इन नतीजों में कांग्रेस की करारी हार पर प्रतिक्रिया देते हुए एक बार फिर सोशल मीडिया पर कांग्रेस में परिवारवाद पर हमला शुरू हो गया है. वहीं हार से बौखलाए कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अपनी खीज निकालने के लिए अनाप-शनाप बयानबाजी पर उतर आए हैं.
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और तमिलनाडु में जयललिता अपनी सत्ता बरकरार रखने में कामयाब हुई तो असम में बीजेपी ने कांग्रेस के 15 साल के शासन को उखाड़ फेंका और पहली बार राज्य में सत्ता पर काबिज होने जा रही है. वहीं केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन यूडीएफ को सत्ता से बाहर का रास्ता देखना पड़ा है. इन नतीजों पर कांग्रेस के नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है.
वहीं बीजेपी में दोहरी वजह से खुशी का माहौल है. पहला उसमे असम में सत्तारूढ़ कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखाते हुए कांग्रेस मुक्त भारत के अपने सपने की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम उठा लिया है. दूसरा, बाकी राज्यों में जहां बीजेपी ने पहली बार अपनी छाप छोड़ने में सफलता पाई है, वहीं इन राज्यों में वोटरों में कांग्रेस के प्रति कोई खास उत्साह नहीं दिखाया.
हालांकि, कांग्रेस वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी ने शालीनता से असम में हार को स्वीकार करते हुए सभी राज्यों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को चुनावों में मेहनत करने के लिए शुक्रिया अदा किया.
इन नतीजों में कांग्रेस की करारी हार पर प्रतिक्रिया देते हुए एक बार फिर सोशल मीडिया पर कांग्रेस में परिवारवाद पर हमला शुरू हो गया है. गौरतलब है कि 2017 में उत्तर प्रदेश चुनावों में पार्टी पर राजनीतिक सलाहकारों का दबाव है कि वह राज्य में एक बार फिर अपना अस्तित्व बनाने के लिए प्रियंका गांधी को मैदान में उतारे. इसके उलट सोशल मीडिय पर कांग्रेस को परिवारवाद से हटकर पार्टी में मेरिट को जगह देने की बात कही जा रही है.
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और तमिलनाडु में जयललिता अपनी सत्ता बरकरार रखने में कामयाब हुई तो असम में बीजेपी ने कांग्रेस के 15 साल के शासन को उखाड़ फेंका और पहली बार राज्य में सत्ता पर काबिज होने जा रही है. वहीं केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन यूडीएफ को सत्ता से बाहर का रास्ता देखना पड़ा है. इन नतीजों पर कांग्रेस के नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है.
वहीं बीजेपी में दोहरी वजह से खुशी का माहौल है. पहला उसमे असम में सत्तारूढ़ कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखाते हुए कांग्रेस मुक्त भारत के अपने सपने की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम उठा लिया है. दूसरा, बाकी राज्यों में जहां बीजेपी ने पहली बार अपनी छाप छोड़ने में सफलता पाई है, वहीं इन राज्यों में वोटरों में कांग्रेस के प्रति कोई खास उत्साह नहीं दिखाया.
हालांकि, कांग्रेस वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी ने शालीनता से असम में हार को स्वीकार करते हुए सभी राज्यों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को चुनावों में मेहनत करने के लिए शुक्रिया अदा किया.
इन नतीजों में कांग्रेस की करारी हार पर प्रतिक्रिया देते हुए एक बार फिर सोशल मीडिया पर कांग्रेस में परिवारवाद पर हमला शुरू हो गया है. गौरतलब है कि 2017 में उत्तर प्रदेश चुनावों में पार्टी पर राजनीतिक सलाहकारों का दबाव है कि वह राज्य में एक बार फिर अपना अस्तित्व बनाने के लिए प्रियंका गांधी को मैदान में उतारे. इसके उलट सोशल मीडिय पर कांग्रेस को परिवारवाद से हटकर पार्टी में मेरिट को जगह देने की बात कही जा रही है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.