नरेन्द्र मोदी ने 2014 में आम चुनावों से पहले कांग्रेस मुक्त भारत की घोषणा की थी. इस घोषणा के महज चंद महीनों में आए लोकसभा चुनाव में असर दिखा और केन्द्र की सत्ता कांग्रेस मुक्त हो गई. मई 2014 में मोदी की अगुवाई वाली केन्द्र सरकार बनने के बाद भी इस वक्त तक 11 राज्यों में कांगेस की सरकार थी और महज 6 राज्यों में बीजेपी की. उत्तराखंड की स्थिति को जोड़कर देखा जाए तो अब राज्यों में कांग्रेस की स्थिति पूरी तरह पलट चुकी है और महज 7 राज्यों में ही उसकी सरकार बची है. इन राज्यों में ये जादू बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत का माना जाए तो अब इन सात राज्यों में कहां इस एजेंडे का असर दिखने जा रहा है. मणिपुर या हिमाचल प्रदेश?
लोकसभा चुनाव 2014 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव कमेटी का गठन किया और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को कांग्रेस को केन्द्र की सत्ता से उखाड़ फेंकने की कमान सौंपी. नई जिम्मेदारी संभालते ही मोदी ने घोषित किया कि देश की सभी समस्याओं को सुलझाने का एक मात्र तरीका कांग्रेस मुक्त भारत है. आम चुनावों के नतीजों ने मोदी की कथनी को सच कर दिखाया, लोकसभा में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला और कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई. इसके बाद सितंबर 2015 में पहली बार बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने केरल में पार्टी की नवोधन संगमम रैली को संबोधित करते हुए दोहराया कि कांग्रेस मुक्त भारत पार्टी का टॉप एजेंडा है.
लोकसभा के 2014 चुनावों के बाद मोदी की घोषणा का असर 2014 में ही हुए विधानसभा चुनावों में दिखाई दिया था. कांग्रेस शासित हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार का गठन हुआ और 11 राज्यों में सरकार से सिमट कर महज न राज्यों में काग्रेस की सरकार रह गई. अमित शाह की केरल में घोषणा के बाद माना जा रहा था कि पार्टी का बयान 2016 में पांच राज्यों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर है जिसमें केरल, पश्चिम बंगाल और असम जैसे महत्वपूर्ण राज्य शामिल हैं. बहरहाल इसे राजनीतिक विचारक अतिश्योक्ति भी मान रहे थे क्योंकि इन पांचों राज्यों में बीजेपी के...
नरेन्द्र मोदी ने 2014 में आम चुनावों से पहले कांग्रेस मुक्त भारत की घोषणा की थी. इस घोषणा के महज चंद महीनों में आए लोकसभा चुनाव में असर दिखा और केन्द्र की सत्ता कांग्रेस मुक्त हो गई. मई 2014 में मोदी की अगुवाई वाली केन्द्र सरकार बनने के बाद भी इस वक्त तक 11 राज्यों में कांगेस की सरकार थी और महज 6 राज्यों में बीजेपी की. उत्तराखंड की स्थिति को जोड़कर देखा जाए तो अब राज्यों में कांग्रेस की स्थिति पूरी तरह पलट चुकी है और महज 7 राज्यों में ही उसकी सरकार बची है. इन राज्यों में ये जादू बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत का माना जाए तो अब इन सात राज्यों में कहां इस एजेंडे का असर दिखने जा रहा है. मणिपुर या हिमाचल प्रदेश?
लोकसभा चुनाव 2014 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव कमेटी का गठन किया और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को कांग्रेस को केन्द्र की सत्ता से उखाड़ फेंकने की कमान सौंपी. नई जिम्मेदारी संभालते ही मोदी ने घोषित किया कि देश की सभी समस्याओं को सुलझाने का एक मात्र तरीका कांग्रेस मुक्त भारत है. आम चुनावों के नतीजों ने मोदी की कथनी को सच कर दिखाया, लोकसभा में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला और कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई. इसके बाद सितंबर 2015 में पहली बार बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने केरल में पार्टी की नवोधन संगमम रैली को संबोधित करते हुए दोहराया कि कांग्रेस मुक्त भारत पार्टी का टॉप एजेंडा है.
