भारत में आतंकी वारदातों का दोषी और मुंबई हमलों का मास्टर माइंड आतंकी हाफिज सईद अब पॉलिटिक्स में उतरने की तैयारी कर रहा है. हाफिज सईद पिछले कई महीनों से पाकिस्तान में नजरबंद है. अब हाफिज सईद ने अपने संगठन जमात उद दावा की ओर से पाकिस्तान चुनाव आयोग में मिल्ली मुस्लिम लीग के नाम से पॉलिटिकल पार्टी को मान्यता देने के लिए अर्जी दी है.
जानकारों का कहना है कि हाफिज सईद का पार्टी रजिस्ट्रेशन करवाने का मुख्य मकसद पाकिस्तान की पॉलिटिक्स में दाखिल होना है और आने वाले चुनाव में लड़ना है. पाकिस्तान की आर्मी और आईएसआई में हाफिज सईद की पहुंच है और अगर चुनाव आयोग से हरी झंडी मिल जाती है तो आतंकवाद का बादशाह पाकिस्तान की पॉलिटिक्स में परचम लहराने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. कई समाचार एजेंसियों के मुताबिक हाफिज सईद अपनी पार्टी को पाकिस्तान इंडिपेंडेंस डे के दिन लाहौर में लांच करना चाह रहा है.
कल्पना कीजिये, अगर हाफिज सईद अपने मंसूबे में कामयाब हो जाता है और किसी तरह पाकिस्तान का पीएम बन जाता है तो क्या हो सकता है. फिलहाल अभी भी पाकिस्तान काफी बुरे दिन से गुजर रहा है. हाल के दिनों में पाकिस्तान में उथल-पुथल काफी अधिक है. बदलते राजनीतिक हालातों के बीच नवाज शरीफ को पनामा केस के कारण अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी और शहीद अब्बासी उनके बदले काबिज़ हुए. अगर देखा जाये तो पाकिस्तान में अस्थिरता का माहौल है. सत्ता और आर्मी के बीच पहले से ही छत्तीस का आंकड़ा है. हाफिज सईद इस मौके को जाने नहीं देना चाहता है, वह जानता है कि राजनीति में कदम रखने का सबसे बेहतर मौका अभी है.
हाफिज सईद 26/11 मुंबई आतंकी हमले के साथ ही भारत में कई हमलों की साजिश का गुनाहगार है. जम्मू...
भारत में आतंकी वारदातों का दोषी और मुंबई हमलों का मास्टर माइंड आतंकी हाफिज सईद अब पॉलिटिक्स में उतरने की तैयारी कर रहा है. हाफिज सईद पिछले कई महीनों से पाकिस्तान में नजरबंद है. अब हाफिज सईद ने अपने संगठन जमात उद दावा की ओर से पाकिस्तान चुनाव आयोग में मिल्ली मुस्लिम लीग के नाम से पॉलिटिकल पार्टी को मान्यता देने के लिए अर्जी दी है.
जानकारों का कहना है कि हाफिज सईद का पार्टी रजिस्ट्रेशन करवाने का मुख्य मकसद पाकिस्तान की पॉलिटिक्स में दाखिल होना है और आने वाले चुनाव में लड़ना है. पाकिस्तान की आर्मी और आईएसआई में हाफिज सईद की पहुंच है और अगर चुनाव आयोग से हरी झंडी मिल जाती है तो आतंकवाद का बादशाह पाकिस्तान की पॉलिटिक्स में परचम लहराने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. कई समाचार एजेंसियों के मुताबिक हाफिज सईद अपनी पार्टी को पाकिस्तान इंडिपेंडेंस डे के दिन लाहौर में लांच करना चाह रहा है.
कल्पना कीजिये, अगर हाफिज सईद अपने मंसूबे में कामयाब हो जाता है और किसी तरह पाकिस्तान का पीएम बन जाता है तो क्या हो सकता है. फिलहाल अभी भी पाकिस्तान काफी बुरे दिन से गुजर रहा है. हाल के दिनों में पाकिस्तान में उथल-पुथल काफी अधिक है. बदलते राजनीतिक हालातों के बीच नवाज शरीफ को पनामा केस के कारण अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी और शहीद अब्बासी उनके बदले काबिज़ हुए. अगर देखा जाये तो पाकिस्तान में अस्थिरता का माहौल है. सत्ता और आर्मी के बीच पहले से ही छत्तीस का आंकड़ा है. हाफिज सईद इस मौके को जाने नहीं देना चाहता है, वह जानता है कि राजनीति में कदम रखने का सबसे बेहतर मौका अभी है.
हाफिज सईद 26/11 मुंबई आतंकी हमले के साथ ही भारत में कई हमलों की साजिश का गुनाहगार है. जम्मू कश्मीर में हिंसा फैलाने में भी उसकी सक्रिय भूमिका रही है. जानकारों और विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपने प्रयास बढ़ाने चाहिए ताकि हाफिज सईद को ग्लोबल वर्ल्ड में अंतराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करवाने में सारे देश भारत के साथ खड़े रहें और पाकिस्तान को भी विश्व में आतंकी देश का दर्जा दिलवाया जा सके. अगर हाफिज सईद को पार्टी बनाने की मान्यता मिल जाती है तो पाकिस्तान खुद आतंकी देश बनने का स्टाम्प जारी कर देगा. सयुंक्त राष्ट्र और भारत को हमेशा निराशा ही हाथ लगी है जब उसने पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करवाने के प्रयास किये हैं.
अगर हाफिज सईद पार्टी बनाने में सफल हो जाता हैं और वहां की जनता उसे सत्ता तक पहुंचा देती है तो ये साबित करना मुश्किल नहीं होगा कि पाकिस्तान भी नार्थ कोरिया की तरह दुष्ट राष्ट्रों की कतार से अलग नहीं है. जानकार तो ये कहने से भी नहीं कतरा रहे हैं कि अगर सईद सत्ता पर काबिज होने में सफल हो गया तो पूरा विश्व हमेशा परमाणु युद्ध के खतरे के साये में रहेगा.
भारत के लिए भी खतरा कुछ काम नहीं होगा अगर हाफिज सईद पाकिस्तान में अपनी पार्टी बनाने में कामयाब हो जाता है और शीर्ष सत्ता तक पहुंच जाता है. सभी जानते हैं कि भारत में आतंकी घटनाओं के पीछे पाकिस्तान का सबसे बड़ा हाथ है. हाफिज सईद की पॉलिटिक्स में एंट्री भारत के लिए दूरगामी परिणाम ला सकते हैं, पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता बनेगी, भारत के खिलाफ आतंकी घटनाओं में बढ़ोतरी होगी, आतंकियों के मंसूबे मजबूत होंगे, कश्मीर में अमन-चैन का माहौल खराब हो सकता है, पाकिस्तान में परमाणु हथियार की सुरक्षा कम होगी.
पाकिस्तान में 2018 में इलेक्शन होना हैं और हाफिज जानता है कि पाकिस्तान के इस उथल-पुथल वाले माहौल में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरे करने के लिए एक साल उसके लिए काफी है. जिस देश में इस्लाम और कट्टरपंथ हावी होता जा रहा है वहां अगर हाफिज सईद प्रधानमंत्री बन भी जाता है तो कोई आश्चर्यजनक बात नहीं होगी. खैर फैसला पाकिस्तान की आवाम को लेना होगा कि वो आतंक की लड़ाई में किसके साथ है.
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