अरविंद केजरीवाल की इफ्तार पार्टी हमेशा यादगार रहेगी. खासतौर पर उस जादू की झप्पी को लेकर. जादू की उस स्पेशल झप्पी में उनके पार्टनर दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग थे. झप्पी का वो लम्हा बस यादों में ही बचा होगा - क्योंकि जंग उसके बाद भी जारी है.
कौन अक्षम, कौन सक्षम
केजरीवाल ने एक साथ कई मोर्चों पर जंग छेड़ दी है. पहले उन्होंने पुलिसवालों को 'ठुल्ला' कहा. फिर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से भिड़ गए. प्रधानमंत्री तो उनके निशाने पर नियमित तौर पर रहते ही हैं.
केजरीवाल ने प्रधानमंत्री के नाम एक ट्वीट किया है, ''दिल्ली में कानून व्यवस्था हर दिन बिगड़ती जा रही है. दिल्ली पुलिस सीधे प्रधानमंत्री के अंडर है. तो प्रधानमंत्री जी कुछ करें और या फिर दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार को सौंप दें.''
केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ दिल्लीवालों से भी एक पत्र लिख कर जोशीली अपील की है. पत्र में कुछ कसमें वादे भी हैं. आखिर दिल्ली पुलिस को केजरीवाल अपनी सरकार के दायरे में क्यों लाना चाहते हैं? पहले तो उनकी राय अलग थी. दो साल पहले तक तो केजरीवाल इसी बात पर तब की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को अक्षम साबित बताया करते थे.
इस ट्वीट के आधार पर तो अब शीला दीक्षित भी उन्हें अक्षम मुख्यमंत्री साबित कर सकती हैं. अगर दिल्ली पुलिस के बूते ही मुख्यमंत्री सक्षम या अक्षम हो सकता है तो कोई भी ये सवाल केजरीवाल से पूछ सकता है.
एक्टिंग करते हैं
केजरीवाल की पूर्व सहयोगी शाजिया इल्मी ने उनकी अपील को नाटकीय बताया है. शाजिया का कहना है कि केजरीवाल को दिल्ली की जनता से अपील की बजाए पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से माफी मांगनी चाहिए. शाजिया का कहना है कि केजरीवाल को स्वीकार कर लेना चाहिए वो अपने किए गए वादों में आधे भी पूरे नहीं कर सकते.
इसके साथ शाजिया ने उन्हें...
अरविंद केजरीवाल की इफ्तार पार्टी हमेशा यादगार रहेगी. खासतौर पर उस जादू की झप्पी को लेकर. जादू की उस स्पेशल झप्पी में उनके पार्टनर दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग थे. झप्पी का वो लम्हा बस यादों में ही बचा होगा - क्योंकि जंग उसके बाद भी जारी है.
कौन अक्षम, कौन सक्षम
केजरीवाल ने एक साथ कई मोर्चों पर जंग छेड़ दी है. पहले उन्होंने पुलिसवालों को 'ठुल्ला' कहा. फिर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से भिड़ गए. प्रधानमंत्री तो उनके निशाने पर नियमित तौर पर रहते ही हैं.
केजरीवाल ने प्रधानमंत्री के नाम एक ट्वीट किया है, ''दिल्ली में कानून व्यवस्था हर दिन बिगड़ती जा रही है. दिल्ली पुलिस सीधे प्रधानमंत्री के अंडर है. तो प्रधानमंत्री जी कुछ करें और या फिर दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार को सौंप दें.''
केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ दिल्लीवालों से भी एक पत्र लिख कर जोशीली अपील की है. पत्र में कुछ कसमें वादे भी हैं. आखिर दिल्ली पुलिस को केजरीवाल अपनी सरकार के दायरे में क्यों लाना चाहते हैं? पहले तो उनकी राय अलग थी. दो साल पहले तक तो केजरीवाल इसी बात पर तब की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को अक्षम साबित बताया करते थे.
इस ट्वीट के आधार पर तो अब शीला दीक्षित भी उन्हें अक्षम मुख्यमंत्री साबित कर सकती हैं. अगर दिल्ली पुलिस के बूते ही मुख्यमंत्री सक्षम या अक्षम हो सकता है तो कोई भी ये सवाल केजरीवाल से पूछ सकता है.
एक्टिंग करते हैं
केजरीवाल की पूर्व सहयोगी शाजिया इल्मी ने उनकी अपील को नाटकीय बताया है. शाजिया का कहना है कि केजरीवाल को दिल्ली की जनता से अपील की बजाए पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से माफी मांगनी चाहिए. शाजिया का कहना है कि केजरीवाल को स्वीकार कर लेना चाहिए वो अपने किए गए वादों में आधे भी पूरे नहीं कर सकते.
इसके साथ शाजिया ने उन्हें अच्छा एक्टर बताते हुए कॅरियर शिफ्ट कर एक्टिंग की सलाह दी है. शाजिया के अनुसार केजरीवाल को एक्टिंग के क्षेत्र में प्रयास करना चाहिए क्योंकि इसमें उनका शानदार कॅरियर हो सकता है.
टोटल फ्रॉड
दिल्ली पुलिस को लेकर उनकी की मांग पर जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने भी केजरीवाल को कठघरे में खड़ा किया है. अपने फेसबुक पोस्ट में काटजू ने संविधान का हवाला देते हुए कहा है कि चाह कर भी केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकती. काटजू ने कहा कि इसके लिए संविधान संशोधन करना पड़ेगा और उसे संसद के दोनों सदनों की मंजूरी चाहिए होगी. जस्टिस काटजू कहते हैं, "तो केजरीवाल किसे मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं? क्या वो ये सोचते हैं कि ज्यादातर लोग कानून नहीं जानते इसलिए उन्हें धोखा दिया जा सकता है?"
एक अन्य पोस्ट में काटजू ने उन्हें 'टोटल फ्रॉड' बताया है. काटजू का कहना है कि केजरीवाल के बारे में पहले जो धारणा बनी थी, उनके पुरजोर समर्थकों की ताजा राय उसे सही साबित कर रही है. काटजू की नजर में केजरीवाल वाकई 'सपनों के सौदागर' हैं. केजरीवाल को लोग मसीहा मानते रहे हैं. केजरीवाल की टीम का हिस्सा रह चुकीं शाजिया उन्हें एक्टर बना रही हैं. उनके पुराने सहयोगी प्रशांत भूषण उन्हें कपटी और बेशर्म तक कह चुके हैं.
अब सवाल उठता है कि केजरीवाल क्या हैं? मसीहा? फ्रॉड? या फिर एक्टर? जवाब तो केजरीवाल को ही देने पड़ेंगे.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.