21 अगस्त को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ चल रहे डोकलाम विवाद पर एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था- 'इसका जल्दी ही समाधान निकल जाएगा. मुझे पूरा भरोसा है कि चीन एक सकारात्मक कदम उठाएगा.' इसके ठीक एक हफ्ते के बाद ही खबर आई कि डोकलाम विवाद का हल निकाल लिया गया है.
इसके पहले चीनी मीडिया ने कहा था कि ये वापसी एकतरफा है और वो भी भारत की तरफ से है. लेकिन एक वरिष्ठ पीएमओ अधिकारी ने मुझे बताया कि ये समझौता दो तरफा है. इसी कारण से चीन ने डोकलाम से अपनी सेना के साथ-साथ रोड बनाने का सारा ताम-झाम भी हटा लिया है. और यथास्थिति कायम रखने पर भी राजी हो गई है.
70 दिन चले इस डोकलाम विवाद में चाणक्य की भूमिका राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल निभा रहे थे. लेकिन जब वो चीन पहुंचे तो वहां की मीडिया ने उन्हें शकुनी की तरह पेश किया. डोकलाम में चीन जो सड़क बना रही थी वो भारत के लिए खतरा हो सकती थी. लेकिन डोभाल के सख्त रवैये ने चीन के इस कदम को न सिर्फ रोका बल्कि उन्हें पीछे हटने पर भी मजबूर कर दिया. भारत को चीन पर यदि ये रणनीतिक जीत हासिल नहीं होती तो उसका खामियाजा हमें पीढ़ियों तक भुगतना पड़ता.
पीएम मोदी ने डोभाल को खुली छूट दे दी थी और एनएसए ने पूरे विवाद के दौरान विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर काम किया. डोकलाम विवाद में जीत, 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद डोभाल की दूसरी बड़ी सफलता है. तो अब जबकि डोकलाम विवाद खत्म हो चुका है. तीनों देशों भारत, भूटान और चीन के लिए आने वाले दिन कैसे होंगे उसकी एक झलक देखिए-
भारत-
हालांकि नई दिल्ली ने पहले राउंड में जीत हासिल कर ली है लेकिन फिर भी उन्हें ये बात भी याद रखनी चाहिए कि डोकलाम विवाद अभी शांत हुआ है खत्म नहीं....
21 अगस्त को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ चल रहे डोकलाम विवाद पर एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था- 'इसका जल्दी ही समाधान निकल जाएगा. मुझे पूरा भरोसा है कि चीन एक सकारात्मक कदम उठाएगा.' इसके ठीक एक हफ्ते के बाद ही खबर आई कि डोकलाम विवाद का हल निकाल लिया गया है.
इसके पहले चीनी मीडिया ने कहा था कि ये वापसी एकतरफा है और वो भी भारत की तरफ से है. लेकिन एक वरिष्ठ पीएमओ अधिकारी ने मुझे बताया कि ये समझौता दो तरफा है. इसी कारण से चीन ने डोकलाम से अपनी सेना के साथ-साथ रोड बनाने का सारा ताम-झाम भी हटा लिया है. और यथास्थिति कायम रखने पर भी राजी हो गई है.
70 दिन चले इस डोकलाम विवाद में चाणक्य की भूमिका राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल निभा रहे थे. लेकिन जब वो चीन पहुंचे तो वहां की मीडिया ने उन्हें शकुनी की तरह पेश किया. डोकलाम में चीन जो सड़क बना रही थी वो भारत के लिए खतरा हो सकती थी. लेकिन डोभाल के सख्त रवैये ने चीन के इस कदम को न सिर्फ रोका बल्कि उन्हें पीछे हटने पर भी मजबूर कर दिया. भारत को चीन पर यदि ये रणनीतिक जीत हासिल नहीं होती तो उसका खामियाजा हमें पीढ़ियों तक भुगतना पड़ता.
पीएम मोदी ने डोभाल को खुली छूट दे दी थी और एनएसए ने पूरे विवाद के दौरान विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर काम किया. डोकलाम विवाद में जीत, 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद डोभाल की दूसरी बड़ी सफलता है. तो अब जबकि डोकलाम विवाद खत्म हो चुका है. तीनों देशों भारत, भूटान और चीन के लिए आने वाले दिन कैसे होंगे उसकी एक झलक देखिए-
भारत-
हालांकि नई दिल्ली ने पहले राउंड में जीत हासिल कर ली है लेकिन फिर भी उन्हें ये बात भी याद रखनी चाहिए कि डोकलाम विवाद अभी शांत हुआ है खत्म नहीं. चीन 2018 तक भारत के खिलाफ एक सख्त स्टैंड जरुर लेगा. ये भी हो सकता है कि बीजिंग डोकलाम की तरह एक नहीं कई विवादों को जन्म दे. उस वक्त पीएम मोदी 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुटे होंगे जिसका फायदा चीन उठाने की कोशिश जरुर करेगा.
भारत ने चीन को आईना दिखाने की जुर्रत की है. इसके पहले कोई भी देश चीन को इस स्तर पर मात नहीं दे पाया था. तो जाहिर है चीन भारत से बदला लेने के लिए साम-दाम-दंड-भेद सब लगा देगा. और भारत पर पलटवार जरुर करेगा. चीन के नजरिए से देखें तो भारत के लिए ये जश्न मनाने का समय है. कुछ देर के लिए हम ये सोचकर भले खुश हो सकते हैं कि 1962 की हार के घावों पर थोड़ा मरहम लग गया है. लेकिन ये तय है कि चीन इस हार को आसानी से पचाने वाला नहीं है.
अगर पाकिस्तान जैसा देश जो सैन्य क्षमता में भारत के आगे कहीं नहीं टिकता वो भी भारत के 'सौ टुकड़े' करने का दंभ भरता है तो चीन तो फिर भी एक सुपरपावर है. चीन पलटवार कब, कैसे और किस तरीके से करेगा ये तो समय ही बताएगा.
भूटान-
डोकलाम विवाद में भूटान ही एक ऐसा हिस्सा है जो इसकी जद में तो है लेकिन उसका कुछ भी दांव पर नहीं लगा है. डोकलाम विवाद का अंत कुछ और भी होता तो भी उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ना था. भारत-चीन के बीच इस वर्चस्व की लड़ाई में भूटान क्या दांव लगाता है ये देखना दिलचस्प होगा. क्योंकि पिछले कुछ दिनों से थिंपु चीन के साथ के अपने संबंधों को सुधारने में जोर-शोर से लगा हुआ है. इसी के मद्देनजर चीन का भूटान में प्रभाव भी बढ़ रहा है.
चीन-
अगले हफ्ते होने वाले ब्रिक समिट की मेजबानी चीन ही कर रहा है. हो सकता है इसलिए ही चीन ने भारत के साथ समझौते का रुख अपनाया हो. लेकिन इतना तो तय की चीन चुप नहीं बैठेगा. खास बात ये है कि डोकलाम में चीन किसी तरह का निर्माण कार्य फिर से शुरु नहीं करेगा इस बात की कोई गारंटी उसने नहीं दी है. न तो मौखिक तौर पर और न ही लिखित तौर पर.
इसलिए दोस्तों अगली गर्मियों में डोकलाम पार्ट 2 और उस जैसी कई घटनाओं के लिए तैयार हो जाइए.
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