यूपी इलेक्शन अपने अंतिम चरण में भी दिलचस्प होता दिख रहा है. जहां एक ओर मुस्लिम वोटरों ने मोदी की रैली में आकर इलेक्शन को नया मोड़ दे दिया है तो दूसरी ओर अखिलेश यादव और नरेंद्र मोदी के विश्वनाथ मंदिर में पूजा करने को लेकर भी राजनीति शुरू हो गई है. दरअसल, बनारस में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा राहुल गांधी-अखिलेश यादव का भी रोड शो हुआ. इस रोड शो के दौरान पीएम मोदी काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने गए. मोदी के अलावा अखिलेश यादव ने भी मंदिर में पूजा की.
मोदी के बाद जब अखिलेश मंदिर में पहुंचे तो पहले नमाज पढ़ने की मुद्रा में बैठ गए. इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में ये भी कहा गया है कि पुजारी के कहने पर अखिलेश पालथी मार कर बैठ गए.
अब देखिए इसके कई मायने हो सकते हैं. एक तो ये कि अखिलेश मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए ऐसा कर रहे थे. दूसरा ये कि अखिलेश ने पूजा करते समय आराम की मुद्रा में बैठना चाहा और ऐसे बैठ गए और तीसरा ये कि अखिलेश ने इतना कुछ सोचा नहीं और बस पूजा में बैठ गए. अब ट्विटर और विपक्ष दोनों ही अखिलेश की इस मुद्रा को डिकोड करने की कोशिश में हैं. क्या अखिलेश यादव के विश्वनाथ मंदिर में बैठने के तरीके में कोई मैसेज छिपा हुआ था?
इसके पहले भी राहुल गांधी 2016 में राहुल गांधी ने खाट सभा के बाद विंध्याचल माता के मंदिर में जाकर पूजा की थी. वो भी तो ऐसे ही बैठे थे, क्या इसे भी...
यूपी इलेक्शन अपने अंतिम चरण में भी दिलचस्प होता दिख रहा है. जहां एक ओर मुस्लिम वोटरों ने मोदी की रैली में आकर इलेक्शन को नया मोड़ दे दिया है तो दूसरी ओर अखिलेश यादव और नरेंद्र मोदी के विश्वनाथ मंदिर में पूजा करने को लेकर भी राजनीति शुरू हो गई है. दरअसल, बनारस में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा राहुल गांधी-अखिलेश यादव का भी रोड शो हुआ. इस रोड शो के दौरान पीएम मोदी काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने गए. मोदी के अलावा अखिलेश यादव ने भी मंदिर में पूजा की.
मोदी के बाद जब अखिलेश मंदिर में पहुंचे तो पहले नमाज पढ़ने की मुद्रा में बैठ गए. इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में ये भी कहा गया है कि पुजारी के कहने पर अखिलेश पालथी मार कर बैठ गए.
अब देखिए इसके कई मायने हो सकते हैं. एक तो ये कि अखिलेश मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए ऐसा कर रहे थे. दूसरा ये कि अखिलेश ने पूजा करते समय आराम की मुद्रा में बैठना चाहा और ऐसे बैठ गए और तीसरा ये कि अखिलेश ने इतना कुछ सोचा नहीं और बस पूजा में बैठ गए. अब ट्विटर और विपक्ष दोनों ही अखिलेश की इस मुद्रा को डिकोड करने की कोशिश में हैं. क्या अखिलेश यादव के विश्वनाथ मंदिर में बैठने के तरीके में कोई मैसेज छिपा हुआ था?
इसके पहले भी राहुल गांधी 2016 में राहुल गांधी ने खाट सभा के बाद विंध्याचल माता के मंदिर में जाकर पूजा की थी. वो भी तो ऐसे ही बैठे थे, क्या इसे भी मुस्लिम वोटरों को लुभाने की तकनीक कहा जाएगा? क्या उस समय भी राहुल के ऐसे मंदिर में बैठने के पीछे कोई कारण था? जरूरी नहीं कि राहुल गांधी, अखिलेश यादव और नरेंद्र मोदी के पूजा करने के पीछे कोई मंशा ही रही हो, लेकिन फिर भी लोगों ने तो इसपर अपनी प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दी हैं. तो क्या अब लोग इसपर वोट देने की सोच रहे हैं कि पूजा कैसे की गई?
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