रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अढिया ने लोगों की शंकाओं को दूर करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया और जीएसटी से जुड़े 7 सवालों के जवाब दिए.
1 जुलाई से जीएसटी लागू हो चुका है. लेकिन बिजनेसमैन से लेकर आम लोग अभी तक जीएसटी को पहेली ही मानकर चल रहे हैं. सभी जीएसटी को लेकर कंफ्यूज हैं. सोशल मीडिया पर भी जीएसटी पर कई भ्रम फैलाए जा रहे हैं. शंकाओं और सवालों पर रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अढिया ने रविवार को ट्वीट कर असलियत बताई. कहा- अफवाहों पर ध्यान ना दें. अढिया ने जीएसटी के बारे में चल रहे 7 मिथ (काल्पनिक बातों या सवालों) पर ट्वीट कर तस्वीर साफ की.
MYTH : जीएसटी के तहत बिजनेस करने के लिए सभी इनवॉइस कंप्यूटर या इंटरनेट पर ही जेनरेट करने होंगे.
सच्चाई : बिल को हाथ से भी बनाया जा सकता है
MYTH : जीएसटी के तहत क्या मुझे व्यापार करने के लिए हर समय इंटरनेट की जरूरत होगी.
सच्चाई : इंटरनेट की आवश्यकता सिर्फ मासिक जीएसटी रिटर्न फाइल करने के समय होगी.
MYTH : मेरे पास प्रोविजनल आईडी है, लेकिन जीएसटी के तहत बिजनेस करने के लिए फाइनल आईडी का इंतजार है.
सच्चाई : प्रोविजनल आईडी आपका फाइनल जीएसटीआईएन होगा. व्यवसाय शुरू कीजिए.
MYTH : पहले जब मैं ट्रेड करता था, वह जीएसटी के दायरे से बाहर था। क्या मुझे बिजनेस करने के लिए नए सिरे से रजिस्ट्रेशन की जरूरत है.
सच्चाई : आप अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं और आपको 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
MYTH : जीएसटी के तहत हर महीने 3 बार रिटर्न फाइल करना होगा.
सच्चाई : सिर्फ एक रिटर्न है, उसके तीन भाग हैं. इसका पहला भाग डीलर के जरिये फाइल किया जाएगा दो अन्य भाग कम्प्यूटर से ऑटोमेटिक भरा जाएगा.
1 जुलाई से जीएसटी लागू हो चुका है. लेकिन बिजनेसमैन से लेकर आम लोग अभी तक जीएसटी को पहेली ही मानकर चल रहे हैं. सभी जीएसटी को लेकर कंफ्यूज हैं. सोशल मीडिया पर भी जीएसटी पर कई भ्रम फैलाए जा रहे हैं. शंकाओं और सवालों पर रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अढिया ने रविवार को ट्वीट कर असलियत बताई. कहा- अफवाहों पर ध्यान ना दें. अढिया ने जीएसटी के बारे में चल रहे 7 मिथ (काल्पनिक बातों या सवालों) पर ट्वीट कर तस्वीर साफ की.
MYTH : जीएसटी के तहत बिजनेस करने के लिए सभी इनवॉइस कंप्यूटर या इंटरनेट पर ही जेनरेट करने होंगे.
सच्चाई : बिल को हाथ से भी बनाया जा सकता है
MYTH : जीएसटी के तहत क्या मुझे व्यापार करने के लिए हर समय इंटरनेट की जरूरत होगी.
सच्चाई : इंटरनेट की आवश्यकता सिर्फ मासिक जीएसटी रिटर्न फाइल करने के समय होगी.
MYTH : मेरे पास प्रोविजनल आईडी है, लेकिन जीएसटी के तहत बिजनेस करने के लिए फाइनल आईडी का इंतजार है.
सच्चाई : प्रोविजनल आईडी आपका फाइनल जीएसटीआईएन होगा. व्यवसाय शुरू कीजिए.
MYTH : पहले जब मैं ट्रेड करता था, वह जीएसटी के दायरे से बाहर था। क्या मुझे बिजनेस करने के लिए नए सिरे से रजिस्ट्रेशन की जरूरत है.
सच्चाई : आप अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं और आपको 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
MYTH : जीएसटी के तहत हर महीने 3 बार रिटर्न फाइल करना होगा.
सच्चाई : सिर्फ एक रिटर्न है, उसके तीन भाग हैं. इसका पहला भाग डीलर के जरिये फाइल किया जाएगा दो अन्य भाग कम्प्यूटर से ऑटोमेटिक भरा जाएगा.
MYTH : छोटे डीलर्स को भी रिटर्न फाइल करने के दौरान इनवॉइस के आधार पर पूरी डिटेल देनी होगी.
सच्चाई : जो रिटेल बिजनेस (बी2सी) में हैं उन्हें सिर्फ कुल बिक्री का संक्षिप्त विवरण देना होगा.
MYTH : जीएसटी के तहत नए रेट वैट की तुलना में ज्यादा होंगे.
सच्चाई : यह सिर्फ देखने में ज्यादा लग रहा है, क्योंकि पहले एक्साइज ड्यूटी और दूसरे टैक्स छिपे हुए होते थे. जीएसटी में इन सबको शामिल कर दिया गया है.
कुल मिलाकर जो बातें सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही हैं वो सभी गलत हैं. अढिया ने यह भी कहा कि किसी को भी जीएसटी से घबराने की जरूरत नहीं है. ये सभी लोगों के लिए अच्छा है.
ये बात जानना भी जरूरी
जीएसटी का विचार करीब 30 साल पुराना है. हालांकि, इसका जिक्र सबसे पहले 2003 में केलकर टास्क फोर्स की रिपोर्ट में हुआ था. 2006-07 के बजट में पहली बार यूपीए सरकार ने जीएसटी का प्रस्ताव शामिल किया था. 1 अप्रैल, 2010 से देशभर में जीएसटी लागू करने की बात कही गई थी. 2011 में प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री रहते हुए इसे संसद में पेश किया था.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.