राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए ओबामा पिछले हफ्ते पहली बार एक मस्जिद में गए. वहां उन्होंने एक भाषण भी दिया, जिसका फोकस दुनिया में इस्लाम को लेकर फैल रहे भय पर था. उन्होंने ताकत के साथ यह बात रखी कि अमेरिका में मुसलमानों का पूरा सम्मान है और हमेशा रहेगा. उन्होंने उदाहरण दिए कि अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए देश के मुसलमानों ने अमेरिका की सेवा की है.
पिछले हफ्ते दिए गए उस भाषण की अहमियत एक एथलीट से जुड़ी है, जो अचानक दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चित हो गई है. दरअसल, ओबामा ने मस्जिद में मौजूद जनसमुदाय से कहा कि मुक्केबाज मोहम्मद अली से लेकर एथलीट अब्दुल करीम जब्बार ने अमेरिका का मान बढ़ाया है. और इसी कड़ी में इस साल रियो ओलिंपिक में हिस्सा लेने जा रहे अमेरिकी दल में हिजाब पहने एक एथलीट भी होगी जिसके हाथ में लाल, नीला और सफेद रंग का अमेरिकी झंडा होगा. इतना कहते हुए उन्होंने भीड़ की ओर इशारा करते हुए पूछा यदि इब्तिहाज मुहम्मद यहां हों तो वे खड़ी हो जाएं.
देखें: अमेरिका राष्ट्रपति ओबामा ने कैसे बढ़ाया इब्तिहाज का हौसलाः
अमेरिकी की राष्ट्रीय तलवारबाजी प्रतियोगिताओं में नाम कमा चुकीं इब्तिहाज के खड़ा होते ही तालियां बजने लगीं. माहौल शांत होते ही ओबामा ने कहा कि मैंने इन्हें कहा है कि ये अमेरिका के लिए गोल्ड मैडल जीतकर आएं. फिर मजाकिया लहजे में कहा कि ऐसा कहकर मैं उन पर प्रेशर नहीं डाल रहा हूं.
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ओबामा के लिए इब्तिहाज हथियार बन गईं डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेताओं को जवाब देने के लिए, जो आंतकवाद के नाम पर इस्लाम के खिलाफ अपने बयानों से जो जहर उगल रहे हैं. ऐसे में जब ओबामा हिजाब...
राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए ओबामा पिछले हफ्ते पहली बार एक मस्जिद में गए. वहां उन्होंने एक भाषण भी दिया, जिसका फोकस दुनिया में इस्लाम को लेकर फैल रहे भय पर था. उन्होंने ताकत के साथ यह बात रखी कि अमेरिका में मुसलमानों का पूरा सम्मान है और हमेशा रहेगा. उन्होंने उदाहरण दिए कि अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए देश के मुसलमानों ने अमेरिका की सेवा की है.
पिछले हफ्ते दिए गए उस भाषण की अहमियत एक एथलीट से जुड़ी है, जो अचानक दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चित हो गई है. दरअसल, ओबामा ने मस्जिद में मौजूद जनसमुदाय से कहा कि मुक्केबाज मोहम्मद अली से लेकर एथलीट अब्दुल करीम जब्बार ने अमेरिका का मान बढ़ाया है. और इसी कड़ी में इस साल रियो ओलिंपिक में हिस्सा लेने जा रहे अमेरिकी दल में हिजाब पहने एक एथलीट भी होगी जिसके हाथ में लाल, नीला और सफेद रंग का अमेरिकी झंडा होगा. इतना कहते हुए उन्होंने भीड़ की ओर इशारा करते हुए पूछा यदि इब्तिहाज मुहम्मद यहां हों तो वे खड़ी हो जाएं.
देखें: अमेरिका राष्ट्रपति ओबामा ने कैसे बढ़ाया इब्तिहाज का हौसलाः
अमेरिकी की राष्ट्रीय तलवारबाजी प्रतियोगिताओं में नाम कमा चुकीं इब्तिहाज के खड़ा होते ही तालियां बजने लगीं. माहौल शांत होते ही ओबामा ने कहा कि मैंने इन्हें कहा है कि ये अमेरिका के लिए गोल्ड मैडल जीतकर आएं. फिर मजाकिया लहजे में कहा कि ऐसा कहकर मैं उन पर प्रेशर नहीं डाल रहा हूं.
यह भी पढ़ें: हिजाबी फैशन: सिर्फ पहनावा नहीं सामाजिक बदलाव की बयार है
ओबामा के लिए इब्तिहाज हथियार बन गईं डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेताओं को जवाब देने के लिए, जो आंतकवाद के नाम पर इस्लाम के खिलाफ अपने बयानों से जो जहर उगल रहे हैं. ऐसे में जब ओबामा हिजाब पहनने वाली मुस्लिम महिला को ओलिंपिक खेल में भाग लेने की सराहना करते हैं तो इससे न सिर्फ मुस्लिम महिलाओं के आगे बढ़ने का संदेश मिलता है बल्कि अमेरिका के लिए मुस्लिमों के योगदान की तारीफ भी नजर आती है. इससे यह संदेश देने की भी कोशिश नजर आती है कि अमेरिकियों के दिल में मुस्लिमों के लिए वही जगह है जो बाकी धर्मों के लोगों के लिए है.
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ऐतिहासिक है इब्तिहाज की सफलताः
इब्तिहाज न सिर्फ हिजाब में ओलिंपिक में भाग लेने वाली पहली अमेरिकी हैं बल्कि वह किसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने वाली पहली अमेरिकी मुस्लिम महिला भी हैं. पिछले हफ्ते एथेंस में हुए वीमेंस सेबर वर्ल्ड कप में ब्रॉन्ज मेडल जीतते हुए इब्तिहाज ने रियो ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाई किया. 30 वर्षीय फेसिंग (तलवारबाजी) स्टार इब्तिहाज तीन बार अमेरिका की राष्ट्रीय फेसिंग चैंपियनशिप भी जीत चुकी हैं. लेकिन अब ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाई करके उन्होंने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है.
इब्तिहाज मुहम्मद |
हिजाब को ताकत बनाया कमजोरी नहीं:
इब्तिहाज की कहानी हिजाब पहनने वाली मुस्लिम महिलाओं के पिछड़े होने की दुनिया की सोच को गलत साबित करती है. यह उन सभी मुस्लिम महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है जिन्हें लगता है कि हिजाब पहनकर वे अपने सपनों को पूरा नहीं कर सकतीं. इब्तिहाज ने न सिर्फ हिजाब को अपने सपनों के बीच में नहीं आने दिया और अब वह अमेरिकी मुस्लिम महिलाओं के लिए आदर्श बनकर उभरी हैं.
13 वर्ष की उम्र में फेंसिंग के खेल को अपनाने वाली इब्तिहाज ने अपने धर्म और परंपरा के निर्वाहन के साथ ही अपने सपनों को पूरा करने का नायाब रास्ता निकाला. वह कहती हैं कि उनके परिवार को एक ऐसे खेल की तलाश थी जिसमें महिलाएं पूरी तरह ढंकी रहती हों. जब वह स्कूल में थीं तो उनकी मां ने देखा कि देखा कि फेंसिग एक ऐसा खेल है जिसमें खिलाड़ी पूरी तरह ढंका रहता है. बस फिर क्या था उन्होंने इस खेल को अपना लिया.
इब्तिहाज मुहम्मद |
हाल के वर्षों में इब्तिहाज ने फेंसिंग में अच्छी सफलता हासिल की है. 2014 में हुई वर्ल्ड फेंसिंग चैंपियनशिप में उन्होंने राष्ट्रीय टीम के लिए गोल्ड मेडल जीता था इसके अलावा भी वह कई अन्य फेंसिंग स्पर्धाओं में ब्रॉन्ज मेडल भी जीत चुकी हैं. इस समय उनकी रैंकिंग अमेरीका में दूसरी और दुनिया में 11वीं है.
इब्तिहाज की सफलता की कहानी न सिर्फ दुनिया की करोड़ो मुस्लिम महिलाओं के लिए किसी प्रेरणादायक है बल्कि यह अमेरिकी समाज में मुस्लिमों के महत्वपूर्ण योगदान को भी दिखाती है. इब्तिहाज कहती हैं, 'तब तक अपने सपनों का पीछा करिए जब तक सपने सच न हो जाएं.'
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.