लोकसभा के 2014 चुनावों के बाद मोदी की घोषणा का असर 2014 में ही हुए विधानसभा चुनावों में दिखाई दिया था. कांग्रेस शासित हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार का गठन हुआ और 11 राज्यों में सरकार से सिमट कर महज न राज्यों में काग्रेस की सरकार रह गई. अमित शाह की केरल में घोषणा के बाद माना जा रहा था कि पार्टी का बयान 2016 में पांच राज्यों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर है जिसमें केरल, पश्चिम बंगाल और असम जैसे महत्वपूर्ण राज्य शामिल हैं. बहरहाल इसे राजनीतिक विचारक अतिश्योक्ति भी मान रहे थे क्योंकि इन पांचों राज्यों में बीजेपी के लिए ज्यादा राजनीतिक जमीन मौजूद नहीं है. हालांकि 2016 की शुरुआत होते ही अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक उठापटक का खेल शुरू हुआ और देखते ही देखते वहां सत्ता में बैठी कांग्रेस बेदखल हो गई. माना यही गया कि राजनीति में यह जायज है लेकिन फिर भी किसी की नजर बीजेपी के इस एजेंडे पर नहीं गई जो देश को कांग्रेस मुक्त देखना चाहती है.
अब मार्च 2016 में उत्तराखंड में इमरजेंसी लगा दी गई है. राज्य में कुछ दिनों पहले तक कांग्रेस की बहुमत सरकार थी लेकिन 9 अहम कांग्रेसी विधायकों ने पाला पलट लिया और बीजेपी की सरकार बनने का कयास लगने लगा. उत्तराखंड में कांग्रेस को भी अब साफ-साफ दिखाई देने लगा कि बीजेपी का कांग्रेस मुक्त भारत का एजेंडा काम कर रहा है लेकिन इससे पहले वे कुछ कर पाते एक तथाकथित स्टिंग ऑपरेशन ने कांग्रेस मुख्यमंत्री को आड़े हाथों ले लिया और केन्द्र सरकार को मध्यस्थता करते हुए धारा 356 लगाने की नौबत आ गई. लिहाजा मान लिया जाए कि बीजेपी का एजेंडा एक और राज्य में सफल हो चुका है.
अरुणाचल और उत्तराखंड में जोड़तोड़ की राजनीति का खेल देखने के बाद यह जरूरी हो जाता है कि अब किन कांग्रेस शाषित राज्यों में बीजेपी अपना कांग्रेस मुक्त भारत का एजेंडा लागू कर सकती है. बहरहाल इस सवाल का जवाब इससे पहले हम और आप सोचें, यह बता देना जरूरी है कि कांग्रेसी खेमें में माना जा रहा है कि अगला शिकार मणिपुर होने जा रहा है. कांग्रेस सूत्रों की माने तो पार्टी हाईकमान को राज्य में मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के खिलाफ बढ़ रहा असंतोष परेशान कर रहा है. हाल ही में इबोबी सिंह ने कुछ मंत्रियों का पद छीन लिया था जिसके बाद राज्य में उनके खिलाफ बागी सुर उठने लगे थे. पहले अरुणाचल प्रदेश और फिर उत्तराखंड में पार्टी का हष्र देखने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने फिलहाल राज्य के बागी विधायकों को मनाने की मुहिम तेज करते हुए स्थिति पर लगातार नजर गड़ा रखी है.
वहीं दूसरा मामला हिमाचल प्रदेश में पनप रहा है. हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है. मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर प्रवर्तन निदेशालय का आय से अधिक संपत्ति का मामला सुर्खियों में है. हाल ही में केन्द्रीय एजेंसी ने मुख्यमंत्री की लगभग 8 करोड़ की संपत्ति संबद्ध कर ली थी. इसके बाद राज्य स्तर पर पार्टी में मुख्यमंत्री के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है. वहीं राज्य में विपक्ष में बैठी बीजेपी आरोप लगा रही है कि विरभद्र सिंह गंभीर भ्रष्टाचार के मामलों में अपनी गिरफ्तारी से बचने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं. गौरतलब है कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शाषन लगने के बाद सोमवार को वीरभद्र सिंह ने पार्टी अध्यक्ष से मुलाकात कर गुहार लगाई है कि केन्द्र सरकार राज्य में कांग्रेस सरकार को गिराने की तैयारी कर रही है.
अब इन दोनों राज्यों में मौजूदा राजनीतिक स्थिति चाहे कांग्रेस की अपनी असफलता के कारण हो या राज्य में नेतृत्व का संकट, यदि यहां आने वाले दिनों में सरकारें बदलती है तो श्रेय बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत के एजेंडे को ही देना पड़ेगा. ऐसा हुआ तो फिर महज पांच राज्यों में कांग्रेस की सरकार रह जाएगी. कर्नाटक के अलावा केरल और असम, जहां हाल ही में चुनाव होने हैं. और बाकी दो पूर्वोत्तर के मेघालय और मिजोरम.
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