कहावत है घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध. यह कहावत बीजेपी पर लगभग लागू होती दिख रही है, तभी तो प्रधानमंत्री को कहना पड़ा, मैं कभी किसी को भी बुला सकता हूं और पूछ सकता हूं आप कहां हैं और आपके सदन में क्या चल रहा है? मैं किसी सेंट्रल हॉल को नहीं जानता, 'सांसदों को सदन में रहना होगा. ये शब्द थे प्रधानमंत्री के भारतीय जनता पार्टी की संसदीय दल की बैठक में.
प्रधानमंत्री का बयान ऐसे समय पर आया है जब लोकसभा व राज्यसभा राज्य का कोरम तक पूरा नहीं था. राज्यसभा में आज ऐसी स्थिति को देखने मिली जब सरकार के तीन वरिष्ठ मंत्री अपने सवालों का जवाब देने के लिए सदन में मौजूद नहीं थे. यह पहला अवसर नहीं है जब प्रधानमंत्री को ऐसा कहना पड़ा, अगस्त 2014 मे भी प्रधानमंत्री ने ने 30 सांसदों को संसद से गायब रहने के लिए तलब किया था.
मई 2016 में भी संसदीय दल के साथ बैठक में प्रधानमंत्री ने सांसदों को कई निर्देश दिए थे कि सांसद जनता तक सरकार की उपलब्धियां पहुंचाएं और उनका फीडबैक लें. पीएम ने सांसदों को निर्देश दिए थे कि सभी सांसद क्षेत्र में ज्यादा समय दें व कम से कम 7 रातें और 14 दिन तक अपने-अपने क्षेत्र में घूमें.
नजारा तब देखने को मिला जब विपक्ष ने 3 केंद्रीय मंत्रियों से सवाल पूछे थे, लेकिन जवाब के समय तीनो मंत्री गायब. जिस पर विपक्ष ने सरकार पर तंज कसा "ये मैक्सिमम मिनिस्टर्स, मिनिमम गवर्नेंस है." दरसल प्रश्न एनवार्यरनमेंट मिनिस्ट्री, शिपिंग मिनिस्ट्री से जुड़े हुए थे.
भारतीय जनता पार्टी की संसदीय दल की बैठक में भी प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा सांसदों को सख्त लहजे में खरी खोटी सुनाई. मोदी ने कहा, 'सांसदों को बार-बार सदन में बुलाना पड़ता है. संसद का कोरम पूरा नहीं होता.
मोदी ने गुस्से में कहा, 'सांसदों को सदन में रहना होगा.' संसदीय दल की बैठक में भाजपा सांसदों को...
कहावत है घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध. यह कहावत बीजेपी पर लगभग लागू होती दिख रही है, तभी तो प्रधानमंत्री को कहना पड़ा, मैं कभी किसी को भी बुला सकता हूं और पूछ सकता हूं आप कहां हैं और आपके सदन में क्या चल रहा है? मैं किसी सेंट्रल हॉल को नहीं जानता, 'सांसदों को सदन में रहना होगा. ये शब्द थे प्रधानमंत्री के भारतीय जनता पार्टी की संसदीय दल की बैठक में.
प्रधानमंत्री का बयान ऐसे समय पर आया है जब लोकसभा व राज्यसभा राज्य का कोरम तक पूरा नहीं था. राज्यसभा में आज ऐसी स्थिति को देखने मिली जब सरकार के तीन वरिष्ठ मंत्री अपने सवालों का जवाब देने के लिए सदन में मौजूद नहीं थे. यह पहला अवसर नहीं है जब प्रधानमंत्री को ऐसा कहना पड़ा, अगस्त 2014 मे भी प्रधानमंत्री ने ने 30 सांसदों को संसद से गायब रहने के लिए तलब किया था.
मई 2016 में भी संसदीय दल के साथ बैठक में प्रधानमंत्री ने सांसदों को कई निर्देश दिए थे कि सांसद जनता तक सरकार की उपलब्धियां पहुंचाएं और उनका फीडबैक लें. पीएम ने सांसदों को निर्देश दिए थे कि सभी सांसद क्षेत्र में ज्यादा समय दें व कम से कम 7 रातें और 14 दिन तक अपने-अपने क्षेत्र में घूमें.
नजारा तब देखने को मिला जब विपक्ष ने 3 केंद्रीय मंत्रियों से सवाल पूछे थे, लेकिन जवाब के समय तीनो मंत्री गायब. जिस पर विपक्ष ने सरकार पर तंज कसा "ये मैक्सिमम मिनिस्टर्स, मिनिमम गवर्नेंस है." दरसल प्रश्न एनवार्यरनमेंट मिनिस्ट्री, शिपिंग मिनिस्ट्री से जुड़े हुए थे.
भारतीय जनता पार्टी की संसदीय दल की बैठक में भी प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा सांसदों को सख्त लहजे में खरी खोटी सुनाई. मोदी ने कहा, 'सांसदों को बार-बार सदन में बुलाना पड़ता है. संसद का कोरम पूरा नहीं होता.
मोदी ने गुस्से में कहा, 'सांसदों को सदन में रहना होगा.' संसदीय दल की बैठक में भाजपा सांसदों को सख्त निर्देश देते हुए मोदी ने कहा कि वे, 'मैं किसी भी सांसद को बुला सकता हूं, कोई सांसद नहीं मिला तो फोन पर बात करूंगा.
यह हाल केवल बीजेपी का ही नहीं है, बल्कि अगर लोकसभा के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो कोमोबेश पूरे सदन का ही हाल खराब है. राज्य सभा में कोमोबेश यह स्तिथि नहीं है. वहां अगर कुछ सदस्यों को छोड़ दें तो उपस्तिथि लगभग ठीक ठाक रही है.
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