कुछ नया है. जहां पहले बाथरूम में पेपर लेकर जाया करते थे लोग अब स्मार्टफोन लेकर जाते हैं और सोशल मीडिया अकाउंट स्क्रॉल करते-करते अपना काम करते हैं. ऐसे में अगर फोन ही बाहर भूल जाएं तो खुद ही सोच...
भारतीय कुछ अलग ही मिट्टी के बने होते हैं शायद. भारत में एडजस्ट करने की आदत होती है. टूथब्रश और कंघी का इस्तेमाल ट्रेन के पंखे को चलाने के लिए करने के साथ-साथ मेट्रो, बस आदि में 4 की सीट पर 6 लोग बैठ ही जाते हैं. इसके अलावा भी एडजस्टमेंट के कई तरह के उदाहरण होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में भारतीय बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं.
1. ग्रामर सही करना
क्या किसी अंग्रेज के साथ हिंदी बोलते समय ऐसा किया जाता है? नहीं न? भारत में अंग्रेजी की बहुत इज्जत की जाती है और यही कारण है कि अंग्रेजी को दिल से लगा बैठे हैं भारतीय. इसपर कोई नकचढ़ा अगर उनकी ग्रामर ठीक करे तो उसे दुश्मन मान लेना तो वाजिब सी बात है.
2. प्लेन में यात्रा करते समय विंडो सीट न मिलना
भारत में विंडो सीट को काफी अहमियत दी जाती है. ट्रेन हो या प्लेन या बस विंडो सीट तो अहम भूमिका में रहती है. ऐसे में प्लेन में विंडो सीट न मिलने से भारतीय थोड़े चिढ़ जरूर जाते हैं.
3. सिनेमा हॉल में रोने और चीखने वाले बच्चों का होना
किसी फिल्म को सिनेमा हॉल में देखने जाने का मजा ही कुछ और होता है. अब भारत में बच्चे और फोन बहुत ही जरूरी हैं. दोनों को ही फिल्म के दौरान अटेंड करना होता है और हर बार सिनेमा हॉल में ऐसे लोग मिल ही जाते हैं जिनके बच्चे और फोन दोनो ही लाउड मोड पर होते हैं. ऐसे में अगर आस-पास की सीट पर कोई बच्चा रो रहा हो जिसका आपसे कोई लेना-देना नहीं है तो यकीनन चिड़चिड़ाहट तो होगी ही.
4. बाथरूम जाते समय फोन भूल जाना
ये कुछ नया है. जहां पहले बाथरूम में पेपर लेकर जाया करते थे लोग अब स्मार्टफोन लेकर जाते हैं और सोशल मीडिया अकाउंट स्क्रॉल करते-करते अपना काम करते हैं. ऐसे में अगर फोन ही बाहर भूल जाएं तो खुद ही सोच लें कि क्या होगा.
5. पानीपुरी वाले का सूखी पूरी न देना
10 रुपए की पानीपुरी खाने के बाद सूखी पूरी खाना हर भारतीय का हक है और अगर ये नहीं हुआ तो चिढ़ना भी जरूरी है. ऐसे में अगर सूखी पूरी न मिले तो भारतीय ठगा सा महसूस करते हैं.
6. नए आईफोन की तारीफ न सुनना
एक तो अगर किसी ने फोन खरीदा तो उसके जानने वालों का फर्ज है कि वो नए फोन की तारीफ करें. इसपर अगर आईफोन खरीदा है और किसी ने नोटिस नहीं किया तो हिंदुस्तान छोड़िए दुनिया के किसी भी देश में लोग चिढ़ सकते हैं.
7. यूट्यूब वीडियो का बफर होना...
इंटरनेट की स्पीड का भारत में क्या हाल है ये तो सभी जानते हैं ऐसे में यूट्यूब वीडियो का बार-बार बफर करना चिड़चिड़ाहट का कारण बन सकता है.
8. लिफ्ट का बटन बार-बार दबाना...
हर ऑफिस, मॉल, बिल्डिंग का ये नियम है कि अगर कोई एक बार लिफ्ट का बटन दबा चुका है तो उसे आकर कोई दूसरा जरूर प्रेस करेगा. जनाब लिफ्ट को ऊपर या नीचे बुलाने का बदन दबाया जा चुका है. बार-बार दबाने से लिफ्ट जल्दी नहीं आएगी.
9. चाय के प्याले में पार्ले जी का गिर जाना...
चाय के साथ बिस्किट और नमकीन खाने की प्रथा भारत के कई इलाकों में देखी गई है. (नमकीन वाला मामला भले ही अजीब लगे, लेकिन यकीन मानिए बहुत प्रचलित है.) चाय के समय मजे से बिस्किट खा रहे हों और अचानक बिस्किट टूट कर गिर जाए तो जो गुस्सा आता है उसे बयान नहीं किया जा सकता है.
10. जब आप समय पर पहुंचे और कोई दूसरा लेट हो जाए...
लेट होने का मार्जिन 15 मिनट से लेकर 1 घंटे तक वैसे ही रखा जाता है ऐसे में अगर आप समय पर पहुंच जाएं और सामने वाला लेट हो जाए तो यकीनन दिक्कत तो होगी ही.
11. क्रिकेट मैच में हार जाना..
क्या इसे भी समझाने की जरूरत है? क्रिकेट जहां किसी धर्म की तरह पूजा जाता है वहां टीम इंडिया का हार जाना तो लोगों को पागल ही कर देता है.
12. आखिर में, एटीएम की लाइन में घंटे भर खड़े होने के बाद नंबर आने पर आउट ऑफ कैश हो जाए...
नोटबंदी के दौर में ये काफी लोगों के साथ हुआ और जिस तरह का चिड़चिड़ापन देखने को मिला वो शायद हर भारतयी समझ जाएगा.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.