वक्त का पहिया थोड़ा पीछे घुमा कर देखें. जयललिता के आखिरी सांसें लेने के कुछ ही देर बाद सत्ता के हस्तांतरण की औपचारिकताएं पूरी हो चुकी थीं - जो बेहद जरूरी थीं. लेकिन उसके बाद की गतिविधियां काफी हैरान करने वाली हैं.
जिस अम्मा का फोटो रख कर तमिलनाडु कैबिनेट की मीटिंग हुआ करती रही उन्हीं के फोटो वाले कैलेंडर के ऑर्डर रद्द कर दिये गये - और वो भी उसी दौरान जब सूबे में सात दिन के शोक का ऐलान किया गया था.
कैलेंडर री-ऑर्डर
द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक अम्मा की मौत के बाद ही कैलेंडर छापने वालों के फोन घनघनाने लगे. फोन पर कैलेंडर छापने के ऑर्डर रद्द करने की बातें हो रही थीं, जबकि छपाई का काम काफी आगे बढ़ चुका था. राहत की बात बस इतनी थी कि फोन करने वाले नेता नुकसान की भरपाई के लिए तैयार थे.
रिपोर्ट के अनुसार, कई नेताओं ने 2017 के कैलेंडर छापने के ऑर्डर दिये थे जिसमें जयललिता का बड़ा सा फोटो छापा जाना था. इन नेताओं में कुछ बड़े और कई छोटे नेता भी शामिल हैं.
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पुराना ऑर्डर रद्द होने के बाद छपाई वालों को जो संशोधित ऑर्डर मिले वे तो और भी चौंकाने वाले हैं. नये ऑर्डर में बताया गया कि कैलेंडर में अम्मा का जो बड़ा सा फोटो प्रिंट होने वाला था उसकी जगह अब वीके शशिकला की तस्वीर होगी. हालांकि, कैलेंडर से जयललिता की तस्वीर पूरी तरह हटाने की बात नहीं थी, बल्कि शशिकला के मुकाबले एक छोटी तस्वीर को जगह दिये जाने को कहा गया.
बात सिर्फ कैलेंडर और फोटो की नहीं, उस रास्ते की ओर है जो तमिलनाडु में राजनीतिक गतिविधियां इशारा कर रही हैं.
संभालो सिंहासन कि...
शशिकला की अहमियत तो जयललिता के जीते जी ही...
वक्त का पहिया थोड़ा पीछे घुमा कर देखें. जयललिता के आखिरी सांसें लेने के कुछ ही देर बाद सत्ता के हस्तांतरण की औपचारिकताएं पूरी हो चुकी थीं - जो बेहद जरूरी थीं. लेकिन उसके बाद की गतिविधियां काफी हैरान करने वाली हैं.
जिस अम्मा का फोटो रख कर तमिलनाडु कैबिनेट की मीटिंग हुआ करती रही उन्हीं के फोटो वाले कैलेंडर के ऑर्डर रद्द कर दिये गये - और वो भी उसी दौरान जब सूबे में सात दिन के शोक का ऐलान किया गया था.
कैलेंडर री-ऑर्डर
द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक अम्मा की मौत के बाद ही कैलेंडर छापने वालों के फोन घनघनाने लगे. फोन पर कैलेंडर छापने के ऑर्डर रद्द करने की बातें हो रही थीं, जबकि छपाई का काम काफी आगे बढ़ चुका था. राहत की बात बस इतनी थी कि फोन करने वाले नेता नुकसान की भरपाई के लिए तैयार थे.
रिपोर्ट के अनुसार, कई नेताओं ने 2017 के कैलेंडर छापने के ऑर्डर दिये थे जिसमें जयललिता का बड़ा सा फोटो छापा जाना था. इन नेताओं में कुछ बड़े और कई छोटे नेता भी शामिल हैं.
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पुराना ऑर्डर रद्द होने के बाद छपाई वालों को जो संशोधित ऑर्डर मिले वे तो और भी चौंकाने वाले हैं. नये ऑर्डर में बताया गया कि कैलेंडर में अम्मा का जो बड़ा सा फोटो प्रिंट होने वाला था उसकी जगह अब वीके शशिकला की तस्वीर होगी. हालांकि, कैलेंडर से जयललिता की तस्वीर पूरी तरह हटाने की बात नहीं थी, बल्कि शशिकला के मुकाबले एक छोटी तस्वीर को जगह दिये जाने को कहा गया.
बात सिर्फ कैलेंडर और फोटो की नहीं, उस रास्ते की ओर है जो तमिलनाडु में राजनीतिक गतिविधियां इशारा कर रही हैं.
संभालो सिंहासन कि...
शशिकला की अहमियत तो जयललिता के जीते जी ही समझी जाती रही, लेकिन उनकी मौत के बाद हर किसी को उनकी हैसियत का भी ठीक से अंदाजा हो गया.
