सुपरस्टार रजनीकांत का बर्थडे उनके फैंस के लिए किसी त्योहार से कम नहीं होता. उनके जन्मदिन के मौके पर बड़े बड़े बैनर और जगह जगह पोस्टर लगाये जाते हैं. पिछले दो साल से रजनीकांत अपना जन्मदिन नहीं मना रहे हैं - और अपने प्रशंसकों से भी ऐसा ही करने की अपील करते हैं.
रजनीकांत का सामाजिक सरोकारों से गहरा वास्ता तो रहता ही है, तमिलनाडु की सियासत पर भी बारीकी से गौर फरमाते हैं. तमिलनाडु की राजनीति में हालिया उठापटक के बीच रजनीकांत को उनके नये संभावित अवतार से जोड़ कर देखा जाने लगा है.
वो ताकत की बात तो करते हैं, लेकिन लगे हाथ बता भी देते हैं कि उनका आशय सत्ता से नहीं है.
फिट है बॉस!
12 दिसंबर को रजनीकांत का बर्थडे था लेकिन पहले से ही उन्होंने न मनाने की घोषणा और अपील कर रखी थी, 'सभी प्रशंसकों से अपील करता हूं मेरा जन्मदिन न मनाएं और न ही बैनर-पोस्टर लगाएं.'
ये अपील उन्होंने जयललिता के निधन के कारण किया था. 5 दिसंबर को जयललिता का चेन्नई के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया था. रजनीकांत ने पिछले साल भी जन्मदिन नहीं मनाया था. तब ऐसा उन्होंने चेन्नई में आई बाढ़ से लोगों को हुई मुश्किल के चलते किया था.
दक्षिण में लोग फिल्मी एक्टर्स को महज कलाकार नहीं बल्कि जिस चरित्र में वे पर्दे पर दिखते हैं उसी रूप में देखने लगते हैं. अपने प्रिय कलाकार के प्रति लोगों की निष्ठा देखकर तो ऐसा लगता है जैसे वे उन्हें ईश्वर नहीं तो उससे कम भी नहीं समझते बल्कि एक अलग अवतार की तरह लेते हैं.
तमिलनाडु की सियासत को देखें तो एमजी रामचंद्रन और एम करुणानिधि से लेकर जयललिता तक फिल्मों से राजनीति में आये लेकिन उनके बारे में लोगों का नजरिया कभी नहीं बदला. यहां तक कि भ्रष्टाचार के...
सुपरस्टार रजनीकांत का बर्थडे उनके फैंस के लिए किसी त्योहार से कम नहीं होता. उनके जन्मदिन के मौके पर बड़े बड़े बैनर और जगह जगह पोस्टर लगाये जाते हैं. पिछले दो साल से रजनीकांत अपना जन्मदिन नहीं मना रहे हैं - और अपने प्रशंसकों से भी ऐसा ही करने की अपील करते हैं.
रजनीकांत का सामाजिक सरोकारों से गहरा वास्ता तो रहता ही है, तमिलनाडु की सियासत पर भी बारीकी से गौर फरमाते हैं. तमिलनाडु की राजनीति में हालिया उठापटक के बीच रजनीकांत को उनके नये संभावित अवतार से जोड़ कर देखा जाने लगा है.
वो ताकत की बात तो करते हैं, लेकिन लगे हाथ बता भी देते हैं कि उनका आशय सत्ता से नहीं है.
फिट है बॉस!
12 दिसंबर को रजनीकांत का बर्थडे था लेकिन पहले से ही उन्होंने न मनाने की घोषणा और अपील कर रखी थी, 'सभी प्रशंसकों से अपील करता हूं मेरा जन्मदिन न मनाएं और न ही बैनर-पोस्टर लगाएं.'
ये अपील उन्होंने जयललिता के निधन के कारण किया था. 5 दिसंबर को जयललिता का चेन्नई के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया था. रजनीकांत ने पिछले साल भी जन्मदिन नहीं मनाया था. तब ऐसा उन्होंने चेन्नई में आई बाढ़ से लोगों को हुई मुश्किल के चलते किया था.
