बिहार में बीजेपी का विकल्प बनकर खड़े हुए महागठबंधन की सारी गांठें सीएम नीतीश कुमार के इस्तीफे के साथ ही खुल गई. कहां तो लालू यादव बीजेपी का विकल्प बनने के सपने देख रहे थे और कहां अपने साथ-साथ अपने दो मासूम बेटों के राजनीतिक करियर को शुरु होने से पहले ही खत्म करने की कगार पर पहुंचा दिया.
एक कहावत है कि अति किसी भी चीज की बुरी होती है. फिर चाहे वो अच्छाई की हो या बुराई की. लालू यादव एंड कंपनी के साथ यही हुआ. नतीजा, आज लालू ना तो तीन के रहे ना तेरह के. लालू-नीतीश के जय-वीरू वाले जबर्दस्ती के बनाए गए रिश्ते में दरार तो पहले से ही थी लेकिन ये दो फाड़ हुआ जब कुछ दिनों पहले सीबीआई ने लालू और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की और उनके 22 ठिकानों पर छापा मारा.
लालू और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी शुरु से ही लगा रही थी. तो आइए आपको बताएं लालू एंड फैमिली पर कौन-कौन से आरोप लगे हैं-
1- 2004 में रेलवे ने अपनी केटरिंग सर्विस और होटलों के प्रबंधन की जिम्मेदारी अपनी सहायक इंडियन रेलवे एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) को दे दिया था. IRCTC के साथ हुए करार में उसे प्राइवेट कंपनियों को ठेका देने का अधिकार था. 2006 में रेलवे के रांची और पुरी स्थित दो बीएनआर होटलों के प्रबंधन का कॉन्ट्रैक्ट सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड को मिला.
सीबीआई का आरोप है कि सुजाता होटल के डाइरेक्टर हर्ष कोचर और विजय कोचर ने तीन एकड़ जमीन डिलाइट मार्केटिंग नाम के एक मुखौटा कंपनी को बेचा. डिलाइट मार्केटिंग की मालकिन सरला गुप्ता, राजद नेता और पूर्व कंपनी मामलों के केंद्रीय मंत्री प्रेम चंद गुप्ता की पत्नी...
बिहार में बीजेपी का विकल्प बनकर खड़े हुए महागठबंधन की सारी गांठें सीएम नीतीश कुमार के इस्तीफे के साथ ही खुल गई. कहां तो लालू यादव बीजेपी का विकल्प बनने के सपने देख रहे थे और कहां अपने साथ-साथ अपने दो मासूम बेटों के राजनीतिक करियर को शुरु होने से पहले ही खत्म करने की कगार पर पहुंचा दिया.
एक कहावत है कि अति किसी भी चीज की बुरी होती है. फिर चाहे वो अच्छाई की हो या बुराई की. लालू यादव एंड कंपनी के साथ यही हुआ. नतीजा, आज लालू ना तो तीन के रहे ना तेरह के. लालू-नीतीश के जय-वीरू वाले जबर्दस्ती के बनाए गए रिश्ते में दरार तो पहले से ही थी लेकिन ये दो फाड़ हुआ जब कुछ दिनों पहले सीबीआई ने लालू और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की और उनके 22 ठिकानों पर छापा मारा.
लालू और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी शुरु से ही लगा रही थी. तो आइए आपको बताएं लालू एंड फैमिली पर कौन-कौन से आरोप लगे हैं-
1- 2004 में रेलवे ने अपनी केटरिंग सर्विस और होटलों के प्रबंधन की जिम्मेदारी अपनी सहायक इंडियन रेलवे एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) को दे दिया था. IRCTC के साथ हुए करार में उसे प्राइवेट कंपनियों को ठेका देने का अधिकार था. 2006 में रेलवे के रांची और पुरी स्थित दो बीएनआर होटलों के प्रबंधन का कॉन्ट्रैक्ट सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड को मिला.
सीबीआई का आरोप है कि सुजाता होटल के डाइरेक्टर हर्ष कोचर और विजय कोचर ने तीन एकड़ जमीन डिलाइट मार्केटिंग नाम के एक मुखौटा कंपनी को बेचा. डिलाइट मार्केटिंग की मालकिन सरला गुप्ता, राजद नेता और पूर्व कंपनी मामलों के केंद्रीय मंत्री प्रेम चंद गुप्ता की पत्नी हैं. ये जमीन 2005 में IRCTC को बीएनआर होटल ट्रांसफर किए जाने के दिन ही डिलाइट मार्केटिंग को बेचे गए थे.
