आज सुबह से दिमाग खराब है और भावना आहत. दिमाग खराब होने की वजह है फेसबुक, और कोने में कहीं एसी चालकर सो रही भावना के आहत होने का कारण हैं किरण यादव. किरन यादव वो शख्सियत हैं जिन्होंने बिहार की राजनीति के अंतर्गत चलने वाले सियासी घमासान में नीतीश को आड़े हाथों लेते हुए लालू यादव को बल दिया है. तेजस्वी और तेजप्रताप तो वाकई बच्चे ही लगेंगे इनके आगे. आप भले ही किरन यादव को न जानते हों, मगर फेसबुक पर इनकी जो फैन फॉलोइंग है वो आपके होश उड़ा देगी. फेसबुक पर किरन के फॉलोवरों की संख्या 9.42 लाख है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फॉलोवरों की तादाद 14,76 लाख से थोड़ी कम. लेकिन, लालू के फॉलोवर 7.84 लाख से कहीं ज्यादा.
टाइम पर न सोने के चलते, मेरी इन झुर्री और डार्क सर्कल पड़ी आंखें मुलायम देख चुकी थीं, शरद ऋतू में वो लालू के दोनों बच्चों, तेजस्वी और तेज प्रताप को पहचान चुकी थीं, मेरी इन आंखों ने अखिलेश को लैपटॉप बांटते हुए और प्रतीक यादव को जिम में कसरत करते हुए डोलों वाली सेल्फी लेते हुए भी देखा था.
कसम डिम्पल भाभी की, मेरे कान, शिवपाल और रामगोपाल के बेतुके बयान भी सुन चुके थे. मगर आज जब मैंने सिर पर दुपट्टा डाले और 9.42 लाख फॉलोवर वाली किरन यादव को देखा तो मेरे सब्र का बांध टूट गया, कच्ची उम्र में झुर्री पड़ी मेरी ये आंखें छलक उठीं. ऐसा नहीं है कि मुझे किरन यादव और उसके दुपट्टे से तकलीफ हैं बस बात इतनी है कि मैं उसके लिखे और उस लिखे पर आने वाले लाइक, कमेन्ट से दुखी हूं. किरन की पोस्टों पर पड़ने वाले शेयर मेरे जख्मों पर नमक का काम कर रहे हैं.
सोशल मीडिया का टॉयलेट युग है. एक ऐसा युग, जब देश का हर दूसरा व्यक्ति सोशल मीडिया के कमोड पर बैठ कर...
आज सुबह से दिमाग खराब है और भावना आहत. दिमाग खराब होने की वजह है फेसबुक, और कोने में कहीं एसी चालकर सो रही भावना के आहत होने का कारण हैं किरण यादव. किरन यादव वो शख्सियत हैं जिन्होंने बिहार की राजनीति के अंतर्गत चलने वाले सियासी घमासान में नीतीश को आड़े हाथों लेते हुए लालू यादव को बल दिया है. तेजस्वी और तेजप्रताप तो वाकई बच्चे ही लगेंगे इनके आगे. आप भले ही किरन यादव को न जानते हों, मगर फेसबुक पर इनकी जो फैन फॉलोइंग है वो आपके होश उड़ा देगी. फेसबुक पर किरन के फॉलोवरों की संख्या 9.42 लाख है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फॉलोवरों की तादाद 14,76 लाख से थोड़ी कम. लेकिन, लालू के फॉलोवर 7.84 लाख से कहीं ज्यादा.
टाइम पर न सोने के चलते, मेरी इन झुर्री और डार्क सर्कल पड़ी आंखें मुलायम देख चुकी थीं, शरद ऋतू में वो लालू के दोनों बच्चों, तेजस्वी और तेज प्रताप को पहचान चुकी थीं, मेरी इन आंखों ने अखिलेश को लैपटॉप बांटते हुए और प्रतीक यादव को जिम में कसरत करते हुए डोलों वाली सेल्फी लेते हुए भी देखा था.