दक्षिण में लोग फिल्मी एक्टर्स को महज कलाकार नहीं बल्कि जिस चरित्र में वे पर्दे पर दिखते हैं उसी रूप में देखने लगते हैं. अपने प्रिय कलाकार के प्रति लोगों की निष्ठा देखकर तो ऐसा लगता है जैसे वे उन्हें ईश्वर नहीं तो उससे कम भी नहीं समझते बल्कि एक अलग अवतार की तरह लेते हैं.
तमिलनाडु की सियासत को देखें तो एमजी रामचंद्रन और एम करुणानिधि से लेकर जयललिता तक फिल्मों से राजनीति में आये लेकिन उनके बारे में लोगों का नजरिया कभी नहीं बदला. यहां तक कि भ्रष्टाचार के आरोप में जयललिता के जेल जाने पर भी लोगों को बहुत फर्क नहीं पड़ा.
जयललिता के बाद इस परंपरा में थोड़ा ठहराव जरूर आया है. कहने को तो करुणानिधि के बेटे और डीएमके नेता एमके स्टालिन भी कुछ फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों में काम किया है, लेकिन वो कोई छाप नहीं छोड़ पाये. हां, पॉलिटिकली उनका अनुभव ठीक ठाक कहा जाएगा. वो चेन्नई के मेयर और तमिलनाडु के डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं.
रजनीकांत 66 साल के हो चुके हैं लेकिन राजनीति के हिसाब से देखें तो उम्र ज्यादा नहीं मानी जाएगी क्योंकि वो पूरी तरह फिट हैं. सीएम की कुर्सी की ताजातरीन दावेदार शशिकला जरूर उनसे छोटी हैं लेकिन ओ पनीरसेल्वम और रजनीकांत की उम्र में कुछ महीने का ही फासला है.
सियासी अवतार के संकेत
हाल ही में रजनीकांत के बयान के सियासी मतलब निकाले गये. उनकी बात का क्या मतलब निकाला जा सकता है, ये भी वो पहले ही भांप गये और फौरन ही अपनी बात स्पष्ट करने की भी कोशिश की.
एक किताब के लोकार्पण के वक्त रजनीकांत ने कहा कि उन्हें 'पावर' पसंद है. रजनीकांत की इस पसंद को सत्ता की ताकत से जोड़ कर समझा गया. तभी उन्होंने जोड़ भी दिया कि उनका आशय आत्मिक-शक्ति से है.
बीजेपी रजनीकांत पर अरसे से डोरे डाल रही है. रजनीकांत के बीजेपी के साथ आने की चर्चा को बल तब मिला जब अप्रैल 2014 में नरेंद्र मोदी ने रजनीकांत के साथ मुलाकात का फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किया. ये चर्चा दोनों के बीच एक अच्छे रिश्ते की बात पर जाकर रुक गयी.
2016 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी नेताओं की ओर से रजनीकांत को जोड़ने की कोशिशें होती रहीं - और रजनीकांत यूं ही मुस्कुराते हुए बड़े सलीके से साफ मना कर देते रहे.
रजनीकांत एआईएडीएमके के कट्टर आलोचक रहे हैं. एक बार तो उन्होंने यहां तक कहा था कि अगर जयललिता की अन्ना द्रमुक चुन कर फिर सत्ता में आई तो भगवान भी तमिलनाडु को बचा नहीं सकता. ये 1996 की बात है. तब सत्ताविरोधी लहर में डीएमके गठबंधन ने चुनाव में जीत हासिल कर सरकार बना ली.
जयललिता के निधन के बाद रजनीकांत ने शोक सभा में उनसे जुड़े किस्से शेयर किये. उसी दौरान रजनीकांत ने कहा 'मैंने उन्हें चोट पहुंचाई. मैं उनकी हार की मुख्य वजह था.'
