मोदी को घेरना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है! पूरा विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर यही सोचता रहा होगा. क्योंकि लोगों ने विपक्ष का मुहं ऐसे बंद किया कि न तो उनके जबान पर 'मौत का सौदागर' आता है न दिमाग में कहीं '2002' का जिक्र. बीच बीच में 'सूट बूट की सरकार' और 'फेयर एंड लवली स्कीम' या 'खून की दलाली' जैसी बातें टीवी स्क्रीन पर ब्लैक-व्हाइट होती हैं लेकिन कुछ ही देर में बेदम भी साबित हो जाती हैं.
ब्रह्मास्त्र का बैकफायर
पहले राहुल गांधी ने कहा कि वो बोलेंगे तो भूकंप आ जाएगा. मोदी सरकार पर राहुल ने इल्जाम लगाया कि यही वजह है कि वो उन्हें संसद में बोलने नहीं देते. मालूम नहीं कि मोदी को भी क्या सूझा कि [स्वत:स्फूर्त या सोच समझ कर जैसे भी] कि वो भी कहने लगे कि चूंकि लोक सभा में नहीं बोलने दिया जा रहा है इसलिए वो जन सभा में बोल रहे हैं.
इसे भी पढ़ें: 'सबूतों' के आधार पर खड़े बेबुनियाद आरोप!
फिर राहुल गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई और विपक्ष के कुछ नेताओं के साथ मीडिया से मुखातिब होकर दावा किया कि उनके पास प्रधानमंत्री मोदी के पर्सनल करप्शन के सबूत हैं. इस प्रेस कांफ्रेंस में टीएमसी के सुदीप बंदोपाध्याय, एनसीपी के तारिक अनवर, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, सीपीएम के पी करुणाकरन और एआईयूडीएफ के बदरुद्दीन अजमल भी शामिल थे. प्रेस कांफ्रेंस के बाद, बताते हैं, राहुल ने कांग्रेस सांसदों की एक मीटिंग भी बुलाई और आगे की रणनीति डिस्कस की.
मेरे... मोदी को घेरना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है! पूरा विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर यही सोचता रहा होगा. क्योंकि लोगों ने विपक्ष का मुहं ऐसे बंद किया कि न तो उनके जबान पर 'मौत का सौदागर' आता है न दिमाग में कहीं '2002' का जिक्र. बीच बीच में 'सूट बूट की सरकार' और 'फेयर एंड लवली स्कीम' या 'खून की दलाली' जैसी बातें टीवी स्क्रीन पर ब्लैक-व्हाइट होती हैं लेकिन कुछ ही देर में बेदम भी साबित हो जाती हैं. ब्रह्मास्त्र का बैकफायर पहले राहुल गांधी ने कहा कि वो बोलेंगे तो भूकंप आ जाएगा. मोदी सरकार पर राहुल ने इल्जाम लगाया कि यही वजह है कि वो उन्हें संसद में बोलने नहीं देते. मालूम नहीं कि मोदी को भी क्या सूझा कि [स्वत:स्फूर्त या सोच समझ कर जैसे भी] कि वो भी कहने लगे कि चूंकि लोक सभा में नहीं बोलने दिया जा रहा है इसलिए वो जन सभा में बोल रहे हैं. इसे भी पढ़ें: 'सबूतों' के आधार पर खड़े बेबुनियाद आरोप! फिर राहुल गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई और विपक्ष के कुछ नेताओं के साथ मीडिया से मुखातिब होकर दावा किया कि उनके पास प्रधानमंत्री मोदी के पर्सनल करप्शन के सबूत हैं. इस प्रेस कांफ्रेंस में टीएमसी के सुदीप बंदोपाध्याय, एनसीपी के तारिक अनवर, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, सीपीएम के पी करुणाकरन और एआईयूडीएफ के बदरुद्दीन अजमल भी शामिल थे. प्रेस कांफ्रेंस के बाद, बताते हैं, राहुल ने कांग्रेस सांसदों की एक मीटिंग भी बुलाई और आगे की रणनीति डिस्कस की.