कसम डिम्पल भाभी की, मेरे कान, शिवपाल और रामगोपाल के बेतुके बयान भी सुन चुके थे. मगर आज जब मैंने सिर पर दुपट्टा डाले और 9.42 लाख फॉलोवर वाली किरन यादव को देखा तो मेरे सब्र का बांध टूट गया, कच्ची उम्र में झुर्री पड़ी मेरी ये आंखें छलक उठीं. ऐसा नहीं है कि मुझे किरन यादव और उसके दुपट्टे से तकलीफ हैं बस बात इतनी है कि मैं उसके लिखे और उस लिखे पर आने वाले लाइक, कमेन्ट से दुखी हूं. किरन की पोस्टों पर पड़ने वाले शेयर मेरे जख्मों पर नमक का काम कर रहे हैं.
सोशल मीडिया का टॉयलेट युग है. एक ऐसा युग, जब देश का हर दूसरा व्यक्ति सोशल मीडिया के कमोड पर बैठ कर गन्दगी कर रहा है. आज लोग फेसबुक पर ही लिख रहे हैं, फेसबुक पर ही पढ़ रहे हैं. ये एक क्रम है जो चल रहा है, चले जा रहा है. कुल मिलाकर, बात बस इतनी है कि सोशल मीडिया पर जैसी जिसकी नीयत है वैसी उसकी बरकत है. लोग अच्छा लिख कर भी फॉलोवर नहीं जुटा पाते तो वहीं कुछ ऐसा हैं जिनको अगर फेसबुक पर छींक भी आ गए तो राम जाने कहां से 40 - 50 फॉलोवर रुमाल लेकर सफाई करने आ जाते हैं.
नॉर्मल होने में मुझे ज्यादा टाइम नहीं लगा और फिर ये महसूस हुआ कि 'अरे ये तो कोई फेक प्रोफाइल है'. फेसबुक बता रहा है कि किरन यादव बिहार के वैशाली से हैं जो दिल्ली में रहती हैं और जो फेसबुक पर फॉलोवर के मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कड़ी टक्कर देती नजर आ रही हैं.
मैं इनकी प्रोफाइल देख रहा था. इन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी, रोमन, भोजपुरी के समागम से ईवीएम और चुनाव के संबंध में कुछ लिखा था. पोस्ट पूर्णतः पॉलिटिकल था मगर इनके किसी फॉलोवर ने उसपे लिखा कि 'यू लुक नैस बैबी, आई एम फ्रेंडशिप यू'. वहीं उसी पोस्ट पर उनका दूसरा फॉलोवर लिखता है कि 'ओके स्वीटहार्ट आई एम अग्री विद यू', गुड मोर्निंग, गुड इवनिंग, खाना खाया, खाने में क्या खाया, बॉय फ्रेंड है, क्या आप सिंगल हैं और रेडी टू मिन्गल हैं. ऐसे हजारों कमेंट आपको किरन की प्रोफाइल पर मिल जाएंगे.
किरन की पोस्ट पर आए कमेन्ट जहां एक तरफ किसी को भी गुदगुदी का एहसास करा सकते हैं तो वहीं ये एक भारी चिंता का विषय भी हैं. जी हां आपने बिल्कुल सही सुना 'भारी चिंता का विषय' ऐसा इसलिए क्योंकि ये कमेंट समाज का वो चेहरा दिखा रहे हैं जो बेहद घिनौना है. एक ऐसा चेहरा जिसका उद्देश्य किसी महिला को इम्प्रेस करके उससे फिजिकल रिलेशन स्थापित करना या उन्हें ऑनलाइन सेक्स के लिए प्रेरित करना है.
बहरहाल, मैंने जैसे - जैसे किरन वर्मा की पोस्टों पर कमेंट करने वाले लोगों की प्रोफाइल देखी तो अचरज हुआ कि इनके आशिकों की सूची में पत्रकार, वकील, पुलिस वाले, सेना से जुड़े हुए लोग, सरकारी, गैर सरकारी कर्मचारी लगभग सभी लोग शामिल हैं.
अंत में हम यही कहेंगे कि जिस तरह किरन नाम की इस प्रोफाइल पर कमेन्ट आ रहे हैं वो न सिर्फ आज के समय की सच्चाई है बल्कि ये भी कि लोग अपने आपको अच्छा दिखाने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते हैं. खैर. जो है सो है, व्यक्तिगत रूप से मैं यही कहूँगा कि हे ईश्वर जल्द ही मेरी प्रोफाइल को भी किरन यादव जैसा कीजो.
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