कश्मीर घाटी के कुलगाम जिले के एक छोटे से गांव सूढ़स के रहने वाले 22 वर्षीय उमर फैयाज, दक्षिणी कश्मीर में सेना में बतौर अफसर, उन नौजवानों में से एक थे जिनका मकसद ही सेना में काम करना होता है. भारतीय सेना में इस वक्त करीब 15 हजार कश्मीरी जवान काम कर रहे हैं और जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंट्री सेना की वो रेजिमेंट है जिसमें सिर्फ जम्मू कश्मीर से ही जवानों की भर्ती होती है. एक अंदाजे के मुताबिक इस वक्त 50 से भी ज़्यादा अफसर भारतीय सेना में तैनात हैं. यहां तक कि कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए कश्मीर में 2002 में टैरिटोरियल आर्मी का गठन भी किया गया.
लेकिन सवाल खड़ा होता है कि आखिर आतंकवादियों ने लैफ्टिनेंट उमर की हत्या कैसे और क्यों की?
1 दिसंबर 2016 में सेना का अफसर बनने के 6 महीने बाद उमर फैयाज अपने घर छुट्टी पर शादी समारोह में शिरकत के लिए आए थे. उस वक्त उनके पास कोई हथियार नहीं था और न ही उन्होंने सुरक्षा के लिए अपनी छुट्टी की जानकारी स्थानीय पुलिस को दी थी. उसकी वजह साफ है कि उमर फैयाज जिस गांव के रहने वाले थे वहां स्थानीय आतंकवादियों और उनके समर्थकों का बोलबाला है और उन्हीं आतंकवादी समर्थकों में से किसी ने लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की जानकारी आतंकियों तक पहुंचाई और मंगलवार शाम को कुलगाम से ही शोपियां तक उमर की हर हरकत पर आतंकी मुखबिर की नजर टिकी हुई थी. मंगलवार शाम को जैसे ही उमर फैयाज शादी समारोह में पहुंचे, तो करीब 15 आतंकी शोपियन में उस घर के आस-पास जमा हो गए जिसमें शादी समारोह चल रहा था.
कश्मीर घाटी के कुलगाम जिले के एक छोटे से गांव सूढ़स के रहने वाले 22 वर्षीय उमर फैयाज, दक्षिणी कश्मीर में सेना में बतौर अफसर, उन नौजवानों में से एक थे जिनका मकसद ही सेना में काम करना होता है. भारतीय सेना में इस वक्त करीब 15 हजार कश्मीरी जवान काम कर रहे हैं और जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंट्री सेना की वो रेजिमेंट है जिसमें सिर्फ जम्मू कश्मीर से ही जवानों की भर्ती होती है. एक अंदाजे के मुताबिक इस वक्त 50 से भी ज़्यादा अफसर भारतीय सेना में तैनात हैं. यहां तक कि कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए कश्मीर में 2002 में टैरिटोरियल आर्मी का गठन भी किया गया.
लेकिन सवाल खड़ा होता है कि आखिर आतंकवादियों ने लैफ्टिनेंट उमर की हत्या कैसे और क्यों की?
1 दिसंबर 2016 में सेना का अफसर बनने के 6 महीने बाद उमर फैयाज अपने घर छुट्टी पर शादी समारोह में शिरकत के लिए आए थे. उस वक्त उनके पास कोई हथियार नहीं था और न ही उन्होंने सुरक्षा के लिए अपनी छुट्टी की जानकारी स्थानीय पुलिस को दी थी. उसकी वजह साफ है कि उमर फैयाज जिस गांव के रहने वाले थे वहां स्थानीय आतंकवादियों और उनके समर्थकों का बोलबाला है और उन्हीं आतंकवादी समर्थकों में से किसी ने लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की जानकारी आतंकियों तक पहुंचाई और मंगलवार शाम को कुलगाम से ही शोपियां तक उमर की हर हरकत पर आतंकी मुखबिर की नजर टिकी हुई थी. मंगलवार शाम को जैसे ही उमर फैयाज शादी समारोह में पहुंचे, तो करीब 15 आतंकी शोपियन में उस घर के आस-पास जमा हो गए जिसमें शादी समारोह चल रहा था.
15 आतंकियों में से 6 आतंकी चेहरे पर निकाब ओढ़कर उस कमरे में गए जहां उमर चाय पी रहे थे, हथियारों से लेस आतंकियों ने घर में घुसकर उमर को साथ चलने के लिए कहा. घर में मौजूद सभी लोग हक्के बक्के रह गए लेकिन किसी ने विरोध नहीं किया, वजह भी साफ थी, आतंकियों का डर. लेकिन तब घर के लोगों ने यह कयास नहीं लगाया था कि लेफ्टिनेंट उमर की हत्या की जाएगी. आतंकियों द्वारा लेफ्टिनेंट उमर को साथ ले जाने के बाद से शादी का समारोह मातम में बदल गया और घर के सभी रिश्तदार उसकी तलाश के लिए रात भार भटकते रहे. और बुदधवार सुबह उनकी गोली से छलनी लाश पास ही एक सड़क पर मिली.
एक महीने पहले सोशल मीडिया पर एक साथ जो 30 आतंकियों का वीडियो वायरल हुआ, उसी में से 15 आतंकी लेफ्टिनेंट उमर की हत्या में शामिल थे. पुलिस के अनुसार उस वीडियो में अधिकतर आतंकी इसी इलाके के रहने वाले हैं और यहां तक कि यह वीडियो भी इसी इलाके के पास बनाया गया था. पुलिस के अनुसार शोपियां के उस इलाके को कुछ दिन पहले एक बड़े तलाशी अभियान के दौरान घेरा भी गया था जहां यह आतंकी छुपे हैं, लेकिन कुछ स्थानीय लोगों के समर्थन के चलते उस तलाशी अभियान में सुरक्षा बलों के हाथ कोई आतंकी नहीं लगा.
देखिए उन आतंकियों का वायरल वीडियो जो एक साथ शोपियां के इलाके में थे
अब सवाल खड़ा होता है सेना में लेफ्टिनेंट को आतंकियों ने क्यों मारा ?
उसकी वजह भी साफ है. आतंकी नहीं चाहते कि सेना में कश्मीरी युवा जाएं और इस हत्या से वह उन लोगों को खौफज़दा करना चाहते हैं जो सेना में जाना चाहते हैं. पिछले महीने से घाटी में सेना की भर्तियों में घाटी के युवाओं की भीड़ जो उमड़ने लगी है उसने कश्मीर में आतंकियों को परेशान किया हुआ है. आतंकियों ने सेना और पुलिस में भर्ती के खिलाफ कई जगहों पर पोस्टर चस्पा किये, लेकिन उनको बेअसर देखते हुए आतंकियों ने एक सेना के अफसर की हत्या करके अपने मंसूबे साफ किये.
अब सवाल यही है कि आखिर घाटी में युवाओं के बीच सरकार और प्रशासन भरोसा कैसे कायम करें.
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