कुछ ही घंटे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चेताया था कि सीरिया के साथ अब कुछ होना चाहिए जब दुनिया के सामने सीरिया के रासायनिक हमले की भयावह तस्वीरें आने लगीं. और अब ट्रम्प की चेतावनी के कुछ ही घंटे बाद सीरिया पर अपने पहले सीधे मिसाइल हमले में अमेरिका ने उस एयरबेस को निशाना बनाया है जिसपर रासायनिक हमला करने के सबूत मिले हैं. कुल 59 टोमाहॉक क्रूज मिसाइल सीरिया पर दागी गईं. यूँ तो सीरिया पर रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के आरोप लगते रहे हैं पर पिछले दिनों सीरिया ने तो हद ही पार कर दी थी जब सीरियन विद्रोहियों के कब्ज़े वाले इदलिब शहर में नर्व गैस हमले में लगभग 80-90 लोगों की मौत हो गयी जिसमें औरतें और बच्चे भी शामिल थे. सैकड़ों लोगों में नर्व गैस हमले के लक्षण पाए गए हैं.
इसके पहले बड़े पैमाने पर सीरिया पर अगस्त 2013 में में इससे भी बड़े नर्व गैस हमले के आरोप लगे थे जिसमें कहा जाता है कि हज़ारों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. उस समय भी अमेरिका ने सीरिया पर हमला करने का मन बनाया था पर उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बाद में हाथ पीछे खींच लिए. नॉर्थ कोरिया को चेतावनी सीरिया पर अमेरिकी हमला उस रूसी बयान के बाद भी हुआ है जिसमें रूस ने सीरिया के तानाशाह बशर अल-असद को क्लीन-चिट देते हुए सीरियन विद्रोहियों को रासायनिक हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया है. वास्तविकता ये है कि बशर अल-असद अगर अंतर्राष्ट्रीय मिलिट्री कार्रवाई से बचे हुए हैं तो इसके पीछे उनके ऊपर रूसी, चीनी और ईरानी सरकारों का हाथ होना ही है. लेकिन अब अमेरिकी रुख से ऐसा लग रहा है कि अमेरिका इसकी परवाह नहीं करेगा.
जिस तरह से डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी हमले के बाद अपने सम्बोधन...
कुछ ही घंटे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चेताया था कि सीरिया के साथ अब कुछ होना चाहिए जब दुनिया के सामने सीरिया के रासायनिक हमले की भयावह तस्वीरें आने लगीं. और अब ट्रम्प की चेतावनी के कुछ ही घंटे बाद सीरिया पर अपने पहले सीधे मिसाइल हमले में अमेरिका ने उस एयरबेस को निशाना बनाया है जिसपर रासायनिक हमला करने के सबूत मिले हैं. कुल 59 टोमाहॉक क्रूज मिसाइल सीरिया पर दागी गईं. यूँ तो सीरिया पर रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के आरोप लगते रहे हैं पर पिछले दिनों सीरिया ने तो हद ही पार कर दी थी जब सीरियन विद्रोहियों के कब्ज़े वाले इदलिब शहर में नर्व गैस हमले में लगभग 80-90 लोगों की मौत हो गयी जिसमें औरतें और बच्चे भी शामिल थे. सैकड़ों लोगों में नर्व गैस हमले के लक्षण पाए गए हैं.
इसके पहले बड़े पैमाने पर सीरिया पर अगस्त 2013 में में इससे भी बड़े नर्व गैस हमले के आरोप लगे थे जिसमें कहा जाता है कि हज़ारों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. उस समय भी अमेरिका ने सीरिया पर हमला करने का मन बनाया था पर उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बाद में हाथ पीछे खींच लिए. नॉर्थ कोरिया को चेतावनी सीरिया पर अमेरिकी हमला उस रूसी बयान के बाद भी हुआ है जिसमें रूस ने सीरिया के तानाशाह बशर अल-असद को क्लीन-चिट देते हुए सीरियन विद्रोहियों को रासायनिक हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया है. वास्तविकता ये है कि बशर अल-असद अगर अंतर्राष्ट्रीय मिलिट्री कार्रवाई से बचे हुए हैं तो इसके पीछे उनके ऊपर रूसी, चीनी और ईरानी सरकारों का हाथ होना ही है. लेकिन अब अमेरिकी रुख से ऐसा लग रहा है कि अमेरिका इसकी परवाह नहीं करेगा.
जिस तरह से डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी हमले के बाद अपने सम्बोधन में कहा कि अमेरिका के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए जरूरी है कि हम रासायनिक हमलों के इस्तेमाल पर अंकुश लगाएं और रासायनिक हमलों को इस्तेमाल करने वालों को सज़ा दें, वो नॉर्थ कोरिया के लिए भी चेतावनी है. वो भी तब जब कि ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि नॉर्थ कोरिया अमेरिका पर न्यूक्लियर मिसाइल हमला कर सकता है. वैश्विक प्रतिबंधों के बावजूद नॉर्थ कोरिया अब तक पांच न्यूक्लियर टेस्ट कर चुका है और 2017 में ही चार बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट लॉन्च कर चुका है और दावा करता है कि उसके पास अमेरिका तक मार करने वाली लम्बी दूरी की मिसाइलें हैं.
अमेरिका के पूर्व उप-सेना प्रमुख जनरल जैक कीन के मुताबिक़ अमेरिका उससे पहले नॉर्थ कोरिया पर हमला कर सकता है. अमेरिकी जनरल का बयान ट्रम्प के पिछले हफ्ते के उस रिएक्शन के बाद आया कि अगर चीन मदद नहीं करेगा तो अमेरिका नॉर्थ कोरिया पर एकतरफा कार्रवाई कर सकता है. ट्रम्प की बात को आगे बढ़ाते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलर्सन ने कहा है कि जितना बोलना था अमेरिका नॉर्थ कोरिया के बारे में बोल चुका है.
अब बोलने का नहीं करने का वक़्त है. और सीरिया पर अमेरिकी हमले से इस धारणा को बल मिलता है कि नॉर्थ कोरिया भी जल्द ही अमेरिकी मिसाइलें के निशाने पर आ सकता है. जैसे ईरान पर रूसी, चीनी और ईरानी वरदहस्त रहा है, वैसे ही नॉर्थ कोरिया भी चीनी मदद के सहारे ही दुनिया को गीदड़-भभकी देता रहा है लेकिन अमेरिका ने चीन को भी इस मुद्दे पर सख्त चेतावनी दे दी है. हालाँकि, इस वक़्त डोनाल्ड ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति सी जिनपिंग के बीच अमेरिका में शिखरवार्ता हो रही है, ट्रम्प ने इसकी रूपरेखा पहले ही तैयार कर दी थी जब उन्होंने कहा के नॉर्थ कोरिया चीन के लिए एक रणनीतिक बोझ है. जाहिर सी बात है कि अगर अब चीन अपने इस बोझ को हल्का नहीं करता तो ये काम अमेरिका कर सकता है.
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