राहुल गांधी के इस दावे को लेकर बीजेपी तो नहीं लेकिन बाकी लोग काफी पसोपेश में हैं. सबसे ज्यादा सकते में तो वे नेता लग रहे हैं जिनके साथ राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस की थी. अब खबरें आ रही हैं कि जो नेता राहुल के साथ प्रेस कांफ्रेंस में बैठे उन्हें भी उस विस्फोटक सबूत के बारे में कोई अंदाजा नहीं. खबरों के मुताबिक उन्हें अचानक प्रेस कांफ्रेंस के बारे में बताया गया - और राहुल ने जो दावा किया वो भी उन्हें वहीं सुनने को मिला. हर एक विरोध जरूरी होता है... जो केजरीवाल बात बात पर झाडू चलाने की बात करते उन्हें एक ही झटके मोदी ने खामोश कर दिया. ऐसा हवा बनाया कि केजरीवाल के हाथ में भी झाडू उनका चुनाव निशान कम और प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान का हिस्सा ज्यादा लगता. उस दिन तो कोई भी आपे से बाहर हो जाता जब केजरीवाल के दफ्तर में सीबीआई की टीम पहुंची. केजरीवाल ने ट्विटर पर मन की पूरी भड़ास निकाल उड़ेल डाली - मोदी को कायर से लेकर मनोरोगी तक बता डाला. कुछ मोदी समर्थक इसे लेकर कोर्ट भी पहुंचे लेकर उन्हें सुननेवाला कोई नहीं मिला. बीच में केजरीवाल ने मोदी से अपनी हत्या की आशंका भी जता डाली. स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा मौका शायद ही कभी आया हो जब कोई सीएम अपने ही पीएम से हत्या की आशंका जाहिर करे. वैसे विरोध का कोई खास पैमाना तो होता नहीं. लोकतंत्र में विरोध जताने की पूरी छूट है, ये बात अलग है कि असीम त्रिवेदी और कन्हैया कुमार जैसे कुछ युवा विरोध जताने के बाद अभिमन्यू जैसी हालत में पहुंच जाते हैं - फिर भी उन्हें इंसाफ देने और दिलाने के लिए अदालतें तो मौजूद हैं ही. विरोध जताने के मामले में ममता बनर्जी का तो कोई सानी नहीं. अभी अभी सेना की एक ड्रिल को उन्होंने अपनी सरकार के तख्तापलट की साजिश से जोड़ा और अपने आरोप को असरदार बनाने के लिए रात भर दफ्तर में ही डटी रहीं. विरोध दमदार न हो तो कैसे मुहंकी खानी पड़ती है इसका एक और नमूना हाल फिलहाल देखने को मिला. जाने माने वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने पुख्ता सबूतों के साथ कोर्ट आने को कहा है. सहारा-बिड़ला डायरी केस में कोर्ट का कहना था कि "ये आरोप गंभीर हैं और उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के खिलाफ हैं. आप देश के प्रधानमंत्री पर भी आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में इन पर यूं ही आरोप नहीं लगाए जा सकते, अगर पुख्ता सबूत हों तो मामले की आगे सुनवाई करेंगे. कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर ऐसे ही आरोप लगाते रहेंगे तो संवैधानिक अथॉरिटी के लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा. हालांकि, कोर्ट ने भरोसा दिलाया कि ठोस सबूत होंगे तो सुनवाई जरूर करेंगे. अब केजरीवाल ने मोदी की डिग्री पर सवाल उठाया है. अच्छी बात है. सवाल उठते रहना चाहिये. अगर सवाल उठाने वाले न रहें तो कब आडवाणी की आशंका सच में बदल जाए और फिर से इमरजेंसी थोप दी जाए. इसे भी पढ़ें: राहुल गांधी ने पहले भी बयान दिए थे, पर क्या भूकंप आया था? फिलहाल केजरीवाल मोदी की डिग्री और नोटबंदी को जोड़ कर नये पैकेज के रूप में पेश कर रहे हैं. बिलकुल पुलिसिया अंदाज में केजरीवाल का दावा है कि नोटबंदी में आठ हजार करोड़ का घोटाला हुआ है. केजरीवाल लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा मोदी के कम पढ़े लिखे होने के कारण हो गया. यही केजरीवाल आखिर तक समझाते रहे कि उनके कानून मंत्री की डिग्री सही है और साजिश के तहत उन्हें फंसाया जा रहा है. जब पुलिस उनके कानून मंत्री को लेकर उनकी कानून की डिग्री वेरीफाई करने पहुंची तो उनके होश उड़े गये. तब जाकर उनका बचाव कर रहे साथी नेताओं को भी होश आया - और फिर केजरीवाल ने आप नेता को पार्टी और कैबिनेट से बेदखल किया. राहुल गांधी के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर मजाक भी उड़ाया जा रहा है. एक ट्वीट में कहा गया कि भ्रष्टाचार तीन प्रकार के होते हैं - पब्लिक, प्राइवेट और पर्सनल भ्रष्टाचार. ऐसा तो नहीं कि मोदी को घेरने के लिए लाया गया राहुल गांधी का पर्सनल करप्शन वाला ब्रह्मास्त्र बैक फायर करने लगा है. इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |