उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा जबसे एक चुनावी रैली में अमिताभ बच्चन पर निशाना साधते हुए यह कहा गया है कि “मैं सदी के सबसे बड़े महानायक से कहूंगा कि अब आप गुजरात में गधों का प्रचार मत करिए”... तब से एक बार फिर यह गुजरात का वन्य प्राणी जंगली गधा सुर्खियों में आ गया है.
वैसे हम आप को बता दें कि "घुड़खुर" के नाम से जाना जाने वाला यह जंगली गधा पूरी तरह न तो गधा है और न ही घोड़ा. यह गधे और घोड़े दोनों के बीच की प्रजाति है जिसमें दोनों के गुण पाए जाते हैं. जैसा कि इसके नाम पर गौर करें तो पता चलता है कि घुड़ शब्द घोड़े से लिया गया है और खर का मतलब गधा होता है. इस तरह घोड़े और गधे दोनों के नाम को मिलाकर इसे यह नाम मिला है. वैसे इसे भारत में ‘गधेरा’, ‘खच्चर’ और ‘जंगली गधे’ के नाम से भी जाना जाता है.
Equus hemionus khur वैज्ञानिक नाम वाला यह वन्य प्राणी गुजरात के लघु कच्छ रण में स्थित घुड़खर अभ्यारण्य में ही अपनी सबसे ज्यादा तादाद में मिलता है. इन जंगली गधों का निवास यह अभ्यारण्य कोई छोटा-मोटा अभ्यारण यानी सेंचुरी नहीं बल्कि भारत की सबसे बड़ी सेंचुरी है. यह अभ्यारण 4954 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. साल 2015 में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार देश में कुल 4500 जंगली गधे हैं जिनमें से तकरीबन 3000 घुड़खर अभ्यारण्य में पाए जाते हैं.
लगभग 250 किलोग्राम वजन और 210 सेंटीमीटर लंबाई के शरीर वाला घुड़खर 70 से 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ़्तार से दौड़ सकता है और लम्बी छलांग भी लगा सकता है. दस से लेकर बीस के झुण्ड में चलने वाले घुड़खर का शरीर महीनों तक न...
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा जबसे एक चुनावी रैली में अमिताभ बच्चन पर निशाना साधते हुए यह कहा गया है कि “मैं सदी के सबसे बड़े महानायक से कहूंगा कि अब आप गुजरात में गधों का प्रचार मत करिए”... तब से एक बार फिर यह गुजरात का वन्य प्राणी जंगली गधा सुर्खियों में आ गया है.
वैसे हम आप को बता दें कि "घुड़खुर" के नाम से जाना जाने वाला यह जंगली गधा पूरी तरह न तो गधा है और न ही घोड़ा. यह गधे और घोड़े दोनों के बीच की प्रजाति है जिसमें दोनों के गुण पाए जाते हैं. जैसा कि इसके नाम पर गौर करें तो पता चलता है कि घुड़ शब्द घोड़े से लिया गया है और खर का मतलब गधा होता है. इस तरह घोड़े और गधे दोनों के नाम को मिलाकर इसे यह नाम मिला है. वैसे इसे भारत में ‘गधेरा’, ‘खच्चर’ और ‘जंगली गधे’ के नाम से भी जाना जाता है.
Equus hemionus khur वैज्ञानिक नाम वाला यह वन्य प्राणी गुजरात के लघु कच्छ रण में स्थित घुड़खर अभ्यारण्य में ही अपनी सबसे ज्यादा तादाद में मिलता है. इन जंगली गधों का निवास यह अभ्यारण्य कोई छोटा-मोटा अभ्यारण यानी सेंचुरी नहीं बल्कि भारत की सबसे बड़ी सेंचुरी है. यह अभ्यारण 4954 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. साल 2015 में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार देश में कुल 4500 जंगली गधे हैं जिनमें से तकरीबन 3000 घुड़खर अभ्यारण्य में पाए जाते हैं.
लगभग 250 किलोग्राम वजन और 210 सेंटीमीटर लंबाई के शरीर वाला घुड़खर 70 से 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ़्तार से दौड़ सकता है और लम्बी छलांग भी लगा सकता है. दस से लेकर बीस के झुण्ड में चलने वाले घुड़खर का शरीर महीनों तक न नहाने के बाद भी बिलकुल साफ सुथरा रहता है. खारे रेगिस्तान में उगने वाली एक खास किस्म की घास को खाने का शौकीन होने के कारण कच्छ का लघु रण इसकी पसंदीदा जगह है.
इतनी सब विशेषताओं के होने के बावजूद भी गधे को लेकर हमारी मानसिकता के चलते यह दुर्लभ वन्य प्रजाति हमारी अनदेखी का शिकार है. एशियाई शेर की तरह ही यह एशियाई गधा सिर्फ भारत में ही पाया जाता है तथा इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने इस प्रजाति को विलुप्ति के खतरे के अंतर्गत रखा है.
उत्तर प्रदेश चुनाव में भले ही घुड़खर का मजाक उड़ाया जा रहा हो लेकिन भारत सरकार द्वारा इसे वन्य पशु सुरक्षा अधिनियम 1972 के अंतर्गत पहली सूची में रखा गया है. साथ ही भारत सरकार ने घुड़खर का महत्त्व समझते हुए इस पर एक डाक टिकट भी जारी किया है.
गुजरात सरकार ने भी घुड़खर को देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए गुजरात टूरिज्म के विज्ञापनों में एक विज्ञापन घुड़खर पर भी बनाया है. इस विज्ञापन में अमिताभ बच्चन इस स्मार्ट जानवर की विशेषताएं गिनाते हुए नजर आते हैं. यह वही विज्ञापन है जिसका सन्दर्भ लेते हुए अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में गधों का प्रचार करने से मना कर रहे हैं. पर शायद उन्हें याद नहीं की अमिताभ बच्चन ने ही उनके प्रदेश का विज्ञापन “ यूपी में दम है, क्योंकि यहां अपराध कम है” उस समय किया था जब उत्तर प्रदेश में अपराध अपने चरम पर था.
खैर ये सब तो चुनावी बातें हैं लेकिन जिस तरह की विशेषताएं हमारा यह जंगली गधा "घुड़खर" रखता है उनको देखते हुए यह किसी घोड़े से कम नहीं है. इस आधे घोड़े और आधे गधे में वह विशेषताएं हैं कि इसका प्रचार उत्तर प्रदेश में तो क्या सारे संसार में गर्व के साथ किया जाना चाहिए.
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