पटना में राजद विधायक अबू दोजाना द्वारा शहर का सबसे बड़ा मॉल बनाया जा रहा है. ये मॉल जिस जमीन पर बन रहा है उसे डिलाइट मार्केटिंग द्वारा राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को ट्रांसफर किया गया था, वो भी कौड़ियो के भाव में. बीजेपी का कहना है कि इस मॉल को पर्यावरणीय मंजूरी भी नहीं मिली है.
सीबीआई का कहना है कि 2010 के बाद से एक हाथ दे एक हाथ ले की प्रथा का पालन करते हुए राबड़ी देवी, उनके बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी, बेटियां चंदा और रागिनी, डिलाइट मार्केटिंग में 2014 तक शेयरधारक बनी रहीं. और उसके बाद राबड़ी को छोड़कर बाकी चारो कंपनी के डायरेक्टर बन गए. डिलाइट मार्केटिंग का दो बार नाम भी बदला गया. नवंबर 2016 में डिलाइट मार्केटिंग लारा (लालू-राबड़ी) प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड बन गई और उसके बाद लारा प्रोजेक्ट्स एलएलपी बन गई. लारा प्रोजेक्ट्स एलएलपी में चंदा और रागिनी दोनों का नाम डायरेक्टर के पद से हटा दिया गया और सिर्फ दोनों बेटे ही अब कंपनी के डायरेक्टर रहे.
बीजेपी का आरोप है कि तेजस्वी और तेजप्रताप दोनों ही ने ये बात अपने चुनाव शपथपत्र में नहीं बताई. सीबीआई ने आठ लोगों- लालू, राबड़ी देवी, तेजस्वी, सुजाता होटल के कोचर बंधु, डिलाइट मार्केटिंग की सरला गुप्ता लारा प्रोजेक्ट्स एलएलपी और IRCTC के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर पीके गोयल को आरोपी बनाया. यही नहीं सीबीआई ने आरोपियों के कई ठिकानों पर छापा भी मारा.
2- कात्याल शराब फैक्टरी घोटाला- राबड़ी देवी सरकार ने ओम प्रकाश कात्याल और अमित कात्याल की कंपनी आईसबर्ग इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड को बिहार के बिहटा में शराब फैक्टरी लगाने की इजाजत दे दी थी.
बीजेपी का आरोप है कि इस अहसान के बदले अमित कात्याल और उसके भाईयों ने एक एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक मुखौटा कंपनी बनाई और और लालू के चार बच्चों को कंपनी का डायरेक्टर बनाने के बाद उस कंपनी के शेयर उनके नाम पर ट्रांसफर कर दिए गए. अभी कंपनी का पूरा अधिकार लालू की बेटियों चंदा और रागिनी के हाथ में है क्योंकि तेजस्वी और तेज प्रताप ने 2015 में नीतीश कुमार की कैबिनेट में मंत्री पद संभालने के बाद इससे इस्तीफा दे दिया था.
बीजेपी का ये भी आरोप है कि एके इंफोसिस्टम्स के नाम पर पटना शहर के भीतर और उसके आस-पास करोड़ों की जमीन है.
3- एबी एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के मालिक लालू के परिवार वाले हैं. इस कंपनी ने 2007 में मुंबई के पांच गहना व्यापारियों से 5-5 करोड़ की रकम ब्याज मुक्त ली थी. इस पैसे को दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और डिफेंस कॉलोनी में मकान खरीदने के लिए इस्तेमाल किया गया था. पहले इस कंपनी का मालिक अशोक बैंथिया था जिसने बाद में अपने शेयर तेजस्वी और चंदा के नाम कर दिए.
वर्तमान में कंपनी में तेजस्वी के नाम 98 प्रतिशत और चंदा के नाम 2 प्रतिशत शेयर हैं. इस प्रॉपर्टी को भी लालू ने कौड़ियों के भाव ही खरीदा है.
4- बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव फेयरग्लो होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के भी डायरेक्टर हैं. इस कंपनी के नाम 76.32 लाख की संपत्ति है जिसे बाजार भाव से कहीं कम दामों पर खरीदा गया है. बीजेपी का आरोप है कि यूपीए सरकार में मंत्री रहे रघुनाथ झा ने भी तेजस्वी और तेज प्रताप को नेशनल हाइवे के नजदीक 6 कट्ठा जमीन और एक तीन मंजीला मकान गिफ्ट किया था. यही नहीं 2004 में राजद नेता कांति सिंह ने केंद्रीय मंत्री का पद संभालते ही लालू को 95 डिसमिल जमीन उपहार स्वरूप भेंट कर दी थी.
