हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के पिता ने कहा है कि अपने दो बेटों की मौत के बाद अब वह अपनी बेटी को भी आजादी के लिए कुर्बान करने को तैयार हैं. बुरहान वानी की मौत के बाद से ही कश्मीर में माहौल तनावपूर्ण है और हिंसक विरोध प्रदर्शनों में अब तक कई दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है.
शुक्रवार को पंपोर में बुरहान वानी के पिता द्वारा बुलाई गई एक रैली में भारी जनसैलाब उमड़ा. कश्मीर की आजादी का समर्थन करते हुए बुरहान के पिता ने कहा कि भारत में मुसलमानों के खिलाफ अन्याय होता है इसलिए वह भारत से कश्मीर को आजाद कराना चाहते हैं. आइए जानें कश्मीर की आजादी के बारे को लेकर मुजफ्फर वानी की उस सोच के बारे में जोकि उनके धार्मिक अलगाववाद का चेहरा उजागर करती है.
बुरहान वानी के पिता के लिए लड़ाई राजनीतिक नहीं धार्मिक है:
बुरहान की मौत ने उनके पिता को कश्मीर के अलगाववादी आंदोलन का चेहरा बना दिया है. ये बात शुक्रवार को भी दिखी जब कश्मीर के अलगाववादी धड़े हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के श्रीनगर के हजरतबल मस्जिद में लोगों से जुटने की अपील के बावजूद लोगों ने मुजफ्फर वानी की रैली को ज्यादा तवज्जो दी. सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूख और जेकेएलफ के यासीन मलिक द्वारा हाल ही में गठित एक अलगाववादी धड़े ने लोगों से शुक्रवार को 'दरगाह चलो' के नारे के साथ हजरतबल चलने की अपील की थी. लेकिन उनकी इस अपील का लोगों का मामूली असर हुआ. इसके उलट पूरी घाटी में कर्फ्यू होने के बावजूद बड़ी संख्या में लोग मुजफ्फर वानी के पंपोर स्थित खरेऊ की रैली में पहुंचे.
यह भी पढ़ें: बुरहान वानी पर दुख है तो कश्मीरी पंडितों के पलायन पर क्यों नहीं?
हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के पिता ने कहा है कि अपने दो बेटों की मौत के बाद अब वह अपनी बेटी को भी आजादी के लिए कुर्बान करने को तैयार हैं. बुरहान वानी की मौत के बाद से ही कश्मीर में माहौल तनावपूर्ण है और हिंसक विरोध प्रदर्शनों में अब तक कई दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है. शुक्रवार को पंपोर में बुरहान वानी के पिता द्वारा बुलाई गई एक रैली में भारी जनसैलाब उमड़ा. कश्मीर की आजादी का समर्थन करते हुए बुरहान के पिता ने कहा कि भारत में मुसलमानों के खिलाफ अन्याय होता है इसलिए वह भारत से कश्मीर को आजाद कराना चाहते हैं. आइए जानें कश्मीर की आजादी के बारे को लेकर मुजफ्फर वानी की उस सोच के बारे में जोकि उनके धार्मिक अलगाववाद का चेहरा उजागर करती है. बुरहान वानी के पिता के लिए लड़ाई राजनीतिक नहीं धार्मिक है: बुरहान की मौत ने उनके पिता को कश्मीर के अलगाववादी आंदोलन का चेहरा बना दिया है. ये बात शुक्रवार को भी दिखी जब कश्मीर के अलगाववादी धड़े हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के श्रीनगर के हजरतबल मस्जिद में लोगों से जुटने की अपील के बावजूद लोगों ने मुजफ्फर वानी की रैली को ज्यादा तवज्जो दी. सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूख और जेकेएलफ के यासीन मलिक द्वारा हाल ही में गठित एक अलगाववादी धड़े ने लोगों से शुक्रवार को 'दरगाह चलो' के नारे के साथ हजरतबल चलने की अपील की थी. लेकिन उनकी इस अपील का लोगों का मामूली असर हुआ. इसके उलट पूरी घाटी में कर्फ्यू होने के बावजूद बड़ी संख्या में लोग मुजफ्फर वानी के पंपोर स्थित खरेऊ की रैली में पहुंचे. यह भी पढ़ें: बुरहान वानी पर दुख है तो कश्मीरी पंडितों के पलायन पर क्यों नहीं?
