सीबीआई की स्पेशल कोर्ट द्वारा बाबा राम रहीम को दो रेप केस में दोषी मानते ही गुरमीत सिंह के समर्थकों ने तोड़-फोड़ मचा दी थी. लेकिन इस हिंसा और आगजनी के पीछे उन समर्थकों का असली मकसद शायद ही किसी को पता हो. राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के बाद हुई हिंसा लोगों का गुस्सा नहीं, बल्कि एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी.
26 अगस्त को पंचकूला के सेक्टर 5 थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 336 कहती है कि सुनवाई के दिन डेरा समर्थक किसी अनहोनी (बाबा को सजा) होने पर एक बड़े प्लान के की फुल- प्रूफ तैयारी के साथ गए थे. समर्थकों ने प्लान बनाया था कि वे बाबा को जेल ले जा रहे पुलिसकर्मियों पर धावा बोलेंगे और बाबा को छुड़ा ले जाएंगे. हालांकि उन्हें इस बात का अंदेशा कतई नहीं था कि जब वे अपने इस प्लान को अंजाम दे रहे होंगे तो उन सुरक्षाकर्मियों की मदद के लिए और पुलिस बल आ जाएगा. और उनका प्लान फेल हो जाएगा.
इस साजिश का ताना-बाना बहुत पहले ही बुन लिया गया था. इस प्लान को बनाने का काम किया था गुरमीत राम रहीम की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत इंसान ने. जैसे ही सीबीआई जज ने डेरा प्रमुख को दोषी करार दिया प्लान अमल में लाया जाने लगा. जज ने बाबा राम रहीम को 28 अगस्त को होने वाली सुनवाई के लिए रोहतक शिफ्ट करने का आदेश दिया. जैसे ही हरियाणा पुलिस की स्कॉर्पियो कोर्ट परिसर के पुलिस बैरियर तक पहुंची, बाबा राम रहीम की गैंग ने एक कार से उसका रास्ता रोक लिया. ये कार इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल जैमिंग सिस्टम से पूरी तरीके से लैस थी.
आश्चर्य यह है कि हरियाणा कमांडो यूनीफॉर्म में आई इस गैंग के सभी सदस्य हरियाणा पुलिस से ही ताल्लुक रखते थे. ये 6 लोग अपनी कार से कूदकर बाहर आए. ड्राइवर अपनी जगह पर बैठा रहा....
सीबीआई की स्पेशल कोर्ट द्वारा बाबा राम रहीम को दो रेप केस में दोषी मानते ही गुरमीत सिंह के समर्थकों ने तोड़-फोड़ मचा दी थी. लेकिन इस हिंसा और आगजनी के पीछे उन समर्थकों का असली मकसद शायद ही किसी को पता हो. राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के बाद हुई हिंसा लोगों का गुस्सा नहीं, बल्कि एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी.
26 अगस्त को पंचकूला के सेक्टर 5 थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 336 कहती है कि सुनवाई के दिन डेरा समर्थक किसी अनहोनी (बाबा को सजा) होने पर एक बड़े प्लान के की फुल- प्रूफ तैयारी के साथ गए थे. समर्थकों ने प्लान बनाया था कि वे बाबा को जेल ले जा रहे पुलिसकर्मियों पर धावा बोलेंगे और बाबा को छुड़ा ले जाएंगे. हालांकि उन्हें इस बात का अंदेशा कतई नहीं था कि जब वे अपने इस प्लान को अंजाम दे रहे होंगे तो उन सुरक्षाकर्मियों की मदद के लिए और पुलिस बल आ जाएगा. और उनका प्लान फेल हो जाएगा.
इस साजिश का ताना-बाना बहुत पहले ही बुन लिया गया था. इस प्लान को बनाने का काम किया था गुरमीत राम रहीम की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत इंसान ने. जैसे ही सीबीआई जज ने डेरा प्रमुख को दोषी करार दिया प्लान अमल में लाया जाने लगा. जज ने बाबा राम रहीम को 28 अगस्त को होने वाली सुनवाई के लिए रोहतक शिफ्ट करने का आदेश दिया. जैसे ही हरियाणा पुलिस की स्कॉर्पियो कोर्ट परिसर के पुलिस बैरियर तक पहुंची, बाबा राम रहीम की गैंग ने एक कार से उसका रास्ता रोक लिया. ये कार इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल जैमिंग सिस्टम से पूरी तरीके से लैस थी.
