मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पन्ना जिले के बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा किया. इस दौरान एक जगह पर बरसाती नाला पड़ने पर शिवराज सिंह चौहान को होमगार्ड के जवानों ने गोद में लेकर नाला पार कराया. सोशल मीडिया में इस फोटो की जमकर भर्त्सना हो रही हैं. कुछ लोगों ने कहा की ये सामंती मानसिकता का परिचायक है तो कुछ ने इसको मानवाधिकार का उलंघन बताया.
शिवराज सिंह चौहान |
सोशल मीडिया में तरह - तरह की प्रक्रिया थी. कोई क्रोधित था तो कोई व्यथित था. कोई व्यंग कर रहा तो कोई कटाक्ष. विपक्षी जमकर मुख्यमंत्री एवं भाजपा की खिंचाई कर रहे थे तो सत्ताधारी दल को समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे अपने मुख्यमंत्री का बचाव किया जाये. और शिवराज सिंह तो जैसे इस पुरे वाकये से ही अनभिज्ञ हैं. उनके ट्वीटर के टाइम लाइन पर उनके बाढ़ निरिक्षण करते फोटाग्राफ्स तो थे पर इस वाकया का कोई जिक्र नहीं था.
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आखिर किसान परिवार में जन्मे मुख्यमंत्री क्यों इन पुलिसवालों के कंधे पे चढ़ के पानी पार कर रहे थे? क्या उनको लग रहा था की उनके सफ़ेद जूते गंदे हो जायेंगे? या वो ये सोच रहे थे की एक मुख्यमंत्री अगर पानी में उतरेगें तो उनके कपडे गीले हो जायेंगे और इसमें पुरे मध्य प्रदेश की बेइज्जती हो जाएगी? सोच चाहे जो भी हो वो केवल और केवल सामंतवादी ही कहलाएगी. वो भूल गए की वो मुख्यमंत्री हैं राजा...
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पन्ना जिले के बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा किया. इस दौरान एक जगह पर बरसाती नाला पड़ने पर शिवराज सिंह चौहान को होमगार्ड के जवानों ने गोद में लेकर नाला पार कराया. सोशल मीडिया में इस फोटो की जमकर भर्त्सना हो रही हैं. कुछ लोगों ने कहा की ये सामंती मानसिकता का परिचायक है तो कुछ ने इसको मानवाधिकार का उलंघन बताया.
शिवराज सिंह चौहान |
सोशल मीडिया में तरह - तरह की प्रक्रिया थी. कोई क्रोधित था तो कोई व्यथित था. कोई व्यंग कर रहा तो कोई कटाक्ष. विपक्षी जमकर मुख्यमंत्री एवं भाजपा की खिंचाई कर रहे थे तो सत्ताधारी दल को समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे अपने मुख्यमंत्री का बचाव किया जाये. और शिवराज सिंह तो जैसे इस पुरे वाकये से ही अनभिज्ञ हैं. उनके ट्वीटर के टाइम लाइन पर उनके बाढ़ निरिक्षण करते फोटाग्राफ्स तो थे पर इस वाकया का कोई जिक्र नहीं था.
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आखिर किसान परिवार में जन्मे मुख्यमंत्री क्यों इन पुलिसवालों के कंधे पे चढ़ के पानी पार कर रहे थे? क्या उनको लग रहा था की उनके सफ़ेद जूते गंदे हो जायेंगे? या वो ये सोच रहे थे की एक मुख्यमंत्री अगर पानी में उतरेगें तो उनके कपडे गीले हो जायेंगे और इसमें पुरे मध्य प्रदेश की बेइज्जती हो जाएगी? सोच चाहे जो भी हो वो केवल और केवल सामंतवादी ही कहलाएगी. वो भूल गए की वो मुख्यमंत्री हैं राजा नहीं.
दुर्भाग्य की बात है की ये उस नरेंद्र मोदी के पार्टी के मुख्यमंत्री हैं जो प्रधान मंत्री के रूप में अपने आप को प्रधान सेवक कहते हैं. वो अगर प्रधान सेवक हैं तो ये केवल सेवक हैं. और उनका ये व्यवहार एक सेवक के अनुरूप तो कतई नहीं है.
भूटान नरेश जिग्मे वांगचुक |
इसी महीने के पहले हफ्ते में मेरे भूटान के एक अभिन्न मित्र ने फेसबुक पर एक फोटाग्राफ पोस्ट किया था. उस देश में भी बाढ़ ने तांडव मचाया है. इस फोटोग्राफ में वहां के राजा जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक बाढ़ का निरिक्षण कर रहे हैं. वो न केवल बाढ़ के पानी में खड़े हैं बल्कि पूरी तरह से भीगे हुए हैं. और वहां खड़े होकर अपने कर्मचारियों को दिशा निर्देश दे रहे हैं.
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वो भूटान के राजा हैं ये मध्य प्रदेश के सेवक हैं, वहां राजतन्त्र है यहाँ पे जनतंत्र है, पर हमारे जनतंत्र के ऐसे सेवक से वो राजा लाख गुना अच्छे हैं जो जनता के साथ जनता की तरह रहता है. लगता है की हमारे मुख्यमंत्री, जो कि अपने आपको सेवक कहते हैं कलयुग के राजा हैं. और इस युग में भूटान के शासक जो अपने आप को राजा कहते हैं वास्तव में सतयुग के सेवक हैं.
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