बुधवार को जब राजधानी बारिश से तरबतर थी और सड़कों पर हाहाकार मचा था, आम आदमी पार्टी के नेताओं ने एक प्रेस कांफ्रेस की. उम्मीद थी कि एक बार फिर जलभराव और जाम को लेकर एलजी और मोदी को कोसा जाएगा, पर चर्चा हुई नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों पर, जिसके मुताबिक, राजधानी में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के मामलों में भारी इजाफा हुआ है. महिलाओं के खिलाफ अपराध और बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर एक बार फिर मोदी जी की पुलिस के गुण गाए गए, पर पार्टी को इस बात का शायद आभास नहीं था कि शाम को क्या धमाका होने वाला है.
एक और स्टिंग आया और दिल्ली की सरकार का एक और मंत्री नप गया. स्टिंग बेहद आपत्तिजनक था, मीडिया ने संभलकर ही दिखाए या बताया, पर बात उससे कहीं बड़ी थी. कुछ दिनों पहले ही एक और स्टिंग के नाम पर पंजाब के आम आदमी पार्टी के संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर हटाए गए थे, हालांकि उनका स्टिंग अभी तक बाजार में नहीं आया, पर चूंकि केजरीवाल साहब भ्रष्टाचार को लेकर बेहद संजीदा हैं, ऐसे वह खुद दावा करते हैं, लिहाजा दोनों मामलों में त्वरित कार्रवाई का दावा किया गया.
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अब चर्चा यह है कि आखिर अन्ना क्रांति की गोद से निकली इस पार्टी के साथ हो क्या रहा है. हालांकि यह भी उतना ही सच है कि अन्ना खुद एक राजनीति दल बनाने के खिलाफ थे और अंत तक वह इसका विरोध करते रहे....
बुधवार को जब राजधानी बारिश से तरबतर थी और सड़कों पर हाहाकार मचा था, आम आदमी पार्टी के नेताओं ने एक प्रेस कांफ्रेस की. उम्मीद थी कि एक बार फिर जलभराव और जाम को लेकर एलजी और मोदी को कोसा जाएगा, पर चर्चा हुई नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों पर, जिसके मुताबिक, राजधानी में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के मामलों में भारी इजाफा हुआ है. महिलाओं के खिलाफ अपराध और बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर एक बार फिर मोदी जी की पुलिस के गुण गाए गए, पर पार्टी को इस बात का शायद आभास नहीं था कि शाम को क्या धमाका होने वाला है.
एक और स्टिंग आया और दिल्ली की सरकार का एक और मंत्री नप गया. स्टिंग बेहद आपत्तिजनक था, मीडिया ने संभलकर ही दिखाए या बताया, पर बात उससे कहीं बड़ी थी. कुछ दिनों पहले ही एक और स्टिंग के नाम पर पंजाब के आम आदमी पार्टी के संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर हटाए गए थे, हालांकि उनका स्टिंग अभी तक बाजार में नहीं आया, पर चूंकि केजरीवाल साहब भ्रष्टाचार को लेकर बेहद संजीदा हैं, ऐसे वह खुद दावा करते हैं, लिहाजा दोनों मामलों में त्वरित कार्रवाई का दावा किया गया.
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अब चर्चा यह है कि आखिर अन्ना क्रांति की गोद से निकली इस पार्टी के साथ हो क्या रहा है. हालांकि यह भी उतना ही सच है कि अन्ना खुद एक राजनीति दल बनाने के खिलाफ थे और अंत तक वह इसका विरोध करते रहे. लेकिन पार्टी ने जितने बिखराव और विवाद देखे, उससे सवाल उठना लाजिमी है, क्या कहीं कुछ समझ को लेकर गलती हुई. हालांकि इस तरह के विवादों से कोई दल अछूता नहीं रहा, लेकिन इस दल में कुछ अजीब ही हो रहा है और यह सब मानते हैं. अलग इसलिए भी कि विवाद अंदर से अंदर के लोगों के द्वारा और अंदर के लोगों के खिलाफ ही होता है. बाहर से किसी को भी घात लगाने का मौका कम ही मिला. दबी जुबान से कुछ आप नेता यह भी मानने लगे हैं कि “सेटिंग और स्टिंग” का जो मूल मंत्र केजरीवाल ने लोगों को दिया, उसे गंभीरता से पार्टी के लोगों ने ही ले लिया है.
अगर याद हो, तो पहला ऑडियो स्टिंग खुद केजरीवाल के खिलाफ आया और जारी करने वाले पार्टी के पूर्व विधायक राजेश गर्ग थे. इस स्टिंग में केजरीवाल रोहिणी के इस पूर्व विधायक से कांग्रेस के विधायकों को तोड़ कर दोबारा आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने की चर्चा कर रहे थे. यह पहला झटका था, क्योंकि आरोप-प्रत्यारोप तो चल रहे थे कि कौन किसको तोड़ रहा है, कहां गुपचुप मुलाकातें हो रही थी. लोगों को थोड़ा झटका भी लगा कि जो पार्टी जोड़-तोड़ की राजनीति के खिलाफत आवाज उठा रही हो, वहीं वह स्टिंग थोड़ा झटके जैसा ही था.
