इरोम शर्मिला इन दिनों अपने अवेयरनेस मिशन पर हैं. सूबे के सफर पर निकलीं इरोम अब तक मणिपुर के उखरूल और सेनापति इलाकों का दौरा कर चुकी हैं और लोगों से सच्चाई का साथ देने की अपील कर रही हैं.
इरोम के हिसाब से सबसे बड़ा मुद्दा है कि नेता चुनावों में लोगों से झूठा वादा करके सत्ता हासिल कर लेते थे - लेकिन वो ऐसा नहीं चाहतीं. अभी तक इरोम का सिर्फ एक एजेंडा है मणिपुर से AFSPA हटाना - और उनकी सारी कवायद इसी बात को लेकर है.
मुश्किल नंबर 1
अनशन खत्म करने की घोषणा के साथ ही इरोम तकरीबन अकेले पड़ गई हैं. बरसों बाद जब इरोम लौटना चाहीं तो घर तो दूर उन्हें मोहल्ले तक में घुसने नहीं दिया गया. यहां तक कि सिर पर एक अदद छत के लिए भी उन्हें संघर्ष करना पड़ा.
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16 साल तक मणिपुर की हीरो रहीं इरोम को जिन लोगों ने फर्श से अर्श पर पहुंचाया उन्हीं लोगों ने उनके फैसले के चलते अपनी तरफ से फिर से फर्श पर धकेल दिया है.
आयरन लेडी की राह में लोहे की दीवार... |
खास बात ये है कि इरोम मणिपुर की जिस मैती समुदाय से आती हैं चुनावों में उसकी राज्य की 60 में से 40 सीटों पर निर्णायक भूमिका होती है. अगर इरोम को अपने ही समुदाय का सपोर्ट होता तो उन्हें इतने सियासी पापड़ नहीं बेलने पड़ते.
मुश्किल नंबर 2
मणिपुर में फिलहाल ओकराम इबोबी सिंह मुख्यमंत्री की...
इरोम शर्मिला इन दिनों अपने अवेयरनेस मिशन पर हैं. सूबे के सफर पर निकलीं इरोम अब तक मणिपुर के उखरूल और सेनापति इलाकों का दौरा कर चुकी हैं और लोगों से सच्चाई का साथ देने की अपील कर रही हैं.
इरोम के हिसाब से सबसे बड़ा मुद्दा है कि नेता चुनावों में लोगों से झूठा वादा करके सत्ता हासिल कर लेते थे - लेकिन वो ऐसा नहीं चाहतीं. अभी तक इरोम का सिर्फ एक एजेंडा है मणिपुर से AFSPA हटाना - और उनकी सारी कवायद इसी बात को लेकर है.
मुश्किल नंबर 1
अनशन खत्म करने की घोषणा के साथ ही इरोम तकरीबन अकेले पड़ गई हैं. बरसों बाद जब इरोम लौटना चाहीं तो घर तो दूर उन्हें मोहल्ले तक में घुसने नहीं दिया गया. यहां तक कि सिर पर एक अदद छत के लिए भी उन्हें संघर्ष करना पड़ा.
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16 साल तक मणिपुर की हीरो रहीं इरोम को जिन लोगों ने फर्श से अर्श पर पहुंचाया उन्हीं लोगों ने उनके फैसले के चलते अपनी तरफ से फिर से फर्श पर धकेल दिया है.
आयरन लेडी की राह में लोहे की दीवार... |
खास बात ये है कि इरोम मणिपुर की जिस मैती समुदाय से आती हैं चुनावों में उसकी राज्य की 60 में से 40 सीटों पर निर्णायक भूमिका होती है. अगर इरोम को अपने ही समुदाय का सपोर्ट होता तो उन्हें इतने सियासी पापड़ नहीं बेलने पड़ते.
मुश्किल नंबर 2
मणिपुर में फिलहाल ओकराम इबोबी सिंह मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे हैं - लेकिन उनके खिलाफ भी वैसा ही असंतोष है जैसा चुनाव से पहले असम में तरुण गोगोई की कांग्रेस सरकार में रहा या हाल तक अरुणाचल प्रदेश में नबाम तुकी के खिलाफ रहा. असम को कांग्रेस मुक्त कर चुकी बीजेपी की नजर अब पूरी तरह मणिपुर पर फोकस है - और इस टास्क की जिम्मेदारी भी बीजेपी के नये आर्किटेक्ट हिमंत बिस्वा सरमा पर ही है.
ये सब जानते हुए भी अगर इरोम मणिपुर से कांग्रेस के खात्मे के टिप्स केजरीवाल से ले रही हैं तो वो खुद को धोखे में रखे हुए हैं.
मुश्किल नंबर 3
मणिपुर से AFSPA हटाने को लेकर इरोम ने अभी अभी अपना 16 साल का अनशन खत्म किया है. इरोम ने तब भी कहा था और अब उसी पर कायम हैं कि उनका मकसद AFSPA हटाना है.
लेकिन सवाल ये है कि क्या मणिपुर की मुख्यमंत्री बन कर भी वो AFSPA हटा सकती हैं? AFSPA केंद्र सरकार का कानून है और उसे हटाने का फैसला भी केंद्र ही कर सकता है.
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फर्ज कीजिए इरोम चुनाव में भारी बहुमत, जो मौजूदा स्थिति में सोच से भी परे है, हासिल कर लेती हैं तो भी ज्यादा से ज्यादा विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर केंद्र के पास मंजूरी के लिए भेज सकती हैं.
अगर ये सब जानते हुए भी इरोम AFSPA हटाने की बात सोच रही हैं तो यही कहा जा सकता है कि या तो वो खुद गफलत में हैं या लोगों के बारे में उन्हें कोई ऐसा भ्रम है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.