इस सभा में ही बुरहान वानी के पिता मुजफ्फर वानी ने कश्मीर की आजादी के लिए भारत के खिलाफ जंग के लिए अपने दोनों बेटों की मौत के बाद अपनी एकमात्र बेटी को भी समर्पित करने की बात कही. बुरहान के सेना के हाथों मारे जाने के बाद से ही कश्मीर में उसे मिला जनसमर्थन जैसे उसके पिता की तरफ स्थानांतिरत हो गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पंपोर में हुई रैली में मुजफ्फरवानी के आसपास हथियारबंद आतंकियों का सुरक्षा घेरा था. यह भी पढ़ें: एक आतंकी का समर्थन करने की बेबसी क्यों? मुजफ्फर वानी और उसके परिवार के इतिहास को देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि मुजफ्फर के भारत के खिलाफ आग उगलते बोल अचानक से पनपे होंगे. जुलाई में सेना के हाथों मारे जाने वाले मुजफ्फर के छोटे बेटे बुरहान वानी से पहले 2010 में उसका बड़ा बेटा भी आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से सेना के साथ मुठभेड़ में मारा जा चुका है. दो बेटों की मौत के बाद भी मुजफ्फर वानी के रवैये में जरा भी फर्क नहीं आया है और वह कश्मीर की आजादी के लिए अब अपनी बेटी को भी समर्पित करने की बात कर रहा है.
मुजफ्फर के भारत विरोध का आधार राजनीतिक न होकर काफी हद तक धार्मिक लगता है. बुरवान वानी के मारे जाने के कुछ दिनों बाद ही हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में मुजफ्फर ने अपनी इस सोच पर मुहर भी लगाई थी. उस इंटरव्यू में उसने कहा था, ' हिंदुस्तान से आजादी ही हर कश्मीरी का मकसद है. भारत में मुस्लिमों और कश्मीरियों के साथ अन्याय होता है, बीफ पर पाबंदी लगाई जाती है. इसलिए भारत की फौज की ताकत के बावजूद एक मुसलमान होने के नाते वे भारत के खिलाफ लड़ेंगे. ये पूछे जाने पर बुरहान की मौत का उन्हें अफसोस तो होगा ही. मुजफ्फर ने कहा, हां थोड़ा है, लेकिन मेरा बेटे से पहले खुदा, कुरान और मोहम्मद साहब हैं.' यह भी पढ़ें: बुरहान पर महबूबा घिरी नहीं, ये उनका सियासी स्टाइल है! कश्मीर में जुलाई में सेना के साथ मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से ही वहां भारत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और अब तक इन प्रदर्शनों में कई सुरक्षाबलों समेत 50 लोगों की मौत हो चुकी है. आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के बावजूद बुरवान वानी कश्मीरी युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय था और भारतीय सेना द्वारा उसे मार गिराए जाने के बाद से ही लाखों लोग बुरहान को मारे जाने के विराध में सड़कों पर उतर आए हैं. बुरहान के मारे जाने के बाद ऐसा लगता है कि आजादी की मांग करने वाले अलगाववादियों को मुजफ्फर वानी के रूप में अपने आंदोलन के लिए एक नया चेहरा मिल गया है. लेकिन मुजफ्फर वानी की बातों से इतना तो तय है कि कश्मीर की समस्या को अब तक राजनीतिक अलगाववाद के नजरिए से देखने वालों के लिए उसके धार्मिक अलगाववाद को भी समझने की जरूरत है! यह भी पढ़ें: ‘कश्मीर’ पर नेहरू की वो बात न मोदी दोहरा पाएंगे न राहुल! इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |