'फ्रांस का चुनाव में हमारी जीत दुनिया भर में लोगो के जनविद्रोह की शुरुआत करेगा. यूरोपीय यूनियन अपनी मौत मर जाएगा और हमें बाहरी ताकतों से खुद को बचाना होगा.' राष्ट्रपति चुनाव के पहले राउंड से एक महीना प्रचार रैली में ऐसे उग्र राष्ट्रवादी नारों के जरिए राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार 'मेरीन ली पेन' क्या दुनिया को भविष्य के यूरोप की झलक दिखा रही हैं?
चुनाव को लेकर ओपिनियन पोल को अगर सही माना जाए तो 23 अप्रैल को होने वाले चुनाव के पहले राउंड में मेरीन ली पेन राजनीतिक प्रतिद्वंदी एमैनुएल मैकरोन पर भारी पड़ सकती हैं. हालांकि 7 मई का राउंड मुकाबले को और दिलचस्प बना सकता है. अब सवाल ये है कि अगर मेरी ली पेन जीत जाती हैं तो नीदरलैंड्स के चुनाव नतीजों को दक्षिणपंथ के धीमे पड़ते कदम करार दे रहे राजनीतिक विश्लेषण क्या उलटे पड़ जाएंगे?
नीस, चार्ली हेब्दो और पेरिस हमलों के घाव से जूझ रहे फ्रांस में मेरीन कुछ ही समय में बेहद लोकप्रिय हो गई हैं. वो ब्रेक्जिट की ही तर्ज पर फ्रेक्सिट की बात करती हैं. इस्लाम को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा बताती हैं,वो दावा करती हैं कि अगर सत्ता में आईं तो बाहरियों को बाहर कर देंगी. वो BB का नारा देती हैं यानि फ्रांस के लिए दो बी जिम्मेदार हैं ब्यूरोक्रेसी और बुर्का. यूरोप में उग्र राष्ट्रवादी एजेंडे के सबसे मुखर चेहरों में से पेन फ्रांस के अतीत को याद दिला लोगों से वोट मांग रही हैं.
उनकी उग्र रणनीति को देखकर लगता नहीं कि नीदरलैंड्स के चुनावी नतीजों को वो कोई खासा महत्व दे रही हैं और ऐसा सोचने के लिए उनके पास वजह भी हैं. पिछली 15 मार्च को जब नीदरलैंड में आम चुनावों के नतीजों के बाद वहां के प्रधानमंत्री मार्क रूट ने पत्रकारों से कहा था कि हमारे देश ने खतरनाक ढंग के पॉप्यूलिज़्म को नकार दिया है तो उस वक्त यूरोप के लेफ्ट लिबरल धड़े ने राहत की सांस ली थी...
'फ्रांस का चुनाव में हमारी जीत दुनिया भर में लोगो के जनविद्रोह की शुरुआत करेगा. यूरोपीय यूनियन अपनी मौत मर जाएगा और हमें बाहरी ताकतों से खुद को बचाना होगा.' राष्ट्रपति चुनाव के पहले राउंड से एक महीना प्रचार रैली में ऐसे उग्र राष्ट्रवादी नारों के जरिए राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार 'मेरीन ली पेन' क्या दुनिया को भविष्य के यूरोप की झलक दिखा रही हैं?
चुनाव को लेकर ओपिनियन पोल को अगर सही माना जाए तो 23 अप्रैल को होने वाले चुनाव के पहले राउंड में मेरीन ली पेन राजनीतिक प्रतिद्वंदी एमैनुएल मैकरोन पर भारी पड़ सकती हैं. हालांकि 7 मई का राउंड मुकाबले को और दिलचस्प बना सकता है. अब सवाल ये है कि अगर मेरी ली पेन जीत जाती हैं तो नीदरलैंड्स के चुनाव नतीजों को दक्षिणपंथ के धीमे पड़ते कदम करार दे रहे राजनीतिक विश्लेषण क्या उलटे पड़ जाएंगे?
नीस, चार्ली हेब्दो और पेरिस हमलों के घाव से जूझ रहे फ्रांस में मेरीन कुछ ही समय में बेहद लोकप्रिय हो गई हैं. वो ब्रेक्जिट की ही तर्ज पर फ्रेक्सिट की बात करती हैं. इस्लाम को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा बताती हैं,वो दावा करती हैं कि अगर सत्ता में आईं तो बाहरियों को बाहर कर देंगी. वो BB का नारा देती हैं यानि फ्रांस के लिए दो बी जिम्मेदार हैं ब्यूरोक्रेसी और बुर्का. यूरोप में उग्र राष्ट्रवादी एजेंडे के सबसे मुखर चेहरों में से पेन फ्रांस के अतीत को याद दिला लोगों से वोट मांग रही हैं.
उनकी उग्र रणनीति को देखकर लगता नहीं कि नीदरलैंड्स के चुनावी नतीजों को वो कोई खासा महत्व दे रही हैं और ऐसा सोचने के लिए उनके पास वजह भी हैं. पिछली 15 मार्च को जब नीदरलैंड में आम चुनावों के नतीजों के बाद वहां के प्रधानमंत्री मार्क रूट ने पत्रकारों से कहा था कि हमारे देश ने खतरनाक ढंग के पॉप्यूलिज़्म को नकार दिया है तो उस वक्त यूरोप के लेफ्ट लिबरल धड़े ने राहत की सांस ली थी कि चलो गीर्ट वील्डर्स की फ्रीडम पार्टी की हार से यूरोप में दक्षिणपंथ की बयार मंद पड़ने की शुरुआत हो गई है और बहुत संभव है कि फ्रांस औऱ फिर जर्मनी में होने चुनावों में भी ये ही ट्रेंड देखने को मिल सकता है. लेकिन, चुनाव परिणामों के ताज़ा विश्लेषण यहां की राजनीति को लेकर महीन लेकिन चौंकाने वाले संकेत दे रहे हैं.
1. सबसे पहली बात ये कि गीर्ट वील्डर्स पार्टी ने डच संसद की 150 सीटों में से 20 सीटें हासिल की है. हालांकि पिछली बार से ये 5 ही सीटें ज्यादा हैं, लेकिन राजनीतिक मुख्यधारा में भागीदारी के हिसाब से विश्लेषक इसे बुरा प्रदर्शन नहीं मानते.
2. चुनाव प्रचार के दौरान वील्डर्स की लोकप्रियता से डरी विपक्षी पार्टियों ने अपने लिबरल मूल्यों से समझौता किया और कहीं न कहीं अपने प्रचार में इसे दिखाया भी. डच पीएम ने लोगों को लिखे एक खुले पत्र में चेताया था कि अगर आप सामान्य तरीके से व्यवहार नहीं करेंगे, तो आपको देश छोड़ना पड़ेगा.
3. इन्ही चुनावों में उग्र राष्ट्रवादी राजनीति करने वाली एक नई पार्टी फोरम फॉर डेमोक्रेसी ने भी दो सीटें जीतकर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है , इस पार्टी के मुखिया Thierry Baudet को अभी से वील्डर्स का प्रतिद्ंवदी माना जाने लगा है.
यानि उग्र राष्ट्रवाद और दक्षिणपंथी धारा भले ही चुनाव के नतीजों में अभी नहीं दिख रही हो, लेकिन यूरोप में लोगों के बीच वो धीरे-धीरे जड़े जमा रही है. जर्मनी में भी हालात अलग नहीं, चुनाव के मुहाने पर खड़े जर्मनी में चुनावी सर्वेक्षण होने वाले चुनावों में धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी को महज़ 10 फीसदी वोट मिलते दिखा रहे हैं. लेकिन, ये बात भी किसी से छुपी नहीं कि एंजेला मर्केल की पार्टी सीडीयू एएफडी की लोकप्रियता से घबराई हुई है.
स्थानीय चुनावो में तीसरे नंबर पर आने वाली इस पार्टी ने मर्केल के गृहक्षेत्र में ही सेंध लगा दी थी. इसका असर पिछले दिसंबर में मर्केल के उस बयान पर भी देखा गया जिसमें उन्होंने कहा था कि वो बुर्के पर बैन का समर्थन करती हैं. प्रवासियों के लिए यूरोप के दरवाज़े खोलने में अहम रोल निभाने वाली मर्केल के इस कदम को यू टर्न माना गया था. लेकिन जर्मनी से पहले फ्रांस के चुनाव यूरोप की राजनीति की दिशा तय करेंगे इसमें कोई शक नहीं. इसीलिए राजनीतिक विश्लेषकों की नज़रें फ्रांस पर लगी हैं और फ्रांस की फिलहाल मेरीन ली पेन पर.
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