एमसीडी चुनाव के नतीजे आ गए हैं. दिल्ली की तीनों नगरपालिकाओं में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत पा लिया है. बीजेपी के नेता कहते नहीं थक रहे हैं कि उन्होंने दिल्ली विधानसभा में हुई हार का बदला चुका दिया है. लेकिन क्या वाकई ये जीत दिल्ली बीजेपी को खुश होने की वजह देती है. आइए जरा गहराई से विश्लेषण करते हैं -
1. मनोज तिवारी का नेतृत्व :
यह तर्क दिया गया है कि मनोज तिवारी ने एमसीडी चुनाव के लिए राजधानी में रह रहे पूर्वांचल के लोगों को बीजेपी की ओर मोड़ा है. लेकिन यह तर्क इसलिए खारिज किया जा सकता है क्योंकि यदि मनोज तिवारी में अकेले स्टारडम का इतना करिश्मा होता तो वे गोरखपुर से चुनाव नहीं हारते.
2. सबसे गंदे शहरों में शुमार है :
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषण वाला शहर है. शहर में पसरी गंदगी एमसीडी और पिछले दस वर्षों से इस पर काबिज बीजेपी के लिए गौरव का विषय नहीं है.
3. सफाई कर्मचारियों की हड़ताल आए दिन की बात है :
देश की राजधानी, जहां दुनियाभर के वीवीआईपी रहते हैं, में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल सबसे शर्मनाक मौका होता है. लेकिन एमसीडी के लिए यह कभी भी बेइज्जती की बात नहीं रही. राज्य सरकार और एमसीडी के बीच की खींचतान को कर्मचारी सड़कों पर लाते रहे हैं.
4. एमसीडी की कार्यप्रणाली भ्रष्टाचार के आरोपों से पटी हुई है :
पेंशनरों के नाम पर करीब 2,000 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप अभी ताजा है. इससे पहले भी एमसीडी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते रहे हैं. आरोप प्रत्यारोप के बीच MCD = Most Corrupt Department भी कहलाई.
5. मोदी...
एमसीडी चुनाव के नतीजे आ गए हैं. दिल्ली की तीनों नगरपालिकाओं में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत पा लिया है. बीजेपी के नेता कहते नहीं थक रहे हैं कि उन्होंने दिल्ली विधानसभा में हुई हार का बदला चुका दिया है. लेकिन क्या वाकई ये जीत दिल्ली बीजेपी को खुश होने की वजह देती है. आइए जरा गहराई से विश्लेषण करते हैं -
1. मनोज तिवारी का नेतृत्व :
यह तर्क दिया गया है कि मनोज तिवारी ने एमसीडी चुनाव के लिए राजधानी में रह रहे पूर्वांचल के लोगों को बीजेपी की ओर मोड़ा है. लेकिन यह तर्क इसलिए खारिज किया जा सकता है क्योंकि यदि मनोज तिवारी में अकेले स्टारडम का इतना करिश्मा होता तो वे गोरखपुर से चुनाव नहीं हारते.
2. सबसे गंदे शहरों में शुमार है :
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषण वाला शहर है. शहर में पसरी गंदगी एमसीडी और पिछले दस वर्षों से इस पर काबिज बीजेपी के लिए गौरव का विषय नहीं है.
3. सफाई कर्मचारियों की हड़ताल आए दिन की बात है :
देश की राजधानी, जहां दुनियाभर के वीवीआईपी रहते हैं, में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल सबसे शर्मनाक मौका होता है. लेकिन एमसीडी के लिए यह कभी भी बेइज्जती की बात नहीं रही. राज्य सरकार और एमसीडी के बीच की खींचतान को कर्मचारी सड़कों पर लाते रहे हैं.
4. एमसीडी की कार्यप्रणाली भ्रष्टाचार के आरोपों से पटी हुई है :
पेंशनरों के नाम पर करीब 2,000 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप अभी ताजा है. इससे पहले भी एमसीडी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते रहे हैं. आरोप प्रत्यारोप के बीच MCD = Most Corrupt Department भी कहलाई.
5. मोदी लहर का असर है एमसीडी के चुनाव में भी :
आखिर में एमसीडी में बीजेपी हैट्रिक का सबसे बड़ा श्रेय जाता है मोदी के नेतृत्व को. यूपी और उत्तराखंड की विशाल जीत को बीजेपी ने मोदी के करिश्मे के रूप में खूब प्रचारित किया गया और यही जादू दिल्ली के वोटरों के सिर चढ़कर भी बोला. केजरीवाल से नाराजगी अपनी जगह है, लेकिन बीजेपी को वोट देने वाले ज्यादातर लोगों ने मोदी के चेहरे को ध्यान में रखकर ही वोट दिया है. और यही बीजेपी के लिए चिंता का विषय भी होना चाहिए. मोदी तो एमसीडी का काम देखने से रहे.
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