बावजूद इसके रजनीकांत ने तमिलनाडु की राजनीति पर कमल हसन की तरह मुखर होकर कुछ नहीं कहा है. हालांकि, जल्लीकट्टू पर तमिलनाडु के लोगों को सपोर्ट करने वो मरीना बीच भी पहुंचे थे.
शशिकला बनाम पनीरसेल्वम की लड़ाई में कमल हसन ने साफ स्टैंड लिया है. पन्नीरसेल्वम का सपोर्ट करते हुए कमल हसन ने उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए एक काबिल दावेदार बताया है और शशिकला को पीछे हट जाने की सलाह दी है.
कमल हसन ने इंडिया टुडे से कहा, 'मैं जानता हूं कि मैं क्या कह रहा हूं, मैं गुस्सा नहीं दिखाना चाहता क्योंकि इससे हिंसा भड़क सकती है. लेकिन अब मेरा गुस्सा झुंझलाहट में बदल चुका है. बहुत हुआ अब लोगों को अपनी जिम्मेदारियां समझ लेनी चाहिए.'
खबर है कि आरएसएस विचारक एस गुरुमूर्ति लगातार रजनीकांत से संपर्क बनाये हुए हैं. गुरुमूर्ति ने कुछ दिन पहले तमिलनाडु की पत्रिका तुगलक के संपादक की जिम्मेदारी संभाली है. पत्रिका के संस्थापक संपादक चो रामास्वामी की याद में हुए एक कार्यक्रम में भी दोनों काफी देर तक साथ रहे.
इंडिया टुडे टीवी को सूत्रों के हवाले से खबर लगी है कि गुरुमूर्ति ने रजनीकांत को अपनी पार्टी बनाने की सलाह दी है. सूत्रों से ही पता चला है कि गुरुमूर्ति का प्रस्ताव बीजेपी के उस प्लान का हिस्सा है जिसमें वो रजनीकांत की लोकप्रियता भुनाते हुए तमिलनाडु की राजनीति में अपनी जगह बनाने की कोशिश में है.
तमिलनाडु के चुनाव में अभी बहुत देर है, लेकिन माना जा रहा है कि बीजेपी रजनीकांत को मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार के रूप में देख रही है. ये बात काफी हद तक सही भी है कि मौजूदा हालात में रजनीकांत की टक्कर में तमिलनाडु में शायद ही कोई खड़ा हो पाये. वैसे तो एआईएडीएमके या डीएमके का कोई भी नेता जल्द चुनाव नहीं चाहेगा लेकिन किसी खास सूरत में चुनाव हुए तो बीजेपी उसका पूरा फायदा उठाना चाहेगी.
लगता है बीजेपी का रजनीकांत को लेकर वैसा ही प्लान है जैसा दिल्ली चुनाव के वक्त किरण बेदी को लेकर रहा. लेकिन रजनीकांत के बीजेपी में शामिल न होने की स्थिति में उसने प्लान-बी भी तैयार कर रखा है - उन्हें खुद की पार्टी बनाने के लिए मोटिवेट करने का. जरूरी नहीं है कि तमिलनाडु में भी बीजेपी को दिल्ली जैसा ही अनुभव हो.
तमिलनाडु में तेजी से बदलती गतिविधियों के बीच साउथ के सुपरस्टार को बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने अपनी ओर से आगाह भी कर दिया है. राजनीति को लेकर अमिताभ का अनुभव अच्छा नहीं रहा, हालांकि, उन्होंने इलाहाबाद से हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे कद्दावर नेता को शिकस्त दी थी.
अब रजनीकांत को तय करना है कि वो अमिताभ की बात मानते हैं या गुरुमूर्ति की सलाह पर आगे बढ़ते हैं. आखिर उन्हें तमिलनाडु के लोगों का भी तो ख्याल रखना है.
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