"हममें, तुम में खड्ग-खम्भ में अम्मा!" |
खबरें ऐसी भी आईं थीं कि जयललिता के निधन के बाद विधायकों से सादे कागज पर दस्तखत कराये गये थे. न वो समझ पाये न उन्हें बताया गया कि उसकी जरूरत क्यों पड़ी.
"अम्मा का चिन्नम्मा को अर्पण, क्या लागे हमारा!" |
क्या किसी को शक था कि कुछ विधायकों को ओ पन्नीरसेल्वम के नाम पर आपत्ति हो सकती है? अगर ऐसा नहीं तो क्या शशिकला को सीएम बनाने की तैयारी थी? या कुछ ऐसा हुआ कि पहले तैयारी कुछ और रही और बात कहीं बिगड़ न जाये इसलिए अनुभवी ओपी को कमान सौंप दी गयी.
परदे के पीछे क्या तैयारी हुई, पहले क्या रणनीति बनी और फिर किन परिस्थितियों में आखिरी फैसला लिया गया ये सब किसी को नहीं मालूम - जरूरी भी नहीं कि सबको ये मालूम भी हो, बशर्ते कुछ गैर कानूनी या गैर संवैधानिक न हुआ हो.
दीपा की दावेदारी!
जयललिता की भतीजी 42 की दीपा जयकुमार भी अचानक शशिकला के लिए चुनौती बन कर उभरीं. दीपा ने अपने राजनीतिक इरादे जाहिर करने में भी देरी नहीं की, "अगर लोग चाहेंगे तो मैं तैयार हूं."
वैसे दीपा के साथ भी तकरीबन वैसा ही ट्रीटमेंट हुआ जैसा एमजीआर की मौत के बाद जयललिता के साथ हुआ था. जयललिता को उस गाड़ी से भी धक्का दे दिया गया था जिस पर उनके राजनीतिक गुरु एमजी रामचंद्रन का शव ले जाया जा रहा था. दीपा को भी अपोलो अस्पताल में नहीं घुसने दिया गया - वेद निलयम की तरफ तो देखने का भी सवाल नहीं पैदा होता. दीपा ने बताया, “मैं अपनी बुआ से मिलने अपोलो अस्पताल दो महीने में 25 बार गई लेकिन मुझे क्यों नहीं मिलने दिया गया?
दीपा का कहना रहा कि उन्हें ये भी नहीं मालूम कि जयललिता को हुआ क्या था और डॉक्टर किस बीमारी का इलाज कर रहे थे? इस बीच बेंगलुरू से ऐसी खबर है कि दीपा कहीं गायब हैं - ये खबर उनकी चचेरी बहन अमृता के हवाले से आ रही है.
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बीबीसी की खबर के मुताबिक दीपा ने बातचीत में बताया है कि कुछ AIADMK कार्यकर्ता चाहते हैं कि वो ही जयललिता की उत्तराधिकारी बनें. दीपा ने बीबीसी को बताया कि अभी वो जयललिता के निधन के बाद सदमे से उबर नहीं पाई हैं इसलिए किसी को जवाब नहीं दिया है.
दक्षिण भारतीय अदाकारा गौतमी ने ब्लॉग पोस्ट के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र भी लिखा - और जिन परिस्थितियों में जयललिता की मौत हुई उस पर सवाल उठाये. हालांकि, उनकी पोस्ट में पॉलिटिकल इंटरेस्ट देखा गया. गौतमी के अलावा तमिलनाडु तेलुगु युवा शक्ति की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी इस सिलसिले में एक याचिका दायर की गई है जिसमें गुजारिश की गई है कि जयललिता के मेडिकल रिपोर्ट्स की एक्सपर्ट से जांच कराई जाये क्योंकि हालात संदेह पैदा करते हैं. अब तो डीएमके नेता स्टालिन ने भी डिटेल्स की मांग कर दी है.
उसके बाद कुछ नेताओं की ओर से मांग उठी कि शशिकला AIADMK के महासचिव की जिम्मेदारी खुल संभालें. जयललिता के घर वेद निलयम जहां अभी शशिकला रहती हैं - कुछ जिलों से पहुंचे AIADMK पदाधिकारियों ने शशिकला से गुजारिश की कि इस मुश्किल घड़ी में वो आगे बढ़ कर उन्हें गाइड करें और पार्टी की कमान खुद अपने हाथ में लें. और अब तो AIADMK प्रवक्ता सी पोन्नियान ने साफ कर दिया है कि महासचिव पद के लिए शशिकला के नाम की घोषणा औपचारिकता मात्र रह गई है. दीपा अपनी दावेदारी पर क्या फैसला लेंगी, ये सामने नहीं आया है, लेकिन AIADMK नेता जिस तरह शशिकला में जयललिता का अक्स देखने लगे हैं उसमें कोई और गुंजाइश कम ही बचती है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.