आश्चर्य यह है कि हरियाणा कमांडो यूनीफॉर्म में आई इस गैंग के सभी सदस्य हरियाणा पुलिस से ही ताल्लुक रखते थे. ये 6 लोग अपनी कार से कूदकर बाहर आए. ड्राइवर अपनी जगह पर बैठा रहा. गुरमीत राम रहीम की कार के पास एक गार्ड ने कहा- 'पिताजी को छोड़ दो'. राम रहीम को रोहतक ले जाने वाली टीम के एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक- "गार्ड बाबा राम रहीम को बाहर निकालने की कोशिश करने लगा. जब हमने उसे रोका तो वो चिल्लाने लगा कि हम पिताजी को अपने साथ लेकर ही जाएंगे. और वह अपनी कार के ड्राइवर को पुलिस अधिकारियों के ऊपर गाड़ी चढ़ा देने को कहने लगा."
बाबा राम रहीम को भागने से रोकने के साथ-साथ उन्हें जेल ले जा रहे पुलिसकर्मियों को खुद की जान भी बचानी थी. कुछ चंद सेकंडों में यह हालात बेकाबू होते, उससे पहले ही कुछ और पुलिसकर्मी मौके पर आ पहुंचे. और डेरा समर्थक पुलिसवालों के मंसूबों पर पानी फेर दिया. इनमें से पांच की पहचान अजय, राम सिंह, बलवान सिंह, कृष्ण दास और ड्राइवर विजय सिं के रूप में हुई है. ये सभी हरियाण पुलिस में तैनात हैं.
सभी सातों आरोपियों को आईपीसी की धारा 25 आर्म्स एक्ट, दंगे भड़काने, खतरनाक हथियार रखने, गैरकानूनी तरीके से भीड़ जमा करने, गिरफ्तारी के समय विरोध करने, हत्या के प्रयास के लिए आईपीसी की धारा 148, 149, 224, 307 और 511 के तहत बुक किया गया है. डेरा की कार में एक ऑटोमेटिक मशीन गन, टेप से बांधे हुए दो मैगजिन, एक माउजर पिस्टल, जिसमें 22 राउंड गोलियां थीं, के साथ-साथ कई हथियार बरामद हुए. राम रहीम के गार्ड न तो इन हथियारों का लाइसेंस ही दिखा पाए और न ही ये बता पाए कि गाड़ी में इतनी भारी मात्रा में गोला-बारुद कहां से आया और क्यों.
हरियाणा के आईजी केके राव का कहना है- "हमें सिविल सेक्रेटेरियट की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिली थी. फैसले के बाद बाबा को यहां से शिफ्ट करना था. जब डीसीपी सुमीत राम रहीम को कोर्ट ला रहे थे, डेरा प्रमुख ने तभी भागने का एक प्लान तैयार कर रखा था. जब कोर्ट ने उसे दोषी करार दिया तो उसने लाल रंग के एक बैग की मांग की. ये लाल बैग उसके समर्थकों के लिए दंगे और हिंसा शुरू करने सिग्नल था. जैसे ही कार से वो लाल बैग निकाल कर राम रहीम को दिया गया, वैसे ही हिंसा की घटनाएं शुरू हो गईं."
आईजी ने आगे कहा- "दो तीन आंसू गैस के गोले दागे गए थे. हम समझ गए, इस सारी बातों का जरूर कोई न कोई मतलब है. आपने कार के बाहर राम रहीम और एक लड़की को बड़ी देर तक बाहर खड़े देखा होगा. जबकि उनके वहां खड़े होने का कोई कारण नहीं था. वो सिर्फ अपने समर्थकों तक ये संदेश पहुंचने का इंतजार कर रहे थे कि अब वो कोर्ट परिसर के बाहर निकलने वाले हैं."
इसके बाद ही पुलिस ने गुरमीत राम रहीम की कार बदलकर उसे डीसीपी सुमित की स्कॉर्पियो कार में बैठा दिया था. जिसके बाद उसे हैलीपैड ले जाया गया, जहां से वो रोहतक जेल गया.
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बताया गया कि गुरमीत सिंह सजा मिलने के दौरान हाथ जोड़कर खड़ा था. उसकी आंखों से प्रायश्चित के आंसू बह रहे थे. इन बातों पर कौन भरोसा करेगा. यदि वह कोर्ट में लेटलेटकर माफी भी मांग रहा हो तो भी उसे उसका फिल्मी स्टंट ही मानना चाहिए. क्योंकि दो दिन पहले यह आदमी फरार होने के लिए स्कीम बना रहा था. पुलिस वालों की जान लेने तक पर आमादा था.
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