5- एक अनोखे आरोप में बिहार में बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने राबड़ी देवी के चारागाह की देखभाल करने वाले ललन चौधरी द्वारा 31 लाख रुपए की प्रॉपर्टी गिफ्ट करने के कागजात दिखाए. हालांकि राबड़ी देवी ने मोदी के इन आरोपों का खंडन ये करते हुए किया था कि वो सालों से ललन की आर्थिक रूप से मदद करती आ रही हैं. इसके बदले ललन ने अपनी जमीन उनके नाम कर दी.
ऐसे ही एक और मामले में रेलवे के एक चपरासी स्तर के कर्मचारी ने लालू-राबड़ी की बेटी हेमा यादव को अपनी 70 लाख की जमीन दान में दे दी थी.
6- बीजेपी ने मीसा भारती पर भी इसी तरीके आरोप लगाए हैं. विवेक नागपाल के केएचके होल्डिंग नाम की एक मुखौटा कंपनी ने दिल्ली में करोड़ों की जमीन खरीदी. इसके बाद नागपाल ने 1998 में कंपनी के शेयरों को मीसा भारती के नाम पर ट्रांसफर कर दिया. इससे मीसा अब कंपनी की सबसे ज्यादा शेयरधारक बन गई थी. बीजेपी का कहना है कि हवाला की तरह लालू ने अपने काले धन को इस कंपना के जरिए ही सफेद बना लिया.
7- बीजेपी के एक अन्य आरोप में कहा गया है कि मीसा भारती के लिए काम करने वाले एक सीए ने पुलिस को बताया है कि जब लालू यादव रेल मंत्री थे तब उन्होंने वीरेंद्र जैन और सुरेंद्र जैन नाम के दो हवाला दलालों से अपना काम कराया था. हालांकि जैन बंधु अब जेल में बंद हैं लेकिन उन्होंने लालू यादव की 60 लाख की बेनामी पैसे को मीसा भारती की कंपनी मिशेल पैकर्स प्राइवेट लिमिटेड में खपा दिया था.
बीजेपी का आरोप है कि बंद हो चुकी मिशेल पैकर्स प्राइवेट लिमिटेड का प्रयोग जैन बंधुओं ने 10 रूपए के शेयर 100 रुपए में बेचने के लिए किया. इस कमाई को नई दिल्ली के बिजवासन में फार्महाउस खरीदने के लिए इस्तेमाल किया गया. 11 महीने बाद इन्हीं शेयरों को मिशेल पैकर्स ने 100 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से वापस खरीद लिया था.
8- लारा प्रोजेक्ट के डायरेक्टर तेज प्रताप को 2005 में 45 डिसमिल जमीन 54.34 लाख की कौड़ियों की कीमत में खरीदी थी. ये जमीन दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के पास 2012 में गिरवी रखी गई थी, जिसके बदले तेज प्रताप को 2.29 करोड़ का लोन मिला था.
यही नहीं तेज प्रताप ने लारा ऑटोमोबाइल प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक पेट्रोल पंप अवैध रूप से अलॉट कराया था. भारत पेट्रोलियम ने तेज प्रताप से इस पर सफाई भी मांगी है. बीजेपी का आरोप है कि तेज प्रताप ने जमीन हुए बगैर ही लाइसेंस प्राप्त किया था. जमीन उसने बाद में हथियाई थी.
लालू और उनके परिवार पर लगे आरोपों में एक सामान्य सा पैटर्न दिखता है. लालू और उनके परिवार के लोगों को फायदा पहुंचाने के मकसद से 5 मुखौटा कंपनियों का गठन किया गया था. और उसके बाद सारा कांड किया गया.
ये भी पढ़ें-
तेजस्वी को अपना तेज दिखाने के लिए इस्तीफा दे देना चाहिए था
नीतीश कुमार : राजनीति के सबसे बड़े मौसम वैज्ञानिक !
लालू के खिलाफ नीतीश ने इस्तीफे का ब्रह्मास्त्र छोड़ा है, लपेटे में पूरा थर्ड फ्रंट
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.