पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों को नकली गोरक्षकों पर डोजियर तैयार करने को कहा था. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार और छह राज्यों की सरकारों से पूछा है - क्यों न ऐसे गोरक्षकों पर पाबंदी लगा दी जाये?
खास बात तो ये है कि जिन राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजा है उनमें पांच बीजेपी शासित हैं. आखिर बीजेपी शासित राज्यों में ही नकली गोरक्षकों के ज्यादा उत्पात की वजह क्या है?
नकली गोरक्षक
नकली गोरक्षकों के बारे में खुद प्रधानमंत्री मोदी ने ही तस्वीर साफ की थी और बताया था कि कुछ लोग इसके नाम पर दुकानदारी चला रहे हैं. मोदी ने ये बात ऊना की घटना के बाद कही थी जिसमें एक ही दलित परिवार के सात लोगों की कुछ लोगों ने लाठी डंडों से पिटाई की थी. पीटने वालों ने खुद को गोरक्षक बताया और पीड़ितों पर गायों की खाल उतारने का आरोप लगाया था.
तब प्रधानमंत्री ने कहा था, 'गोरक्षा के नाम पर कुछ लोगों ने अपनी दुकान खोल रखी है. ये दिखाने के लिए गोरक्षा करते हैं और इनका असली काम कुछ और होता है.'
ऊना की घटना पर देश भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी. दलितों ने अहमदाबाद से ऊना मार्च किया था और घटनास्थल पर अपने तरीके से आजादी का जश्न भी मनाया था.
पहलू खां को किसी ने नहीं मारा!
अलवर की घटना इसी 31 मार्च की है. खबरों के अनुसार हरियाणा के डेयरी व्यवसायी पहलू खां अपने बेटे और कुछ साथियों के साथ जयपुर से गायें खरीद कर लौट रहे थे. जैसे ही उनका ट्रक अलवर पहुंचा कुछ युवकों ने उन्हें रोका और नाम पूछा. ड्राइवर ने अपना नाम अर्जुन बताया तो उन्होंने वहां से भाग जाने को कहा. पहलू खां ने उन्हें समझाने कोशिश की और खरीदारी के कागजात भी दिखाये, लेकिन वे कुछ भी सुनने को तैयार न थे और कागज फाड़ कर फेंक दिया. फिर ट्रक से उतार कर सबकी खूब पिटाई की. बाकी लोग तो बुरी तरह जख्मी हैं लेकिन पहलू खां के लिए ये जानलेवा साबित हुआ.
गोरक्षकों का उत्पात...
जब अलवर की घटना पर संसद में बवाल मचा तो अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास जो बात कही वो तो जले पर नमक की तरह रही. नकवी ने कहा, ‘जिस तरह की घटना पेश की जा रही है, उस तरह की घटना जमीन पर हुई ही नहीं.’
मालूम नहीं नकवी का आशय किस बात से रहा - क्या उनकी नजर में किसी पहलू खां के ट्रक को रोका नहीं गया था? या महज रोका गया था और पहलू खां की पिटाई नहीं हुई? या पहलू खां की पिटाई से मौत नहीं हुई? या फिर, पहलू खां की मौत तो हुई लेकिन उन्हें किसी ने मारा नहीं!
जहां बीजेपी की सरकारें हैं
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान, गुजरात, यूपी, झारखंड, महाराष्ट्र और कर्नाटक की सरकारों को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब तलब किया है. जिन राज्य सरकारों को कोर्ट ने नोटिस भेजा है उनमें पांच में बीजेपी की सरकार है और एक, कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है.
इस याचिका में गोहत्या और उससे जुड़ी हिंसा की 10 घटनाओं का जिक्र किया गया है. याचिका के जरिये सुप्रीम कोर्ट से गोरक्षकों पर पाबंदी लगाने की मांग की गयी है.
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के नेताओं के राजस्थान से जो बयान आये हैं उनमें कहा गया है कि वे कभी हिंसा को प्रोत्साहित नहीं करते. खुद प्रधानमंत्री भी गोरक्षा के नाम पर ऐसे हमलावरों से सावधान रहने को कह चुके हैं. वैसे अलवर के हमलावर वाकई गोरक्षा के नाम पर दुकान चलाने वाले ही लगते हैं. अगर वास्तव में उन्हें गोहत्या की फिक्र रहती तो वे ट्रक पर सवार लोगों में भेदभाव नहीं करते. हमलावर धर्म जान कर ड्राइवर को भाग जाने और बाकी लोगों का दूसरा धर्म होने के चलते पिटाई नहीं करते. अगर उन तथाकथित गोरक्षकों को गायों की इतनी ही परवाह रही तो उनकी नजर में वो ड्राइवर इस मामले में बराबर का दोषी क्यों नहीं था जो उसे छोड़ दिया.
क्या गोरक्षकों का उत्पात उन्हीं राज्यों में ज्यादा है जहां बीजेपी की सत्ता में है?
वैसे गुजरात के ऊना में दलितों की पिटाई हुई जहां बीजेपी की सरकार है और राजस्थान के अलवर में जहां पहलू खां की पिटाई हुई वहां भी सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ही है.
दरअसल, याचिका में आरोप लगाया गया है कि बीजेपी शासित राज्यों में गोरक्षकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है और केंद्र सरकार इस पर काबू पाने में नाकाम साबित हो रही है.
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