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लेकिन पार्टी क्या करे, आग घर के चिराग से लगी थी, लिहाजा राजेश गर्ग पार्टी से निकाल दिए गए. केजरीवाल को लेकर यह पहला या अंतिम ऑडियो स्टिंग नहीं था. प्रशांत-योगेद्र को लेकर उनकी राय भी स्टिंग के जरिए बाहर आई थी, तब उनकी भाषा को लेकर सवाल खड़े हुए कि कोई अपने वरिष्ठ सहयोगियों को लेकर इस तरह या स्तर की भी बात कर सकता है. फिर एक और स्टिंग आया, जिसमें मुस्लिम प्रतिनिधियों को सीट देने को लेकर भी आई. तीनों स्टिंग की जांच की बात हुई, पर वह जांच कहां गई, किसी को आज तक नहीं पता चल पाया.
दरअसल जिस ईमानदार सरकार के तमगे को बार-बार चमकाने की चर्चा केजरीवाल हर भाषण में करते दिखे, उस चमक पर हर एक स्टिंग के बाद ऐसी राख चढ़ी, कि उसे पोछना मुश्किल दिखने लगा है. फिर एक बड़ा स्टिंग आया, जिसमें सरकार के एक मंत्री असीम अहमद खान पर नक्शा पास कराने के नाम पर वसूली का आरोप लगा. ऑडियो और वीडियो दोनो स्पष्ट थे, चर्चा जैसे ही शुरू हुई, उन्हें निकाल दिया गया. मजे की बात यह है कि उसे स्टिंग का प्रोड्यूसर-डायरेक्टर कौन था, आज तक नहीं पता चल पाया. मांगने वाला-देने वाला अब तक खामोश हैं, पर असीम अहमद खान की माने को उनके खिलाफ पार्टी के अंदर से ही साजिश की गई.
असीम अहमद खान की जगह इमरान अंसारी मंत्री बने, फिर उनके भाई का एक स्टिंग आया. मसला फिर वसूली का ही था. दरअसल, ये दोनों विधायक जिस इलाके से आते हैं, वहां गैर-कानूनी तरीके से भवन-निर्माण का काम बेखौफ चलता है और वह मोटी कमाई का एक बड़ा जरिया भी रहा है. सूत्रों की मानें तो सेटिंग और स्टिंग में आपसी खींचतान का रोल ज्यादा दिख रहा था. इसके बाद तो कई विधायक इस लपेटे में आते चले गए. महिलाओं के साथ छेड़छाड़, धमकी, मारपीट के भी स्टिंग आए, मामले दर्ज हुए, दिनेश मोहनिया, अमानतुल्ला खान के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ, दोनों जेल भी गए. जब भी इस तरह के मामले आए, तो पार्टी की तरफ कुछ बयान तो फिक्स होकर आते हैं. साजिश है, मोदी जी की पुलिस है, केंद्र दिल्ली सरकार के पीछे पड़ी है. अब ये साजिश किसकी है, अंदर की या बाहर की, पर केजरी मंत्र का सबसे ज्यादा इस्तेमाल लगता है पार्टी में ज्यादा हो रहा है.
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अब पंजाब में सुच्चा सिंह ने खुल कर मनीष सिसोदिया का नाम ले रखा है. उन्हें भी पार्टी की अंदरूनी साजिश दिख रही है. उनका तो पात्र भी स्पष्ट है औऱ उसका मकसद भी. और पंजाब की आग शांत हुई नहीं कि एक और मंत्री संदीप कुमार का कर्मकांड सामने आ गया है. अब ऐसी सीडी के सामने आने के बाद कैसे किसी का बचाव किया जा सकता है और मंत्री पद से बर्खास्त कर अपनी पीठ थपथपाई जा सकती है, यह तो अलग बहस का विषय है. पर दिलचस्प बात है कि इस सीडी का भी प्रोड्यूसर-डायरेक्टर सीन से गायब है. शिकायतकर्ता ओमप्रकाश को पता नहीं कि यह सीडी उन्हें किसने दी, पूर्व मंत्री इस सदमे में होंगे की उनकी सेल्फी उनके मोबाइल से बाहर कैसे लीक हो गई, तस्वीरें बाहर कैसे आईं. किसने उनके साथ सेटिंग कर स्टिंग कर दिया. लब्बोलुआब यह है कि एक नई क्रांति की लौ जिस तेजी से प्रज्जवलित हुई, अब घर के चिराग की पानी फेंककर बुझाने पर उतावले हैं.
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